‘मेरी शादी के कुछ साल बाद पति ने घर, परिवार सब छोड़ दिया। लगभग 15 से 20 साल पहले नक्सलियों के साथ जाकर मिल गया। परिवार की जिम्मेदारी उठाने के बजाए उसने अपने हाथों में हथियार उठा लिए। अब बच्चे पिता की शक्ल तक नहीं जानते हैं। पुलिस के हाथों पति मुठभेड़ में मारा गया है, लेकिन हमें इसका कोई गम नहीं है।’ यह कहना है 8 लाख रुपए के इनामी हार्डकोर नक्सली सुरेश उर्फ जानकू की पत्नी टूबरी का… ये नारायणपुर जिले के छोड़े फरसगांव में अपने ससुराल में रहती है। 4 अक्टूबर को एनकाउंटर में 31 नक्सली मारे गए, इनमें इसका पति नक्सली सुरेश भी शामिल था। अब पुलिस के कहने पर परिवार वाले उसका शव लेने दंतेवाड़ा पहुंचे हैं। अचानक घर से निकला, वापस आया तो हाथों में हथियार था टूबरी ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि, माता-पिता ने सुरेश से उसकी शादी करवाई थी। शुरुआत में वह घर की जिम्मेदारी संभाल रहा था। 1 बेटा समेत 3 बच्चे भी हुए, पति खेती-किसानी करने जाता था। घर की जिम्मेदारी संभाल रहा था, परिवार खुश था। करीब 15 से 20 साल पहले वह एक दिन रात में घर से निकलकर कहीं चला गया। अगले दिन उसे खोजने निकले लेकिन उसका पता नहीं चला। एक हफ्ते बाद जब वह घर लौटा तो उसके हाथों में हथियार और जिस्म में काली वर्दी थी। उसने बताया कि वह नक्सली बन गया है। परिवार को, मुझे, बच्चों को घर में अकेला छोड़ दिया है। हमने उसे बहुत रोका, लेकिन नहीं माना। उस दिन के बाद से वो कभी लौटकर घर नहीं आया। हमें उम्मीद थी कि उसे अपने बच्चों की याद आएगी, वो घर जरूर आएगा, लेकिन दिन गुजरता गया। जब वह कुछ सालों तक नहीं लौटा तो फिर हमने भी उम्मीद छोड़ दी। पत्नी बोली- उसने गलत रास्ता चुना नक्सली की पत्नी ने कहा कि, उसके जाने के बाद 3 बच्चों की परवरिश मैंने खुद की। बच्चों को पिता की शक्ल तक याद नहीं है। अब 15-20 साल बाद खबर आई कि उसका एनकाउंटर हो गया है, वह मारा गया है। हमें गम नहीं है क्योंकि उसने परिवार को छोड़कर गलत रास्ता चुन लिया था। पुलिस के कहने पर शव लेने आए हैं। ले जाकर अंतिम संस्कार करेंगे। भाई बोला- मुझे पहले सोशल मीडिया से मिली थी जानकारी सुरेश के भाई संतुराम का कहना है कि भाई नक्सल संगठन में क्यों चला गया ये हमें नहीं पता। घर से जाने के बाद वह कभी मिलने नहीं आता था। उसकी मौत की खबर मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से मिली।
संगठन का लेखा-जोखा रखता था सुरेश सुरेश माओवादी संगठन में DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर) कैडर का था। इस पर करीब 8 लाख रुपए का इनाम घोषित था। ये नक्सलियों की पूर्वी बस्तर डिवीजन कमेटी के आमदई इलाके में सक्रिय था। इंसास राइफल, SLR समेत अन्य हथियार चलाता था। नक्सल सूत्रों के मुताबिक सुरेश उर्फ जानकू काफी उम्र दराज था। सीनियर कैडर का था, इसलिए बड़े कैडर्स के नक्सली इस पर ज्यादा भरोसा करते थे। नक्सल संगठन का लेखा-जोखा भी यही रखता था। छत्तीसगढ़ में एनकाउंटर से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… मकड़ी से सीखकर नक्सलियों को जाल में फंसाया:छत्तीसगढ़ में 60 से ज्यादा जवानों की हत्यारी ‘निर्मला’ भी ढेर; नक्सल ऑपरेशन की कहानी पार्ट-2 छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा-नारायणपुर बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने 31 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया। ये देश में नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन है। इस ऑपरेशन की रणनीति की इंस्पिरेशन मकड़ी है। एनकाउंटर में नक्सलियों के DKSZC कैडर की नीति उर्फ निर्मला भी मारी गई है। उस पर 25 लाख का इनाम था। इस खूंखार महिला नक्सली ने अलग-अलग मुठभेड़ में 60 से ज्यादा जवानों की हत्या की थी।पूरी खबर पढ़ें…