24.4 C
Bhilai
Wednesday, October 9, 2024

चीन नाराज हुआ तो अमेरिका ने QUAD को नकारा:फिर 10 साल में क्यों जरूरी हुआ संगठन; बैठक के लिए बाइडेन के स्कूल जाएंगे मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 10 साल के कार्यकाल में 9वीं बार अमेरिका दौेरे पर रवाना हो चुके हैं। वे आज शाम को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के हाई स्कूल में हो रही क्वाड समिट की बैठक में हिस्सा लेंगे। वही क्वाड समिट जो इस साल भारत में होनी थी, पर अमेरिका की रिक्वेस्ट पर इसे होस्ट करने का मौका बाइडेन को दे दिया। QUAD में ऐसा क्या खास है कि बाइडेन ने इसका वेन्यू अपने स्कूल को रखा है, इस संगठन ने 2007 से 2017 तक 10 सालों में अमेरिका के लिए भारत की अहमियत कैसे बढ़ाई… QUAD के जरिए भारत-अमेरिका रिश्तों की कहानी… मैप में QUAD देशों को देखिए 57 फीट ऊंची लहरें, 2 लाख लोगों की मौत और 2007 में बना क्वाड
QUAD 2007 में बना था, लेकिन इसके बनने की कहानी 2004 से शुरू होती है। 26 दिसंबर 2004 को आई सुनामी के चलते जापान, इंडोनेशिया और भारत समेत 14 देशों में 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई। क्रिसमस की अगली सुबह मची इस तबाही में इंडो-पैसिफिक में 57 फीट ऊंची समुद्री लहरें उठीं। विदेश मामलों के एक्सपर्ट हर्ष वी पंत के मुताबिक सुनामी से प्रभावित देशों की मदद के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान ने एक कोर ग्रुप बनाया। इस ग्रुप ने 2005 तक साथ मिलकर काम किया। ये सहयोग कामयाब रहा। फिर 15 दिसंबर 2006 को जापान के दौरे पर गए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दोनों देशों के साझा बयान में कहा, “हम इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समान विचारों वाले देशों के साथ काम करने की इच्छा रखते हैं।” इस बयान के बाद QUAD के गठन की अटकलें शुरू हो गईं। अगस्त 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत दौरे पर आए। उन्होंने भारतीय संसद को संबोधित करते हुए ‘दो महासागरों के संगम ( हिंद महासागर और प्रशांत महासागर)’ की बात कही। इस भाषण ने QUAD की नींव को और पुख्ता कर दिया। मई 2007 में फिलीपींस की राजधानी मनीला में आसियान देशों की एक समिट हो रही थी। इसमें कई दूसरे देशों के नेता और प्रतिनिधि भी शामिल होने पहुंचे थे। इन नेताओं ने आसियान समिट में हिस्सा तो लिया, लेकिन इसके इतर इनमें से कुछ देशों ने एक अलग मीटिंग भी बुलाई। अलग मीटिंग करने वालों में भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के प्रतिनिधि थे। 2007 में हुई इस मीटिंग को QUAD देशों की प्राइमरी (पहली) बैठक के तौर पर जाना गया। इसी साल क्वाड बन तो गया पर इसके उद्देश्य तय हो पाते, इससे पहले ही अमेरिका ने चीन से दोस्ती बढ़ाने के लिए इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। मार्च 2008 में अमेरिकी दौरे पर राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के साथ तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने पूरे दिन मीटिंग की। इस दौरान अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के किसी भी अधिकारी ने QUAD का नाम तक नहीं लिया। अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया ने चीन के लिए क्वाड को साइडलाइन किया, 2009 की बात
भारत और अमेरिका के बीच 1992 में मालाबार युद्धाभ्यास की शुरुआत हुई थी। 2007 में जब QUAD के लिए पहल चल रही थी, उसी साल अप्रैल में हुए इस युद्धाभ्यास में जापान भी शामिल हुआ। मई में QUAD देशों की बैठक के बाद सितंबर में एक बार फिर मालाबार युद्धाभ्यास का आयोजन हुआ, इस बार इसमें भारत, अमेरिका, जापान के अलावा सिंगापुर भी शामिल हुआ। चीन ने इस युद्धाभ्यास का विरोध किया था। उधर जापान में आंतरिक राजनीति के चलते जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को 2007 में ही इस्तीफा देना पड़। शिंजो आबे के प्रधानमंत्री पद से हटने के कारण QUAD को झटका लगा। ऑस्ट्रेलिया में भी सत्ता परिवर्तन हो गया था। 3 दिसंबर 2007 को ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री केविन रुड के नेतृत्व में नई सरकार बनी। फरवरी 2008 में चीन के दौरे पर गए ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री स्टीफन स्मिथ ने ऑस्ट्रेलिया के क्वाड से बाहर आने का ऐलान कर दिया। चीन के विरोध के चलते 2008 के मालाबार युद्धाभ्यास में भी ऑस्ट्रेलिया शामिल नहीं हुआ। वहीं नई ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने भारत को यूरेनियम बेचने के फैसले को भी पलट दिया। अमेरिका भी चीन को नाराज नहीं करना चाहता था। 2005 में अमेरिकी उप विदेश मंत्री रॉबर्ट जोलिन चीन के दौरे पर गए थे। यहां उन्होंने चीन से अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उत्तर कोरिया, ईरान और सूडान को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में लाने के लिए कहा था। अक्टूबर 2006 में उत्तर कोरिया के पहले परमाणु परीक्षण के बाद चीन ही उसे बातचीत की टेबल पर लाया था। इससे इतर 2007 में अमेरिका सबसे ज्यादा आयात चीन से करने लगा था। सस्ता लेबर मिलने के कारण अमेरिकी कंपनियों ने खुद को चीन में स्थापित कर लिया था। इससे उन्हें काफी मुनाफा मिल रहा था। 2008 में चीन, अमेरिका से सबसे ज्यादा कर्ज (600 बिलियन डॉलर) लेने वाला देश बन गया था। उसने जापान को भी पीछे छोड़ दिया था। इसी दौरान 2009 में अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हुआ। ओबामा राष्ट्रपति बने। उन्होंने ईरान और नॉर्थ कोरिया को साधने के लिए चीन को मनाए रखना जरूरी समझा। इसके लिए G2 यानी ग्रुप ऑफ 2 बनाने की बात चली। ओबामा और तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को G2 के आइडिया ने काफी प्रभावित किया। हालांकि ये कभी अमल में नहीं आया। इसके बावजूद ओबामा प्रशासन ने चीन से रिश्ते सुधारने पर जोर दिया और क्वाड को साइडलाइन कर दिया। 2013 में जिनपिंग की सत्ता से अमेरिका में घबराहट
2007 में बंद हुआ QUAD का सफर कई सालों तक थमा रहा। QUAD के पहले फेज में कुछ पुख्ता नहीं हो पाने की बड़ी वजह था चीन, जिसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या भारत कोई भी नाराज नहीं करना चाहता था। वहीं इसके दोबारा बनने की वजह भी चीन ही बना, लेकिन इस बार कहानी पहले से अलग थी। मार्च 2013 में शी जिनपिंग चीन के राष्ट्रपति बने। शी जिनपिंग ने 7 सितंबर 2013 को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट की घोषणा की। चीन अपने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के जरिए पुराने सिल्क ट्रेड रूट की तर्ज पर यूरोप, दक्षिण एशिया और मध्य-पूर्व तक अपनी कनेक्टिविटी को बढ़ाना चाहता था। ये चीन की उस आक्रामक राष्ट्रवादी नीति का हिस्सा था, जो उसने 2008 के आर्थिक संकट के बाद अपनाई थी। दूसरी तरफ चीन ने साउथ चाइना सी में अपने दावों को मजबूत करने के लिए आर्टिफिशियल द्वीप बनाने शुरू कर दिए थे। चीन की इन विस्तारवादी हरकतों ने पूरे हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक के देशों के लिए चुनौती पैदा कर दी। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक चीन ने 2015 में सेना को नए सिरे से तैयार करना शुरू कर दिया। इसके तहत चीन ने नौसेना की क्षमताओं को भी बढ़ाया। चीन के BRI से भारत की भी चिंताएं बढ़ गईं। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में आए और BRI के बावजूद चीन से रिश्ते सुधारने की कोशिश की। वे अपने पहले कार्यकाल में 5 बार चीन गए। 2017 आया, अमेरिका ने 10 साल बाद क्वाड जिंदा किया, भारत की अहमियत पहचानी
मोदी के चीन से रिश्ते सुधारने की कोशिशों के बावजूद 2017 में चीन ने डोकलाम में घुसपैठ की कोशिश की। इसके अलावा न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (NSG) में भारत की सदस्यता को लेकर भी चीन ने 2018 में वीटो कर दिया। भारत इस ग्रुप की सदस्यता के लिए चीन का समर्थन चाह रहा था, जिसके लिए 2016 में अप्लाई किया था। उधर ऑस्ट्रेलिया के संबंध भी चीन के साथ खराब हो रहे थे। दोनों देशों के बीच नवंबर 2014 में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर साइन हुए थे। 2015 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने अपने डार्विन बंदरगाह को 99 साल के लिए एक चीनी कंपनी को लीज पर दे दिया। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री से कहा था, “अगली बार आप कुछ ऐसा करें तो, पहले हमें बताएं।” दरअसल, अमेरिका डार्विन बंदरगार का हर साल अपने सैन्य अभियानों के लिए इस्तेमाल करता था। 2017 में ऑस्ट्रेलिया ने देश की राजनीति में बढ़ते चीनी प्रभाव को कम करने के लिए बाहरी देशों से मिलने वाले चंदे पर रोक लगा दी। अगस्त 2018 में ऑस्ट्रेलिया ने 5जी ब्रॉडबैंड नेटवर्क के लिए तकनीकी उपकरणों की खरीद से सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए चीनी कंपनी हुआवे को बैन कर दिया। इस तरह 2010 के दशक में QUAD के सभी सदस्यों के चीन के साथ संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए। इससे इन देशों को एक बार फिर साथ आने पर सोचने के लिए मजबूर किया। ट्रम्प की सत्ता में मेकिंग ऑफ QUAD 2.0
QUAD 2.0 के गठन के लिए लगभग एक दशक का इंतजार करना पड़ा। चीन के बढ़ते प्रभाव और QUAD सदस्यों के साथ उसके बिगड़ते रिश्तों ने QUAD 2.0 के लिए जमीन तैयार करने का काम किया। 2017 में फिलीपींस की राजधानी मनीला में हुई आसियान देशों की बैठक के दौरान QUAD देशों के नेताओं ने एक मीटिंग की। इस मीटिंग में खुद भारतीय प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मेलकॉम टर्नबुल ने हिस्सा लिया। इस मीटिंग में चारों नेताओं के बीच QUAD को एक बार फिर शुरू करने पर सहमति बनी। इसके बाद सितंबर 2019 में चारों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। इस बैठक के बाद माना जा रहा था कि 2020 में QUAD देशों के नेताओं की पहली आधिकारिक मुलाकात होगी। लेकिन कोविड की वजह से ये मीटिंग वर्चुअली करनी पड़ी। मार्च 2021 में पहली बार QUAD देशों के शीर्ष नेताओं के बीच आधिकारिक मीटिंग हुई। इस तरह लगभग डेढ़ दशक तक चली कोशिशों के बाद QUAD के बनने का सफर पूरा हुआ। 10 साल में अमेरिका ने चीन को टक्कर देने के लिए भारत से रिश्तों को मजबूत किया। ट्रम्प के प्रशासन में ही अमेरिका ने हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक फैले इलाके को इंडो-पैसिफिक नाम दिया। जबकि इससे पहले अमेरिका इस इलाके को एशिया-पैसिफिक कहता था। अमेरिका हर हाल में चीन के विस्तार को रोकना चाहता है, इसके लिए भारत का साथ जरूरी है। यही वजह है कि ट्रम्प के वक्त फिर से जिंदा किए गए क्वाड पर उनके विरोधी बाइडेन ने भी उतना ही फोकस किया।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles