पद्मभूषण से सम्मानित लोक गायिका शारदा सिन्हा की तबीयत खराब है। दिल्ली AIIMS के ICU में उनका इलाज चल रहा है। भास्कर से बातचीत के दौरान शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमन सिन्हा ने कहा कि वह पिछले एक हफ्ते से दिल्ली एम्स में भर्ती है। आज उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई है। बीते 7 दिनों से खाने-पीने में काफी मुश्किल आ रही थी। जिसके बाद उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया था। वो डॉक्टरों की निगरानी में हैं। उनकी हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने शारदा सिन्हा के बेटे से फोन पर बात की। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र की ओर से बेहतर इलाज के लिए हर संभव मदद की जाएगी। बता दें कि इसी साल 22 सितंबर को शारदा सिन्हा के पति ब्रजकिशोर सिन्हा का ब्रेन हेम्ब्रेज के कारण निधन हो गया। शारदा सिन्हा छठ के गीतों के लिए जानी जाती हैं। उनके गाए छठ गीत आज भी लोगों को बेहद पसंद हैं। संगीत में उनके योगदान के लिए 2018 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। शारदा सिन्हा के गायिकी की शुरुआत उनके भाई की शादी में गाए एक गीत से हुई थी। पिता और पति के सहयोग से पूरा हुआ सपना बिहार के सुपौल जिला के हुलसा में 1 अक्टूबर 1952 को जन्मीं शारदा सिन्हा के पिता सुखदेव ठाकुर बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में अधिकारी थे। शारदा सिन्हा को बचपन से ही गाना और डांस का शौक था। बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए उनके पिता ने प्रशिक्षण देने के लिए घर पर शिक्षक रखा था। शारदा सिन्हा की शादी बेगूसराय के दियारा क्षेत्र सिहमा निवासी ब्रजकिशोर सिन्हा से हुई थी। जहां उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए ससुरालवालों के विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन शारदा सिन्हा के पिता और पति ने उनका साथ दिया। अपने आंगन से शुरू किया लोकगीतों का सफर कई भाषाओं के गानों को अपनी आवाज देने वाली शारदा सिन्हा की शुरुआत भाई की शादी में गाए एक गीत से हुई थी। भास्कर को 2 साल पहले दिए अपने इंटरव्यू में इस किस्से को याद कर शारदा सिन्हा ने कहा था- ‘मेरा पहला गीत जो रिकॉर्ड हुआ, वो पहली बार मैंने अपने भैया की शादी में गाया था। ये गाना मैंने भैया से कोहबर द्वार छेकाई का नेग मांगने के लिए गाया था क्योंकि बड़ी भाभी ने बोला कि ऐसे नेग नहीं मिलेगा, गाकर मांगिए। तो मैंने गाया “द्वार के छिकाई नेग पहले चुकैओ, हे दुलरुआ भैया, तब जहिया कोहबर आपन।’ पूरी खबर पढ़िए। 1978 में छठ गीत गाने शुरू किए पहले छठ के गीतों की प्रचलन नहीं था। शारदा सिन्हा ने साल 1978 में पहली बार ‘उगो हो सूरज देव भइल अरघ केर बेर’ रिकॉर्ड किया था। इस गीत को लोगों ने काफी पसंद किया। इतना ही नहीं शारदा सिन्हा ने राजश्री प्रोडक्शन की सुपरहिट फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ का गाना ‘बाबुल जो तुमने सिखाया…’ ,’मैंने प्यार किया’ का गाना ‘कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां…’ जैसे गानों को अपनी आवाज दी। इसे भी पढ़िए…. 72 साल की हुईं बिहार कोकिला शारदा सिन्हा:दिलों पर राज करता है बेगूसराय की बहू के गीत का जादू, पद्म भूषण से सम्मानित ‘कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां…’ से लेकर मैथिली, भोजपुरी, हिंदी गानों को आवाज देने वाली पद्मश्री शारदा सिन्हा आज के समय में किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। बेगूसराय के दियारा स्थित गांव की बहू से लेकर बिहार कोकिला तक का सफर तय करने वाली गायिका आज अपना 72वां जन्मदिन मना रही हैं। उनकी आवाज के दीवानों की लम्बी लिस्ट है। पर्व-त्योहारों के साथ लोक उत्सव, शुभ घड़ी के मौके उनके गानों के बिना अधूरे रहते हैं। उनके जन्मदिन के पर उनके चाहने वालों के लिए उनकी जिंदगी के कुछ अनसुने किस्सों के बारे में बताएंगे। जिसकी जानकारी उनके फैंस को शायद ही हो। पूरी खबर पढ़िए।