छत्तीसगढ़ राज्योत्सव कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज आदिवासियों को निशाना बनाया जा रहा है। आस्था के नाम पर धर्म परिवर्तन का घिनौना काम हो रहा है। हमें सजग रहने की जरूरत है, नहीं बहुत देर हो जाएगी। वहीं साय ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में शांति स्थापित कर लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ की पूर्ण भूमि में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। माओवाद के खिलाफ लड़ रहे हैं। नक्सलवाद अंतिम सांस गिन रहा रहा है। कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल रमेन डेका और सीएम साय ने 36 हस्तियों को सम्मानित किया। इस दौरान उपराष्ट्रपति खुद डॉ. सत्यभामा आडिल का हाथ पकड़कर उन्हें मंच पर लाए और उनका सम्मान किया। राजनीति में ऐसी सर्जरी की किसी को दर्द नहीं हुआ इस दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 36 लोगों का सम्मान अद्भुत है, जिसे देख मुझे ऊर्जा मिली है। धनखड़ ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन राज्य छत्तीसगढ़,उत्तराखंड और झारखंड इस देश को भेंट किया। राजनीति में ऐसी सर्जरी की किसी को दर्द नहीं हुआ। किसी को पीड़ा नहीं हुई। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी हजारों साल पुरानी परंपरा है, जिस पर धनबल और संस्थागत तरीके से प्रहार हो रहा है। समाज में भ्रांतियां फैलाई जा रही है। हमारे आदिवासी भाई बहनों को निशाना बनाया जाता है। समाज को ऐसी मानसिकता के खिलाफ सजग रहने की जरूरत है। 10 लाख करोड GDP पहुंचाने का लक्ष्य वहीं CM साय ने राज्य स्थापना दिवस पर कहा कि हम विकास के नए लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। 2028 तक राज्य की जीडीपी को 10 लाख करोड रुपए करने का लक्ष्य रखा है। राज्य में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नई उद्योग नीति ला रहे हैं। स्टार्टअप और नवाचार को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हम बस्तर ओलिंपिक का आयोजन कर रहे बस्तर के युवाओं को विकास की मूल धारा से जोड़ने और वहां की खेल प्रतिभा को सामने लाने के उद्देश्य से हम बस्तर ओलिंपिक का आयोजन कर रहे हैं। इसे लेकर बस्तर के युवाओं में जबरदस्त उत्साह है। 1 लाख 65 हजार से अधिक युवाओं ने इसके लिए पंजीयन कराया है। रंगमंच कलाकार योग मिश्रा ने जताई नाराजगी वहीं रंगमंच कलाकार योग मिश्रा ने हबीब तनवीर सम्मान से किसी भी हस्तियों को सम्मानित नहीं करने से सरकार पर नाराजगी जताई। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि राज्य सरकार ने हबीब तनवीर सम्मान के लिए विज्ञापन जारी किया था। रंगमंच से जुड़े लोगों ने आवेदन भी किया, लेकिन सम्मान की घोषणा नहीं की गई।उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए रंगमंच से जुड़े कलाकारों की अनदेखी बताया। बुटलूराम माथरा को भी किया गया सम्मानित राज्योत्सव के समापन पर नारायणपुर के बुटलूराम को भी सम्मानित किया गया। हाल ही में ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 115वें ऐपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी तारीफ की थी। उन्हें शहीद वीर नारायण सम्मान से नवाजा गया है। पीएम मोदी ने कहा था कि, बुटलूराम माथरा अबूझमाड़िया जनजाति की लोक कला को संरक्षित करने में जुटे हैं। उनकी यह कला ‘‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं’’ और ‘‘स्वच्छ भारत’’ जैसे अभियान से लोगों को जोड़ने में भी बहुत कारगर रही है। ऐसे कार्य समाज को प्रेरित करते हैं- PM बुटलूराम माथरा पिछले चार दशकों से जनजातीय लोककला के संरक्षण में सक्रिय हैं। उनके प्रयासों ने न केवल स्थानीय संस्कृति को जीवित रखा है, बल्कि उन्होंने अपनी कला के माध्यम से सामाजिक अभियानों को भी बढ़ावा दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि, ऐसे कार्य समाज को प्रेरित करते हैं। देश की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने में सहायक होते हैं। बुटलूराम ने 5वीं तक की है पढ़ाई बुटलूराम माथरा ने बताया कि, उन्होंने 5वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। मुख्य पेशे के तौर पर कृषक होने के नाते, वे बांस की कला कृतियों के माध्यम से कई तरह के यंत्र बनाते हैं। उनकी यह अनोखी कला न केवल उनकी पहचान है, बल्कि इससे वे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं। उनकी कृतियों में बांस की सजावट, बर्तन और अन्य यांत्रिक उपकरण शामिल हैं, जो न केवल सुंदरता में वृद्धि करते हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। बुटलूराम का मानना है कि कला समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। इससे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया जा सकता है।