छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मूक-बधिर से गैंग रेप के आरोपियों की अपील को खारिज करते हुए उनकी 25 साल कैद की सजा को बरकरार रखा है। मूक-बधिरपीड़िता ने गवाही के दौरान कोर्ट को इशारों में दरिंदगी की कहानी बताई थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में कोई भी कानूनी या तथ्यात्मक त्रुटि नजर नहीं आई। ट्रायल कोर्ट का फैसला सटीक और निष्पक्ष है। दरअसल, युवती से गैंगरेप का यह मामला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले का है। 25 अगस्त 2019 को 22 वर्षीय मूक-बधिर युवती साप्ताहिक बाजार से लौट रही थी। तभी संजीव कुजूर, सूरज दास और एक अन्य ने मिलकर उसे अगवा कर लिया। फिर तालाब के पास ले जाकर उसके साथ बारी-बारी से रेप किया। किसी तरह उनके चंगुल से मुक्त होने के बाद युवती घर पहुंची और आपबीती चाची को बताया। जिसके बाद उसकी चाची ने मरवाही पुलिस थाने में केस दर्ज कराया था। कोर्ट में हुई गवाही, तब इशारों में बताई आप बीती
पुलिस ने मामले में आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया, जिसके बाद ट्रायल शुरू हुआ। इसके बाद पीड़ित युवती की गवाही हुई। फैसले में फारेंसिक जांच रिपोर्ट भी साक्ष्य
इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायालय में हुई। ट्रायल के दौरान पुलिस ने फोरेंसिक जांच रिपोर्ट सहित अन्य साक्ष्य भी पेश किए। जिसके आधार पर कोर्ट ने आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 25 साल की सजा सुनाई। इसके बाद आरोपियों ने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे डिवीजन बेंच ने खारिज कर ट्रायल कोर्ट के फैसले को न्यायोचित ठहराया है।