केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 अगस्त को राजधानी रायपुर में देश से नक्सलियों के खात्मे की जो डेडलाइन तय की थी छत्तीसगढ़ सरकार धीरे-धीरे उस दिशा में आगे बढ़ रही है। शाह ने कहा था कि मार्च 2026 तक पूरा देश नक्सल मुक्त हो जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि नक्सली हथियार छोड़ें नहीं तो परिणाम भुगतने को तैयार रहें। यही वजह है कि हाल ही में सीआरपीएफ की चार और बटालियनों को छत्तीसगढ़ भेजा गया है। शाह की डेडलाइन को पूरा करने के लिए सीएम साय लगातार काम कर रहे हैं। इसके कारण बस्तर के नक्सल प्रभावित अंदरुनी इलाकों में फोर्स का दबाव बढ़ा है। एक ओर जहां नियद नेल्लानार जैसी योजनाओं से लोगों का भरोसा जीतने की कोशिश की जा रही है वहीं दूसरी ओर हथियार लेकर दहशत फैलाने वाले नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है। इसी का परिणाम है कि पिछले नौ महीने में सुरक्षा बल और पुलिस के जवानों ने लगभग 200 नक्सलियों को मार गिराया है। इनमें 25 लाख तक का इनामी नक्सली भी शामिल है। बस्तर में तैनात हैं 60 हजार से ज्यादा जवान नक्सलियों के खिलाफ चल रही लड़ाई के लिए बस्तर में अलग-अलग फोर्स के करीब 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। इनमें कांकेर में एसएसबी, बीएसएफ, आईटीबीपी, नारायणपुर में आईटीबीपी, बीएसएफ, एसटीएफ, कोंडागांव में आईटीबीपी, सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं जबकि दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में एसटीएफ, कोबरा और सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं। इसके अलावा सभी जिलों में डीआरजी, जिला बल, बस्तर फाइटर्स, बस्तरिया बटालियन भी सुरक्षा बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। सटीक सूचना और बेहतर ऑपरेशन से लगातार मिल रही सफलता बस्तर एरिया में सुरक्षाबल को मिल रही सटीक सूचना और इस सूचना के आधार पर की जा रही बेहतर प्लानिंग के कारण फोर्सेस को लगातार सफलता मिल रही है। इसलिए जिस एरिया में भी फोर्स घुसी वहां से सफल होकर निकली है। दरअसल जिस तरह से सुरक्षा बल के जवानों को सफलता मिल रही इसके पीछे इंटेलिजेंस की मजबूती सबसे बड़ा कारण है। शुक्रवार को अबूझमाड़ इलाके में मिली सफलता भी इसी सूचना तंत्र की मजबूती का बड़ा प्रमाण है। शाह ने की थी नक्सलियों से हथियार छोड़ने की अपील अमित शाह ने अपील करते हुए कहा था कि जो वामपंथी उग्रवाद में लिप्त या जुड़े हो, सभी युवाओं से अपील है कि भारत सरकार इस क्षेत्र के विकास, आपके विकास, आपके परिवार के विकास के लिए कटीबद्ध है। नक्सल की नई पॉलिसी को अच्छा प्रतिसाद दीजिए। हथियार छोड़िए और पीएम मोदी के नेतृत्व में जो विकास का रथ चल रहा है। एक नए युग का जो आगाज हो रहा है, उसे मजबूती दें। हम उम्मीद करते हैं कि हमने जो रास्ता अख्तियार किया है, उसके मुताबिक पूरे छत्तीसगढ़ और पूरे देश को नक्सलवाद की समस्या से मुक्त कर देंगे। नौ महीने की बड़ी कार्रवाई 27 मार्च – बीजापुर के चिपुरभट्टी-पुसबाका में डिप्टी कमांडर समेत 6 नक्सली मारे गए
2 अप्रैल – बीजापुर में 13 नक्सली मारे गए।
15 अप्रैल – कांकेर में पुलिस नक्सली मुठभेड़ -29 नक्सली मारे गये
29 अप्रैल – अबूझमाड़ के टेकामेटा जंगलों में 3 महिला,7 पुरुष नक्सली ढेर
10 मई – बीजापुर में 12 नक्सली ढेर
23 मई – नारायणपुर जंगल में 8 नक्सली ढेर
8 जून – अबूझमाड़ में 6 नक्सली मारे गये
10 मई – एनकाउंटर में 12 नक्सली मारे गए।
15 जून – ओरछा थाना के फरसबेड़ा-धुरबेड़ा के बीच 8 नक्सली मारे गए।
17 जुलाई- छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र बॉर्डर पर 12 नक्सली मारे गए
3 सितंबर- बीजापुर-दंतेवाड़ा में नौ नक्सली ढेर
6 सितंबर- छग-तेलंगाना बॉर्डर पर 6 मारे गए
24 सितंबर- छग-महाराष्ट्र बॉर्डर पर महिला समेत 3 नक्सली ढेर,
4 अक्टूबर- अबूझमाड़ के जंगलों में 28 नक्सली मारे गए।