केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पिछली सरकार के समय 4 कंपनियों ने फर्जी दस्तावेज, गलत तथ्यों और गलत अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर 1200 करोड़ से ज्यादा के काम हथिया लिए। उन्हें वर्कऑर्डर जारी कर दिया गया और काम भी शुरू कर दिया है। इसका खुलासा होने पर विभागीय जांच भी शुरू हो गई है। इस मामले में विभाग के ही कई अफसरों की मिलीभगत सामने आ रही है।दरअसल, प्रदेश के सभी गांव और हर घर तक नल पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़ में लगभग पांच हजार करोड़ के काम हो रहे हैं। राज्य सरकार ने 70 मल्टीविलेज टेंडरों की मंजूरी दी है। इसी के तहत राज्य की कांग्रेस सरकार में अप्रैल 2023 में 4 कंपनियों को काम दिए गए। टेंडर हासिल करने वाली फर्मों के पास बिड कैपेसिटी नहीं है। उन्होंने फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र भी प्रस्तुत किया है। इतना ही नहीं, जॉइंट वेंचर में दूसरी कंपनियों को भी काम बांट दिए। इसे बेमेतरा और मुंगेली में 220.29 करोड़ का काम मिला है। छत्तीसगढ़ में काम हासिल करने के लिए सबलेट कार्य का अनुभव प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया है। अनुभव वाले काम में मूल वर्कआर्डर प्रतिभा इंडस्ट्रीज मुंबई को दिया गया। 51% काम प्रतिभा इंडस्ट्रीज ने किया और 49% जेकेआर इंफ्रा ने किया। अफसरों के अनुसार छत्तीसगढ़ में काम हासिल करने के लिए सबलेट अनुभव प्रमाण-पत्र को स्वीकार ही नहीं किया गया। यदि स्वीकार कर भी लिया जाता तो जेकेआर इंफ्रा के हिस्से में 49 प्रतिशत काम ही गणना में लिया जाएगा। इसी आधार पर भी कंपनी पात्र नहीं हो सकती। यही नहीं, कंपनी ने टेंडर हासिल कर काम को हैदराबाद की मेसर्स कावरेी इंजीनियरिंग को जॉइंट वेंचर में दे दिया। भास्कर ने फर्मों के दस्तावेजों से पकड़ी गड़बड़ी मेसर्स विजय वी सालुके, पुणे, महाराष्ट्र
कंपनी ने बिलासपुर और सरगुजा में जॉइंट वेंचर के तहत 305.4 करोड़ रुपए के काम हासिल किए। 6 कंपनियों को काम दे दिए। सभी छत्तीसगढ़ से बाहर की हैं। मेसर्स विजय वी. सांलुके ने कराड़ नगर पालिका परिषद में 2018 में किए काम के दस्तावेज अनुभव प्रमाण-पत्र के तौर पर जमा किए। पड़ताल में पता चला कि कंपनी ने वास्तव में 2018 में काम ही नहीं किया। उसने 2009 में किए गए काम के दस्तावेज में छेड़छाड़ कर 2018 के दस्तावेज बताए। इसी को टेंडर के साथ लगाया। नियम के मुताबिक कंपनी को बड़ा काम हासिल करने के लिए 10 साल में अपने काम का अनुभव बताना होता है। मेसर्स सुधाकर इंफ्रा प्रालि, हैदराबाद
बिड कैपेसिटी छिपाकर रायगढ़, जांजगीर-चांपा, महासमुंद, बलौदाबाजार और बालोद के 252.9 करोड़ रुपए के काम हासिल किए। प्रदेश में काम करने के लिए उसकी बिड कैपेसिटी 600 करोड़ की थी। यह यूपी नगर निगम में जल जीवन के तहत 1400 करोड़ के काम कर रही है। टेंडर में कंपनी ने इस बारे में नहीं किया। यदि कंपनी यह बता देती तो उसे काम ही नहीं मिलता। मेसर्स विंध्या टेलिलिंक्स, नोएडा, यूपी
इसे कोरबा, सूरजपुर और अंबिकापुर में 441.83 करोड़ के काम मिले। पता चला कि कंपनी की बिड कैपेसिटी 1836.96 करोड़ रुपए थी। जब इसने टेंडर में हिस्सा लिया, तब 4910.12 करोड़ के काम कर रही थी। यूपी जल जीवन मिशन का 5900.07 करोड़ का बैलेंस वर्क भी है। यानी कंपनी के पास 10810.90 करोड़ का काम है। इस तरह इसे अन्य काम लेने की पात्रता नहीं है। इस मामले की जांच कराएंगे आपके माध्यम से जानकारी मिली है, इसकी जांच कराई जाएंगी। शिकायत सही मिलने पर सम्बंधित सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएंगी।-अरुण साव, मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन