छत्तीसगढ़ के धमतरी के गंगरेल में आयोजित दो दिवसीय जल जगार महोत्सव का 6 अक्टूबर को अंतिम दिन रहा। दूसरे दिन ड्रोन शो का आयोजन किया गया। इस दौरान महादेव और भारत का नक्शा जैसी अनेक आकृतियां ड्रोन के माध्यम से आसमान पर बनाई गई, जिस देख हर कोई हैरान रह गया। दूसरे दिन बतौर मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ विधानसभा के स्पीकर और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह शामिल हुए। डॉ रमन सिंह के साथ पीएचई मंत्री अरुण साहू भी साथ में महासमुंद और कांकेर लोकसभा के सांसद भी बतौर अतिथि शामिल हुए। कार्यक्रम में डॉ रमन सिंह ने पानी का महत्व बताया। 300 फीट खोदने पर भी पानी नहीं मिल रहा उन्होंने आंकड़े देते हुए कहा कि धमतरी डबल फसल वाला इलाका है, यहां 40 साल पहले 40-50 फीट की गहराई में भू-जल मिल जाता था, लेकिन अब 300 फीट खोदने पर भी पानी नहीं मिल रहा है। यह गंभीर संकट का संकेत है। अब्दुल रहीम खानखाना के दोहे का दिया उदाहरण रमन सिंह ने मध्यकालीन कवि अब्दुल रहीम खान खाना के प्रसिद्ध दोहे को फिर से मंच पर दोहराया, जिसमें कहा गया है कि रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चुन। उन्होंने कहा कि 16वीं शताब्दी में ही जानकार लोगों ने पानी का महत्व समझ लिया था और उसे दूर से ही पानी को बचाकर रखने के संदेश लगातार दिए जा रहे हैं, और आज स्थिति यहां तक पहुंच गई कि अब तुरंत नहीं जागे तो भविष्य बहुत तकलीफ देह हो सकता है। राजनीति में कई लोगों का पानी उतर चुका- सिंह उन्होंने आयोजन की सराहना की। पत्रकारों के सवाल क्या रहीम के दोहे के मुताबिक पानी का जो एक और अर्थ है यानी कि सम्मान को लें तो क्या राजनीति में भी जल जगार की जरूरत है..? इस पर उन्होंने कहा कि पानी उतर गया तो बच क्या गया भाई..उन्होंने ये भी जोड़ा की राजनीति में कई लोगों का पानी उतर चुका है। पानी और पौधों का संरक्षण बेहद जरूरी रमन सिंह ने वैश्विक आंकड़ों को बताते हुए कहा कि पूरे विश्व में उपलब्ध पानी में से सिर्फ दशमलव 6% पानी मनुष्य के पीने योग्य है और यह भी अगर भूजल स्तर नीचे गिरता जाए तो पूरी पृथ्वी मरुस्थल में बदल जाएगी। इसलिए पानी और पौधों का संरक्षण बहुत जरूरी है।