रायपुर शहर में होने वाली बड़ी नाइट पार्टियों में अचानक चॉकलेट केक और बर्फी की डिमांड बढ़ गई। सोशल मीडिया के जरिए पार्टियों के इनविटेशन सार्वजनिक होते और महंगे टिकट बिकते। पुलिस की नजर पड़ी तो ड्रग्स कारोबार की परतें खुलने लगीं। पुलिस खुद ग्राहक बनकर सप्लायर प्रोफेसर गैंग के गुर्गों तक पहुंची। जिम्मी उर्फ शुभम सोनी को पकड़ा और चॉकलेट केक (MDMA), बर्फी (चरस) और पिस्टल बरामद हुई। उसकी निशानदेही पर अभिषेक साहू, गन सप्लायर सोनू अग्रवाल भी गिरफ्तार हुए। आरोपियों से पूछताछ में पता चला रसूखदारों की डिमांड पर नीला पत्ता और जालिम भी सप्लाई करते थे। युवाओं को कैसे किया जा रहा टारगेट? क्या हैं ड्रग्स के कोड-वर्ड और बड़े शहर क्यों बन रहे ‘उड़ता पंजाब’? पढ़िए इनसाइड स्टोरी…… पहले जानिए क्या है MDMA ड्रग्स और 3 ग्राफिक्स में समझिए कितना खतरनाक है… MDMA यानी मिथाइलीनडाइऑक्सी मेथाम्फेटामाइन (MDMA) या मेफेड्रोन या एक्सटेसी। एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती और जया शाह की वॉट्सऐप चैट से इसकी चर्चा शुरू हुई। इसके एक ग्राम की कीमत करीब 15 हजार रुपए है। नशा करने वालों के बीच इसके और भी कोड नेम है। इसे लेने के बाद दिमाग में नशा चढ़ता है। मदहोशी आती है। अधिकतर लोग इसे मस्ती के लिए लेते हैं। ज्यादा मात्रा में एक साथ लेने पर यह जान के लिए खतरा तक बन सकती है। 3 केस जब रायपुर में पकड़े गए सप्लायर, बरामद हुआ ड्रग्स हालांकि पुलिस ज्यादातर मामलों में कैरियर और लोकल सप्लायर तक ही पहुंच पाती है। फरवरी 2024 से अगस्त 2024 तक पुलिस ने NDPS मामले में 150 से ज्यादा प्रकरण दर्ज करके 204 लोगों की गिरफ्तारी की है। लेकिन सरगना तक नहीं पहुंच पाई। युवाओं को टारगेट बनाने के लिए होती हैं पार्टियां एक पुलिस अफसर ने बताया-ड्रग डीलर कारोबार बढ़ाने के लिए नाइट पार्टियों का सहारा लेते हैं। पार्टी में एंट्री फीस बहुत अधिक होती है, लेकिन लड़कियों को फ्री एंट्री दी जाती है। पार्टी में जमकर जाम छलकते है और ड्रग्स की भी खरीद फरोख्त होती है। अब जानिए क्या है कोड-वर्ड, जिनसे मिल रहा ड्रग्स… पुलिस पूछताछ में गिरफ्त में आए आरोपियों ने बताया कि, कोड-वर्ड बताने पर ही सप्लायर को ड्रग्स दिया जाता था। सप्लायर से वॉट्सऐप के माध्यम से संपर्क करता था और पैसे एडवांस लेने के बाद ही सामान की डिलीवरी देने पहुंचता था। रायपुर में ड्रग्स का करोड़ों का कारोबार रायपुर ASP दौलत राम पोर्ते के अनुसार, वॉट्सऐप के जरिए सौदेबाजी होती है। बिगड़ैल रईसजादों का मैसेज मिलते ही उसके बताए ठिकाने पर ड्रग्स छोड़ा जाता है। रायपुर में ड्रग सिंडिकेट का करोड़ों का कारोबार है। रसूखदारों के संरक्षण धड़ल्ले से चल रहा है। ड्रग्स के बारे में जानकारी रखने वाले एक अफसर ने बताया- रायपुर में ड्रग्स के लती पान मसाले में इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें ड्रग्स आसानी से मिले, इसलिए नशे का कारोबार करने वालों को ब्याज में पैसा देकर काम करवा रहे हैं। पुलिस के हत्थे चढ़े प्रोफेसर गैंग के सदस्यों ने बताया था- 2 साल में रायपुर के अलावा बिलासपुर, भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव में ड्रग्स की डिमांड तेजी से बढ़ी है। स्मैक ड्रग्स में MD का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया जा रहा है। इसके अलावा गांजा, डोडा, चरस और नशीली गोलियों की भी डिमांड है। बार्डर के शहर बने डंपिंग यार्ड पुलिस अधिकारियों के अनुसार, दूसरे राज्यों से प्रतिबंधित दवाइयां मंगवाने वाले कारोबारियों ने शहर के आउटर या बॉर्डर वाले शहर स्टॉक डंप करवा रहे हैं। दिखावे के लिए उन्होंने छोटे-छोटे मेडिकल स्टोर खोलकर रखें हैं, ताकि किसी को शक न हो। नशे के कारण बढ़ रहे अपराध रायपुर सहित प्रदेश भर में मामूली विवाद पर चाकूबाजी, लूट, मारपीट, हत्या, चोरी के साथ घरेलू हिंसा के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अधिकांश घटनाओं में आरोपी नशे के आदी पाए गए है। दो दिन पहले ही मरीन ड्राइव में 50 रुपए के लिए कलेक्ट्रेट के ड्राइवर की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस के अलावा ड्रग विभाग को भी जांच की जिम्मेदारी प्रदेश में नशीली दवाइयों पर शिकंजा कसा जा सके इसके लिए 10 साल पहले ड्रग विभाग का सेटअप स्वीकृत किया गया था। प्रदेश भर में 11 हजार से ज्यादा मेडिकल स्टोर्स है, इनकी जांच केवल 90 ड्रग इंस्पेक्टर के भरोसे है। स्टाफ की कमी के चलते साल में एक या दो बार जांच होती है।