19.2 C
Bhilai
Friday, December 27, 2024

अस्पताल प्रबंधन की फाइल संचालनालय में अटकी:अंबेडकर का फायर फाइटिंग सिस्टम 6 माह से बंद, ये 12 सौ मरीजों से खिलवाड़

राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का फायर फाइटिंग सिस्टम छह माह से बंद है। अस्पताल में हालांकि फायर फाइटिंग का सिस्टम लगा है। इसके लिए ओपीडी से लेकर वार्डों में पाइप लाइन बिछाई गई है। उसमें लंबे-लंबे पाइप भी लगाए गए हैं, लेकिन इनका मेंटेनेंस ही नहीं हो रहा है। छह महीने पहले मेंटेनेंस का ठेका खत्म हुआ, उसके बाद से सिस्टम बंद पड़ा है और नया ठेका देने की प्रक्रिया ही चल रही है। नए ठेके की मंजूरी की फाइल चिकित्सा शिक्षा संचालनालय में अटकी हुई है। अंबेडकर अस्पताल में जहां रोज औसतन 12 सौ मरीज भर्ती रहते हैं, वहां फायर फाइटिंग सिस्टम बंद होना ही चौंकाता है। ये सच भी मंगलवार को तब सामने आया जब अस्पताल की न्यू ट्रामा ओटी में आगजनी हुई। अस्पताल के डाक्टर से लेकर वार्ड ब्वॉय और सुरक्षा गार्ड यहां तक कि नर्सें भी बिना फायर फाइटिंग सिस्टम के रेस्क्यू में लगे रहे। इस दौरान पानी की एक भी बूंद का उपयोग नहीं किया गया। इस बारे में पड़ताल करने पर पता चला कि एक ओर फायर फाइटिंग सिस्टम बंद पड़ा है और दूसरी ओर हाथों से संचालित करने वाले फायर एस्टिविशर एक्सपायरी हो गए हैं। आगजनी के दौरान जब कर्मचारियों ने फायर एस्टिविशर चलाने की कोशिश की तो वे चले ही नहीं। जांच करने पर पता चला कि सभी 30 से ज्यादा एस्टिविशर एक माह पहले ही एक्सपायरी हो चुके हैं। इतना ही नहीं पिछले एक साल के दौरान उनका ट्रायल या मेंटेनेंस भी नहीं किया गया, ताकि ये पता चल सके कि वे चालू हैं या नहीं? इस वजह से सभी जाम हो गए हैं। यही वजह है कि मंगलवार को एस्टिविशर चले ही नहीं। अस्पताल की ओपीडी के एक हिस्से में सभी एस्टिविशर एक ही जगह रखे हैं। जांच में सभी एक्सपायरी निकले। बताते हैं केवल दो एस्टिविशर ही चले थे। नए ट्रामा ओटी में फायर फाइटिंग सिस्टम ही नहीं
अग्निकांड के दौरान ये भी खुलासा हुआ कि नए ट्रामा ओटी में फायर फाइटिंग का सिस्टम ही नहीं लगाया गया है। नया ट्रामा ओटी कांप्लेक्स अस्पताल बिल्डिंग के जिस हिस्से में ओपीडी है, उस पर करीब 5 साल पहले बनायी गई है। उसके बाद भी यहां आग बुझाने के लिए कोई सिस्टम ही नहीं बनाया गया है। अग्निकांड के दौरान जब अफसरों का ध्यान इस ओर गया तो वे खुद ही हैरान रह गए। यहां तक कि यहां आग बुझाने के लिए रेत की बाल्टियां तक नहीं रखी गई थी। यही वजह है कि एयर प्यूरीफायर में जब धुंआ उठा तो उसी जगह पर कंट्रोल नहीं किया जा सका। इसलिए देर से पता चला अग्निकांड का
आगजनी जिस ऑपरेशन थियेटर से शुरू हुई वहां से डाक्टर और नर्सिंग स्टाफ अपना काम करके जा चुके थे। ओटी को बंद कर दिया गया था। बंद ओटी में दो एयर प्यूरीफायर रखे थे। एक एयर प्यूरीफायर में शार्ट सर्किट हुआ। उसके बाद उसके बाद उसी ओटी में लगे एसी में शार्ट सर्किट हुआ। इस दौरान ओटी के बाहर मौजूद वार्ड ब्वॉय और अन्य स्टाफ धुंआ देखकर पहुंचे। उन्होंने एयर प्यूरीफायर की आग बुझाने का प्रयास करते हुए अस्पताल प्रशासन के अफसरों को सूचना दी। अस्पताल के अधिकारी तुरंत आए, लेकिन उनके पहुंचने तक धुुंआ इतना भर गया कि कोई भी उस ओटी में घुस नहीं सका। इस दौरान उसके सामने स्थित ओटी में सर्जरी करने वाले डाक्टर फंस गए। इलेक्ट्रिसिटी का होगा ऑडिट, मंत्री ने मांगी रिपोर्ट
अंबेडकर अस्पताल के वार्डों और ओटी में इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम का ऑडिट कराया जाएगा। इसके लिए विद्युत विभाग को पत्र लिख दिया गया है। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी विभाग भी आगजनी के कारणों का पता लगाने जांच करेगा। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मेडिकल कॉलेज के डीन डा. विवेक चौधरी और अधीक्षक डा. संतोष सोनकर से जांच रिपोर्ट मांगी है। अधीक्षक ने बिजली और पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखकर ऑडिट करने का आग्रह किया है। अस्पताल के अधिकारी अब ये भी जांच कर रहे हैं कि फायर ऑडिट हुआ है या नहीं? भर गया था धुआं, तोड़नी पड़ी खिड़की
ओटी में सर्जरी करते फंसे डाक्टर और मरीज को दरवाजे से निकालना संभव नहीं था, क्योंकि इस हिस्से वाले गलियारे में धुआं भर गया था। इस वजह से भीतर फंसे डाक्टरों ने ही फोन पर कहा कि उन्हें ओटी की खिड़की तोड़कर बाहर निकालें। फायर सिस्टम की जांच करेंगे- अधीक्षक
फायर ऑडिट सिस्टम की जांच करवायी जा रही है। मेनुअली उपयोग होने वाले फायर फाइटिंग सिस्टम में गैस खत्म हो गई थी। दो दिन पहले उसकी रिफिलिंग की अनुमति मिली है। उसके आदेश जारी कर दिए गए हैं।
डा. संतोष सोनकर, अस्पताल अधीक्षक

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles