मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कभी भी ‘इंडिया आउट’ एजेंडा चलाने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि वे कभी भी भारत के खिलाफ नहीं रहे। सिर्फ भारतीय सैनिकों की मौजूदगी मालदीव के लिए एक गंभीर समस्या थी। मुइज्जू संयुक्त संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने अमेरिका गए हुए हैं। इस दौरान वे प्रिस्टन यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। यहां उन्होंने ये बातें कही। मालदीव PM ने कहा- “हम कभी भी, किसी भी देश के खिलाफ नहीं रहे। मालदीव के लोगों को विदेशी सैनिकों से दिक्कत थी। लोग देश में एक भी विदेशी सैनिक नहीं चाहते थे।” PM मोदी पर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ एक्शन
PM मुइज्जू ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर भारतीय PM का अपमान करने के लिए मंत्रियों पर एक्शन लिया है। उन्होंने कहा- किसी को भी ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए। मैं किसी का भी इस तरह अपमान बर्दाश्त नहीं करूंगा, चाहे वह नेता हो या आम इंसान। हर किसी की अपनी इज्जत होती है। इस साल की शुरुआत में मालदीव सरकार में उप युवा मंत्री मालशा शरीफ और मरियम शिउना ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी की थी। इसके बाद भारत में सोशल मीडिया पर मालदीव के खिलाफ गुस्सा भड़क गया था। मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद बढ़ा भारत-मालदीव में तनाव
नवंबर 2023 में मुइज्जू के सत्ता संभालने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था। मुइज्जू राष्ट्रपति बनने के पहले से ही मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग कर रहे थे। 45 साल के मुइज्जू ने चुनाव में भारत समर्थक मोहम्मद सोलिह को हराया था। मुइज्जू ने कहा था कि अगर भारत अपनी सेना को नहीं हटाएगा तो यह मालदीव के लोगों की लोकतांत्रिक आजादी का अपमान होगा। मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों की मौजूदगी को मालदीव में लोकतंत्र के भविष्य के लिए खतरा भी बताया था। उन्होंने कहा कि देश में बिना संसद की इजाजत के दूसरे देश की सेना की उपस्थिति संविधान के खिलाफ है। मुइज्जू अपनी पहली स्टेट विजिट पर चीन गए थे। इसके पहले मालदीव का हर राष्ट्रपति पहला दौरा भारत का ही करता आया था। मुइज्जू जल्द भारत आएंगे
मुइज्जू जल्द ही भारत की पहली आधिकारिक यात्रा पर आने वाले हैं। मुइज्जू के प्रवक्ता ने 10 सितंबर को इसकी जानकारी दी थी। उनकी यात्रा पिछले महीने ही होने वाली थी, लेकिन किसी वजह से ये टल गई। वे अब अक्टूबर में भारत आ सकते हैं। इससे पहले मुइज्जू 9 जून को प्रधानमंत्री मोदी के शपथ-ग्रहण में शामिल होने के लिए भारत आए थे।