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Tuesday, October 8, 2024

पड़ोस की बच्‍ची के रेप और हत्‍या से टूट गई:बच्‍चों को गुड टच-बैड टच सिखाने लगी; सोचा नहीं था टीचर वायरल हो सकती है

‘2023 की बात है। होली के आसपास का समय था। गांव में तीसरी क्‍लास की एक बच्‍ची को तीन दरिंदे बहलाकर साथ ले गए। उसका रेप कर बेरहमी से हत्‍या कर दी। जब मैंने ये खबर पढ़ी तो बहुत रोई। मुझे ये लगने लगा कि कितना आसान होता है लोगों के लिए बच्‍चों को बहला-फुसला लेना। मैंने उसी दिन तय किया कि अपने स्‍कूल के बच्‍चों को गुड टच- बैड टच के बारे में बताऊंगी। मैंने अगले दिन स्‍कूल में अपने बच्‍चों को क्‍लास में समझाया। इसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर शेयर किया। वीडियो वायरल हो गया। कहीं न कहीं वीडियो के वायरल होने की वजह थी कि सभी पेरेंट्स परेशान हैं। सोचते हैं कि कैसे अपने बच्चों को इस तरह की घटनाओं से बचाएं और उन्हें गुड टच- बैड टच के बारे में बताएं।’ बिहार की टीचर खुशबू आनंद के वीडियोज सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होते हैं। हाल ही में बच्‍चों को मात्राओं के बारे में सिखाते हुए भी उनका एक वीडियो वायरल हुआ था। खुशबू बच्‍चों से अपने खास जुड़ाव और पढ़ाने के मजेदार तरीकों के लिए मशहूर हैं। इसके लिए उन्‍हें राज्‍य सरकार से अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। ‘बच्‍चों को सिखाने के लिए नए-नए तरीके निकालती हूं’
खुशबू कहती हैं, ‘बच्‍चे भोले होते हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि आप उन्‍हें कोई चीज एक बार में सिखाकर याद करा दें। इसलिए मैं हर दिन याद कराती हूं। एक दिन नॉर्मल फोटोज दिखाकर समझाया। दूसरे दिन रोल प्ले करके समझाया। कभी कविता-कहानियों के जरिए बताया। इसके वीडियो भी बनाए। बच्‍चों को सिखाने के लिए नए-नए तरीके निकालती हूं। इसलिए वीडियो भी पसंद किए जाते हैं। सोचा नहीं था कि कोई टीचर पढ़ाने के लिए वायरल हो सकती है। मगर अच्‍छा काम करो तो पसंद किया जाता है। ‘शुरुआत में बच्‍चे हंसते थे तो पहले भरोसा जीता’
बच्चे मुझ पर भरोसा करते हैं इसलिए मेरी बात आसानी से समझते और फॉलो करते हैं। जब मैंने शुरुआत में सिखाना शुरू किया तो बच्‍चे हंसते थे। बच्‍चों का भरोसा जीतने के लिए पहले नए बच्चों से दो-तीन महीने बॉन्ड करने की कोशिश की। उनसे दोस्ती की। फिर समझाया। मुझे कहा गया कि अगर पापा अपने बच्‍चे को टच करेंगे, तो क्‍या उन्‍हें भी बैड टच कहेंगे। इस पर मैं कहती हूं कि पापा कभी इस बात का बुरा नहीं मानेंगे कि बच्‍चा बैड टच समझ रहा है क्योंकि उन्होंने ही तो अपने बच्चे की ट्रेनिंग कराई है। उन्हें समझना होगा कि मैं जब तक खुद से शुरुआत नहीं करूंगा, बच्चे मुझे मना नहीं करेंगे, मुझे धकेल नहीं सकेंगे, तब तक किसी दूसरे को कैसे करेंगे।’ ‘मात्राएं सिखाने के लिए गाना बनाया तो वायरल हो गया’
स्‍कूल के शुरुआती दिनों की बात है। बच्‍चों को हिंदी पढ़ाते समय या तो बच्‍चे शोर मचाते रहते या उन्‍हें नींद आ जाती। कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। फिर लगा कि बच्‍चों के साथ न्‍याय नहीं हो रहा। ये मेरा काम है कि बच्‍चे पूरे मन से सीखें। तब मुझे क्रिएटिव तरीके से सिखाने का आइडिया आया। फर्स्ट स्टेज में मैंने मात्रा को छोटी और बड़ी करके समझाया। सेकेंड स्टेज में बताया कि मात्राओं को क्यों छोटी और बड़ी करके इंगित करते हैं। इस तरह से बच्चों को अक्षर से शब्द की ओर और शब्द से वाक्य की ओर लेकर जाते हैं। मेरा मकसद तो सिर्फ पढ़ाई को मजेदार बनाना है। आप उन्हें ऐसे ही कुछ समझाना शुरू कर देंगे तो उनके दिमाग के ऊपर से बात निकल जाती है। वो बोर भी हो जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्‍चे सीखने के लिए खुशी-खुशी तैयार हों। ‘अपना हर लेक्‍चर प्‍लान करके ही क्‍लास लेती हूं’
एक दिन मैं घर की किसी बात से परेशान थी। क्‍लास में आई तो मेरी एनर्जी का असर मुझे बच्‍चों पर भी महसूस हुआ। मुझे समझ आया कि टीचर को बच्‍चों के हिसाब से खुद को ढालना होता है, न कि बच्‍चों को टीचर के हिसाब से। अब मुझे जो कुछ भी बच्‍चों को सिखाना होता है उसे उन्‍हीं के हिसाब से तैयार करके आती हूं। मैं पहले से ही अपने लेक्चर्स प्लान कर लेती हूं। ताकि जब बच्चों के बीच जाऊं तो बच्चों के हाव-भाव समझकर उन्हीं की तरह, बच्चा बनकर, उन्हें सारी चीजें समझा सकूं। छोटे बच्चे शरारती होते हैं। अगर टीचर के रूप में, खड़ूस स्टाइल में उनसे कहें कि हम जो सिखा रहें हैं वो सीखना ही पड़ेगा, तो उनके बीच एक डर का माहौल बनता है। वो डरे-सहमे रहते हैं। इससे वो कुछ समझ नहीं पाते। कान से सुनने के बावजूद याद नहीं रख पाते। टीचर्स की ये जिम्‍मेदारी होती है कि बच्चों का पढ़ाई का माहौल बिल्कुल हल्का रहे। उनके अंदाज में ही उन्हें समझाया जाए। इससे बच्चों को आसानी से चीजें समझ आता हैं। ‘बच्‍चे जो देखते हैं, वो याद रखते हैं’
बच्‍चों को सिखाने के लिए उन्‍हें एंगेज करना जरूरी है। मैथ्स में जब उन्हें सर्कल्स, ट्राइएंगल बताती हूं, तो एक गोले में खड़ा करके बताती हूं कि ये एक सर्कल होता है। ट्राइएंगल में खड़ा करके बताती हूं कि इस शेप को ट्राइएंगल बोलते हैं। इसके बाद ही कॉपी, किताब पर आती हूं। ‘2022 से वीडियो डालना शुरू किया’
जब बच्‍चों की सेफ्टी पर बनाया वीडियो वायरल हुआ तो अपनी और क्‍लासेज के भी वीडियो बनाए। कविताएं, मैथ्स के सम, एक्टिविटीज के वीडियो बनाए ताकि और बच्‍चे भी सीख सकें। मेरे वीडियोज पसंद किए जाते हैं तो बच्‍चों के लिए और मेहनत करने के लिए प्रेरित होती हूं। मुझे लगता है- अच्‍छा टीचर बनने के लिए बच्‍चों से प्‍यार होना सबसे जरूरी है। सीरीज के बाकी एपिसोड भी देखें
एपिसोड 1 – गांव की दीवारों को ब्‍लैकबोर्ड बनाया, चौराहों को क्‍लासरूम: अटेंडेंस के लिए पेरेंट्स को सम्‍मानित करते हैं माधव सर मध्‍य प्रदेश के दमोह जिले के लिधौरा गांव में हर चौराहे पर बच्‍चे पढ़ते हुए दिखाई देते हैं। किसी भी गली में घुस जाओ तो गली के आखिर में किसी दीवार पर गणित, साइंस के फॉर्मूले लिखे दिखेंगे। बच्‍चे घूमते-फिरते, दौड़ लगाते हुए इन्‍हें पढ़ा करते हैं। गली से गुजरता कोई शख्‍स बच्‍चों को रोकता और दीवार पर लिखा पढ़कर सुनाने को कहता है। बच्‍चे नहीं पढ़ पाते तो उन्‍हें बताता है। पूरा का पूरा गांव ही जैसे क्‍लासरूम बन गया है। पूरी खबर पढ़ें… एपिसोड 2 – 5वीं के बच्‍चों के ऑनलाइन एग्जाम, VR हेडसेट से लर्निंग: कभी फूस के छप्‍पर में बैठते थे, आज स्‍मार्ट TV से पढ़ते हैं बच्‍चे बिहार के कैमूर जिले के एक छोटे से गांव तरहनी में एक ऐसा स्कूल है, जहां बच्‍चे क्‍लासरूम में ही दुनियाभर के जानवरों से भरा जू यानी चिड़‍ियाघर घूम आते हैं। पूरे सोलर सिस्‍टम की सैर करते हैं और भागकर चांद को पकड़ लेते हैं। पूरी खबर पढ़ें…

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