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Tuesday, December 3, 2024

जापानी संगठन निहोन हिदांक्यो को नोबेल पीस प्राइज:इसमें हिरोशिमा-नागासाकी हमले के पीड़ित शामिल, परमाणु हथियार मुक्त दुनिया बनाने की मुहिम चलाई

जापान के संगठन निहोन हिदांक्यो को इस साल शांति के लिए नोबेल प्राइज से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान दुनिया में परमाणु हथियारों के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए दिया गया है। इस संगठन में वे लोग शामिल हैं जो दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले में जीवित बचे थे। इन्हें हिबाकुशा कहा जाता है।ये हिबाकुशा दुनिया भर में अपनी पीड़ा और दर्दनाक यादों को निहोन हिदांक्यो संगठन के जरिए साझा करते हैं। नोबेल कमेटी ने कहा कि एक दिन परमाणु हमले को झेलने वाले ये लोग हमारे पास नहीं रहेंगे, लेकिन जापान की नई पीढ़ी उनकी याद और अनुभवों को दुनिया के साथ साझा करती रहेगी और उन्हें याद दिलाती रहेगी कि परमाणु हथियार दुनिया के लिए कितने खतरनाक हैं। हाइड्रोजन बमों की टेस्टिंग के बाद बना संगठन
निहोन हिदांक्यो संगठन की स्थापना 1956 में परमाणु और हाइड्रोजन बमों के खिलाफ हो रही दूसरी वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस के दौरान हुई थी। अमेरिका ने 1954 में हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया था इसके विरोध में 1955 में वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई थी। 1945 में हुए परमाणु हमलों के लगभग 10 साल बाद भी पीड़ितों को अमेरिका की तरफ से कोई मदद नहीं मिली थी। अमेरिकी सेना ने पीड़ित लोगों पर परमाणु हमलों के बारे में कुछ भी बोलने और लिखने को लेकर रोक लगा रखी थी। संगठन ने अपनी स्थापना के बाद से हिबाकुशा (पीड़ित लोगों) के समूहों को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भेजा, जिससे दुनिया के लोगों को परमाणु हथियारों से होने वाले भयानक नुकसान और मानव पीड़ा के बारे में बताया जा सके। संगठन ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि दुनिया में कहीं भी और हिबाकुशा न बनाए जाएं, और दुनिया ‘परमाणु हथियार-मुक्त’ बन सके। 80 साल पहले हिरोशिमा और नागासाकी पर हुआ था परमाणु हमला 6 अगस्त 1945 को 8 बजकर 15 मिनट पर अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर एलोना गे विमान से परमाणु बम गिराया था। 43 सेकेंड हवा में रहने के बाद ये फट गया था। इसके तुरंत बाद एक बड़ा आग का गोला उठा था और आसपास का तापमान 3000 से 4000 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था। विस्फोट से इतनी तेज हवा चली कि 10 सेकेंड में ही ये ब्लास्ट पूरे हिरोशिमा में फैल गया था। धमाके के चंद मिनट के अंदर ही 70 हजार लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले के 3 दिन बाद अमेरिका ने नागासाकी पर भी परमाणु बम गिराया था। इस बम को फैट मैन नाम दिया गया था। वहीं हिरोशिमा पर गिरे बम का नाम लिटिल बॉय था। 4500 किलो वजनी फैट मैन 6.5 किलो प्लूटोनियम से भरा हुआ था। नागासाकी में बम करीब 11:02 बजे फटा था। इस हमले में 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। न्यूक्लियर हमले के बाद जापान ने समर्पण कर दिया था और दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो गया था। ईरान की जेल में बंद नरगिस को 2023 में मिला था नोबेल 2023 में ईरान की महिला पत्रकार और एक्टिविस्ट नरगिस मोहम्मदी को नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह प्राइज महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए लड़ने पर मिला था। नोबेल कमेटी ने पीस प्राइज की घोषणा ईरान की महिलाओं के नारे जन-जिंदगी-आजादी के साथ की थी। 51 साल की नरगिस ईरान की एवान जेल में कैद हैं। उन्हें अब तक 13 बार गिरफ्तार किया जा चुका है। आखिरी गिरफ्तारी के बाद नरगिस को 31 साल की जेल और 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई थी। जून 2023 में न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में नरगिस ने कहा था कि उन्होंने 8 साल से अपने बच्चों को नहीं देखा है। उन्होंने आखिरी बार अपनी जुड़वा बेटियों अली और कियाना की आवाज 2022 में सुनी थी। अब तक 111 लोगों को मिला शांति का नोबेल नोबेल पीस प्राइज की शुरुआत 1901 में हुई थी। अब तक यह सम्मान 111 लोग और 31 संस्थाओं को मिला है। महात्मा गांधी को 5 बार नॉमिनेट किए जाने के बाद भी नोबेल पीस प्राइज नहीं दिया गया। इस पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। 1937 में नोबेल प्राइज कमेटी के एडवाइजर रहे जेकब वॉर्म-मुलर ने कहा था- गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, आदर्शवादी, राष्ट्रवादी और तानाशाह हैं। वो कभी एक मसीहा लगते हैं, लेकिन फिर अचानक एक आम नेता बन जाते हैं। वो हमेशा शांति के पक्ष लेने वालों में नहीं रहे। उन्हें पता होना चाहिए था कि अंग्रेजों के खिलाफ उनके कुछ अहिंसक अभियान हिंसा और आतंक में बदल जाएंगे। जेकब की इस रिपोर्ट के बाद कमेटी ने महात्मा गांधी को शांति के लिए नोबेल प्राइज नहीं देने का फैसला किया। ये इकलौता मौका नहीं था, इसके बाद भी 4 बार 1938, 1939, 1947 और 1948 में गांधी को नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया था। हालांकि, हर बार उनका नाम हटा दिया गया। ————————————————– नोबेल प्राइज 2024 से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… साउथ कोरिया की हान कांग को साहित्य का नोबेल:इंसानी जीवन के बिखराव और ट्रॉमा को कहानियों में पिरोने के लिए मिला सम्मान साउथ कोरिया की हान कांग को साहित्य के नोबेल प्राइज मिला। उन्हें जीवन की मार्मिक कहानियों को खूबसूरत अंदाज में पेश करने के लिए सम्मान मिला है। हान कांग ने 1993 में अपने करियर की शुरुआत कविताएं लिखने के साथ की थी। 1995 में उन्होंने कहानियां लिखना शुरू कर दिया था। पूरी खबर पढ़ें… AI के गॉडफादर और अमेरिकी वैज्ञानिक को फिजिक्स का नोबेल:मशीनों में सोचने की समझ पैदा करने के लिए मिला सम्मान फिजिक्स में 2024 का नोबेल प्राइज AI के गॉडफादर कहे जाने वाले जैफ्री ई. हिंटन और अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन जे. होपफील्ड को मिला है। उन्हें मशीन लर्निंग से जुड़ी नई तकनीकों के विकास के लिए ये सम्मान दिया गया है जो आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स पर आधारित है। इससे मशीनों को इंसानी दिमाग की तरह सोचना और समझना सिखाया जाता है। पूरी खबर यहां पढ़ें… मेडिसिन का नोबेल दो अमेरिकी वैज्ञानिकों को:माइक्रो RNA की खोज के लिए मिला सम्मान, ये कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों की पहचान में मददगार नोबेल प्राइज 2024 के लिए विजेताओं की घोषणा सोमवार, 7 अक्टूबर से शुरू हुई। पहले दिन मेडिसिन या फिजियोलॉजी के क्षेत्र में नोबेल प्राइज की घोषणा की हुई। 2024 के मेडिसिन का नोबेल प्राइज विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को मिला है। उन्हें ये प्राइज माइक्रो RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) की खोज के लिए दिया गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

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