25.1 C
Bhilai
Friday, October 4, 2024

महिलाएं ही करती हैं मां की प्रतिमा का श्रृंगार:थनौद गांव की अनोखी परंपरा; प्रोफेशनल मेहंदी आर्टिस्ट को बुलाते हैं मूर्तिकार

3 अक्टूबर से देशभर में नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी। इससे पहले दुर्गोत्सव की तैयारी अंतिम चरण में है। मूर्तिकार प्रतिमाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं। इस बीच दुर्ग जिले का थनौद गांव सालों पुरानी परंपरा निभा रहा है। यहां प्रतिमाओं का श्रृंगार सिर्फ महिलाएं ही करती हैं। थनौद गांव के मूर्तिकार वेश्यालय और किन्नर के पैर के नीचे की मिट्टी को मिलाकर माता की प्रतिमा को आकार देते हैं। इसके बाद 16 श्रृंगार मूर्तिकारों की ही मां, पत्नी, बहन और बेटी करती हैं। वहीं मेहंदी के लिए अलग से आर्टिस्ट भी हायर किए जा रहे हैं। थनौद को शिल्पग्राम कहा जाता है दुर्ग से 20 किलोमीटर दूर थनौद गांव के लोगों का मुख्य पेशा ही मूर्ति बनाना है। शिल्पग्राम थनौद में कई पीढ़ियां गणेश और दुर्गा प्रतिमा बना रही हैं जिसकी डिमांड देशभर में है। भास्कर की टीम भी इसका जायजा लेने थनौद गांव पहुंची। यहां माता की प्रतिमाएं लगभग बनकर तैयार हैं। अब इनमें रंग भरने का काम हो रहा है साथ ही बन चुकी मूर्तियों का श्रृंगार करने का काम जारी है। 1 अक्टूबर से मूर्तियां ले जाने का काम भी शुरू हो जाएगा। इस बीच भास्कर की टीम ने देखा कि मूर्तियों को बनाने से लेकर उनमें रंग भरने का काम अलग-अलग कारीगरों ने किया, लेकिन प्रतिमा का श्रृंगार मां, बहू और बेटियां ही कर रही थीं। मूर्तिकारों ने बताया कि यही गांव की परंपरा है। बेटियों के बिना अधूरा रहता है मां का श्रृंगार थनौद के फेमस मूर्तिकार प्रेम चक्रधारी ने बताया कि कई पीढ़ियों से ये परंपरा चली आ रही है कि माता का श्रृंगार बेटियां करती आ रही हैं। इस काम में उनकी मदद कुछ कारीगर करते हैं, लेकिन मुख्य रूप से श्रृंगार का काम उनकी पत्नी, बेटी और बहू ही करते हैं। मूर्तिकार के मुताबिक अगर घर की महिलाएं कहीं बाहर हो तो नवरात्र से पहले बेटी और बहू को बुला लिया जाता है। बहू लोमेश्वरी चक्रधारी का कहना है ससुराल में आने के बाद उन्होंने ये काम सीखा और अब बड़े मन से मां का श्रृंगार करती हैं। मेंहदी लगाने के लिए हायर करते हैं प्रोफेशनल आर्टिस्ट भास्कर की टीम ने देखा कि, प्रतिमाओं को मेहंदी लगाने के लिए भी अलग टीम है। भिलाई के कोहका से मेंहदी लगाने पहुंची काजल अंबोले का कहना है उनकी 20-25 लोगों की टीम है। सभी लड़कियां यहां के अलग-अलग पंडालों में लगी हैं। यहां मां का श्रृंगार केवल लड़कियां करती हैं, इसलिए वो लोग हर साल यहां आती हैं और माता को डिजाइनर मेहंदी लगाती हैं। मां के लिए मेहंदी भी वो खुद ही अपने हाथों से तैयार करती हैं। सभी प्रतिमा में मेहंदी लगाने का काम पूरा होने के बाद मूर्तिकार उन्हें जो भी पैसे देते हैं वो लोग उसे लेकर अपने घर चली जाती हैं। नवरात्रि के एक सप्ताह पहले शुरू होता श्रृंगार का काम काजल बताती हैं कि नवरात्रि से करीब एक हफ्ते पहले माता के श्रृंगार और उन्हें परिधान पहनाने का काम शुरू हो जाता है। उसने बताया कि समिति के लोग भी मूर्ति ले जाने से पहले उनका सम्मान करना और उन्हें भेंट देना नहीं भूलते। उन्हें यह सम्मान की बात लगती है कि माता की प्रतिमा को हम नारी शक्ति ने मिलकर तैयार किया है। इससे जुड़ी और खबर थाईलैंड के मंदिर जैसे जांजगीर में 160 फीट ऊंचा पंडाल:दुर्गा प्रतिमा 35, शेर 12-15 फीट ऊंचे; बंगाल के 40 कारीगर कर रहे तैयार बप्पा के बाद अब देशभर में मां दुर्गा के आगमन की तैयारी हो रही है। जांजगीर में थाईलैंड के प्रसिद्ध अरुण देव मंदिर की तरह 160 फीट ऊंचा भव्य पंडाल बनाया जा रहा है। पंडाल में 12 से15 फीट ऊंचे शेरों के साथ 35 फीट ऊंची दुर्गा प्रतिमा स्थापित होगी। इसे बनाने के लिए बंगाल के 40 कारीगर लगे हुए हैं। पढ़ें पूरी खबर…

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles