छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा स्थित जिला अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन में गड़बड़ी की वजह से 16 मरीजों की आंख संक्रमित हो गई। इस मामले में एक्शन लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सर्जन डॉक्टर समेत 3 कर्मचारियों को सस्पेंड और 2 की सेवा समाप्त कर दी गई लेकिन मरीजों को दी गई दवाओं की जांच अब तक नहीं हुई है। प्रदेश में इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई बल्कि रमन कार्यकाल में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। सभी मामलों में सबसे पहले स्वास्थ्य विभाग ने ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर्स और उनकी टीम पर एक्शन लिया। अधिकतर केसों में मरीजों को दी जाने वाली सब स्टैंडर्ड दवा को संक्रमण का कारण बताया गया, जिसकी तरफ अब तक स्वास्थ्य विभाग का ध्यान नहीं गया है। छत्तीसगढ़ में हुए मोतियांबिंद कांड की जानकारी एक नजर में केस- 1 जिला बालोद, साल- 2011 22 सितंबर 2011 को मोतियाबिंद ऑपरेशन में लापरवाही के चलते 48 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। चार मरीजों की मौत भी हुई थी। घटनाक्रम के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक्शन लेते हुए 6 लोगों को सस्पेंड किया था। केस- 2 जिला दुर्ग, साल-2012 बालोद में मोतियाबिंद ऑपरेशन फेल होने और लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइन जारी कर सावधानी बरतने का निर्देश दिया था। इसके बाद भी साल 2012 में 11 अप्रैल को ऑपरेशन के बाद तीन मरीजों की आंख की रोशनी चली गई। हालांकि 12 मरीजों को इलाज के बाद दिखना शुरू हो गया। मामले में तत्काल डॉक्टरों पर कार्रवाई हुई, लेकिन जब जांच हुई, तो पता चला कि ऑपरेशन के बाद जो मरीजों को दवाएं दी गई थी, वो सब स्टैंडर्ड थी। केस- 3 जिला महासमुंद, साल- 2012 रायपुर से लगे महासमुंद जिले में मोतियाबिंद ऑपरेशन साल 2012 में फेल होने की जानकारी सामने आई थी। बागबहारा इलाके के सीएचसी में 145 मरीजों का ऑपरेशन किया गया था, जिसमें से 15 मरीजों की आंख संक्रमित हुई थी। संक्रमण की जानकारी होने पर डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया, तो 9 मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी थी। मामले में सीनियर सर्जन समेत पांच कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया था। केस- 4 जिला राजनांदगांव, साल- 2018 साल 2018 में राजनांदगांव के क्रिश्चियन अस्पताल में मरीजों का ऑपरेशन किया गया था, जिनमें से 40 मरीजों की आंखों में सक्रमण फैला था। स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता की चलते तत्काल इलाज शुरू किया और सभी मरीजों की आंखों की रोशनी बचाई गई। इस घटनाक्रम के बाद अस्पताल का लाइसेंस छह माह के लिए सस्पेंड किया गया था। नेत्र विशेषज्ञों की टीम जल्द रिपोर्ट सौंपेगी दंतेवाड़ा कांड में इलाज के दौरान क्या-क्या लापरवाही बरती गई? मरीजों की आंखों में इन्फेक्शन कैसे हुआ? इस बात का पता लगाने के लिए अखिल भारतीय नेत्र विशेषज्ञ संगठन की ओर से तीन रेटीना सर्जरी एक्सपर्ट डॉक्टरों का पैनल छत्तीसगढ़ पहुंचा। इस पैनल में नागपुर, सूरत और हैदराबाद के एक्सपर्ट डॉक्टर्स शामिल हैं। टीम मरीजों से मिली जांच के बाद अब इस घटना की पूरी रिपोर्ट बनाकर सौंपेगी। डॉक्टर प्रक्रिया का हिस्सा, कार्रवाई में जल्दबाजी: डॉ. दिनेश मिश्रा मोतियाबिंद ऑपरेशन फेल होने के बाद शासन की कार्रवाई को नेत्र विशेषज्ञ डॉ दिनेश मिश्रा ने जल्दबाजी बताया है। दैनिक भास्कर से चर्चा के दौरान डॉ. मिश्रा ने कहा, कि डॉक्टर ऑपरेशन प्रक्रिया का हिस्सा है। पूरे केस में ओटी, दवाओं और ऑपरेशन प्रक्रिया की जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जानी चाहिए। कांग्रेस ने अध्यक्ष को सौंपी रिपोर्ट दंतेवाड़ा कांड में पीड़ितों को न्याय दिलाने और पूरे मामले का पता लगाने के लिए कांग्रेस ने जांच कमेटी का गठन किया है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को सौंप दिया है। रिपोर्ट देखने के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने मंगलवार की शाम पीड़ित मरीजों से मुलाकात भी की थी। कांग्रेस जांच कमेटी के सदस्य डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया, कि मरीजों और उनके परिजनों से चर्चा की है, और जिस अस्पताल में घटना हुई, वहां का मुआयना किया है। जांच के दौरान SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) का पालन नहीं होने की आशंका है। जो दवा ऑपरेशन के पहले और बाद में मरीजों को दी गई, उसके बैच नंबर की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिए। दंतेवाड़ा के मरीजों का इलाज रायपुर में संक्रमित मरीजों को दंतेवाड़ा से रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। इनमें में से चार मरीजों की आंख में एंटरोबैक्टर बैक्टीरिया डॉक्टर्स को मिले हैं। इसके अलावा अन्य मरीजों की आंखों की सूजन कम होने के बाद जांच करने की बात डॉक्टर्स कह रहे हैं। ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों में संक्रमण के कारणों का विस्तार से पता लगाया गया, जिसमें अधिकांश मामलों में सब स्टैंडर्ड दवा का इस्तेमाल करने और इसमें SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) का पालन नहीं होने की बात सामने आई। दंतेवाड़ा कांड में भी कांग्रेस ने दवा सब स्टैंडर्ड के इस्तेमाल होने और एसओपी की गाइड लाइन का पालन नहीं होने का अंदेशा जताया है। कांग्रेस ने पूरे प्रकरण में विभाग की ओर से मरीजों को दी गई दवाओं की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है। दंतेवाड़ा मोतियाबिंद कांड से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… मोतियाबिंद ऑपरेशन में गड़बड़ी..10 को दिखना बंद:दंतेवाड़ा से रायपुर रेफर हुए हैं आदिवासी बुजुर्ग; डॉक्टर-नर्स, अधिकारी सस्पेंड; कांग्रेस ने बताया अंखफोड़वा कांड-2 छत्तीसगढ़ में मोतियाबिंद के गलत ऑपरेशन से 10 आदिवासी बुजुर्गों को दिखना बंद हो गया है। 22 अक्टबूर को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में 20 लोगों का ऑपरेशन हुआ था। सर्जरी के बाद 10 बुजुर्गों को आंख में खुजली, दर्द और ना दिखने की शिकायत हुई। आनन-फानन में दंतेवाड़ा के सरकारी डॉक्टर्स ने मरीजों को 24 अक्टूबर को रायपुर के अंबेडकर हॉस्पिटल रेफर कर दिया। इसके बाद रविवार को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी अस्पताल पहुंचे और मरीजों का हाल-चाल जाना तब मामला गरमा गया। पढ़े पूरी खबर…. 39 मरीजों का हुआ ऑपरेशन, 14 के आंखों में दिक्कत:दंतेवाड़ा अस्पताल में OT वार्ड किया गया बंद; MLA बोले- ऑपरेशन में हुई लापरवाही दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में कुल 39 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया। अब 14 लोगों की आंखों में दिक्कत आ गई है। ऑपरेशन के बाद अब किसी को एक आंख से पूरी तरह दिखना बंद हो गया है तो किसी को धुंधला दिख रहा है। इनमें से 10 लोगों को पहले ही रायपुर रेफर कर दिया गया था। अब अन्य 4 मरीजों को रायपुर रेफर किया गया है। यहां पढ़ें पूरी खबर