भारत ने पेरिस पैरालिंपिक गेम्स-2024 में 29 मेडल जीते हैं, जो इंडिया के ओवरऑल 60 मेडल का लगभग आधा है। हमारे पैरा-एथलीट्स को पिछली बार से 10 मेडल ज्यादा मिले। इस बार भारत 7 गोल्ड, 9 सिल्वर और 13 ब्रॉन्ज के सहारे 18वें नंबर पर रहा। टोक्यो पैरालिंपिक में देश कुल 19 पदकों के साथ 24वें स्थान पर रहा था।पिछले महीने ओलिंपिक में 117 एथलीट महज 6 मेडल जीते थे, जिसमें एक भी गोल्ड नहीं था यानी कि भारतीय पैरा खिलाड़ियों ने ओलिंपिक गेम्स से 5 गुना ज्यादा मेडल जीते हैं। अब 5 पॉइंट्स में भारत के ओलिंपिक और पैरालिंपिक में प्रदर्शन का एनालिसिस… 1. मेडलिस्ट 2. मेडल टैली 3. प्रदर्शन 4. 20 साल में प्रदर्शन 5. भास्कर एक्सपर्ट्स मेंटल टेनर सवानुर बोले- ओलिंपिक में हारे, क्योंकि दबाव से निपटने की ट्रेनिंग कम की
20 साल से इंटरनेशनल एथलीट्स के मेंटल ट्रेनर डॉ. स्वरूप सवानुर बताते हैं- ‘6 ओलिंपिक खेलों में हम चौथे नंबर पर रहे। हमारे यहां एथलीट्स और कोच को लगता है कि जो काम उन्होंने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में किया, वही ओलिंपिक में भी जिता सकता है। मगर ऐसा नहीं होता। कई ओलिंपिक एथलीट्स बताते हैं कि खेल करीब आने पर वे दबाव महसूस करते हैं। नींद कम आती है। एेसे में मेंटल ट्रेनिंग जरूरी है, जो यहां कम होती है। दीपा मलिक ने कहा- बेहतर इंफ्रा, नए ट्रेनर्स, साइकोलॉजिकल ट्रेनिंग से फायदा
भारतीय पैरालिंपिक कमेटी की प्रेसिडेंट दीपा मलिक ने कहा- ‘हमें रियो ओलिंपिक 2016 में सिर्फ 2 पदक मिले थे। इसी दौरान पैरालिंपिक में भारत ने 2 गोल्ड समेत 4 मेडल जीते। उसके बाद सब का ध्यान पैरा गेम्स में गया। 2020 में पैरालिंपिक कमेटी की प्रेसीडेंट बनने के बाद मेरा मुख्य उद्देश्य था कि इन खेलों को मेन-स्ट्रीम में लाया जाए। खिलाड़ियों के आंकड़े इंटरनेट पर उपलब्ध हों। हमने पैरा-एथलीट्स को सोशल मीडिया पर ब्लू टिक भी दिलवाए ताकि लोग उन्हें जानें। कुछ पॉइंट्स में दीपा मलिक की खास बातें…