20.6 C
Bhilai
Tuesday, December 10, 2024

लेबनान के घरों, दुकानों और गाड़ियों में ब्लास्ट:क्या है पेजर, जिसके फटने से 4000 घायल हुए; जेब में क्यों रखते थे हिज्बुल्लाह के लड़ाके

18 सितंबर को अचानक से लेबनान में घरों, सड़कों और बाजारों में लोगों की जेब में विस्फोट होने लगे। 1 घंटे तक लेबनान से लेकर सीरिया तक ब्लास्ट हुए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये हिजबुल्लाह को निशाना बनाते हुए किए गए सीरियल पेजर ब्लास्ट थे। इनमें अब तक 11 लोगों की जान जा चुकी है और 4 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। ये हिजबुल्लाह के कम्युनिकेशन सिस्टम पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा हमला है। ये पेजर आखिर है क्या, मोबाइल के दौर में हिजबुल्लाह इनका इस्तेमाल क्यों करता है और इनमें विस्फोट कैसे हुआ? 5 अहम सवालों के जवाब… सवाल 1: हिजबुल्लाह पेजर्स का इस्तेमाल क्यों करता है? जवाब किस्से से समझिए… जगह- गाजा पट्टी, तारीख- 6 मार्च 1966 हमास का सीनियर मेंबर याह्या अय्याश अपने बचपन के दोस्त ओसामा हमद के घर में रात बिताने गया था। तभी हमद के घर में फोन बजा। अय्याश को कहा गया कि उनके पिता का फोन है, वे उससे बात करना चाहते हैं। अय्याश ने जैसे ही बात शुरू की वहां धमाका हुआ और वो मारा गया। इजराइली सुरक्षा एजेंसी शिन बेत के पूर्व निदेशक कार्मी गिलोन बताते हैं कि इस धमाके को उनकी एजेंसी ने अंजाम दिया था। शिन बेत के एजेंट ने पैसे और इजराइली पहचान दिलाने के बदले हमद के चाचा से अय्याश के हमद से मिलने की जानकारी ली। एक सेल्युलर फोन हमद के घर लगाया गया। हमद के चाचा को कहा गया कि इससे वे सिर्फ अय्याश की बातचीत सुनना चाहते हैं। जबकि शिनबेत ने इसमें 15 ग्राम RDX फिट कर दिया था। अय्याश जैसे ही फोन पर बात करने लगा रिमोट कंट्रोल से फोन में ब्लास्ट कर दिया गया। ये वो घटना थी जिसके बाद हमास, हिजबुल्लाह समेत दुनिया भर में इजराइल के दुश्मन सतर्क हो गए। हमास ने जहां सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। वहीं, हिजबुल्ला ने रेडियो वेव से चलने वाले पेजर को अपनाया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमले के बाद हिजबुल्लाह ने पेजर्स का इस्तेमाल बड़े स्तर पर शुरू किया था। ताकि इजराइल की खुफिया एजेंसी उन्हें ट्रैक न कर पाए। सवाल 2: इजराइल से बचने के लिए हिजबुल्लाह जिस पेजर का इस्तेमाल करता है वो क्या है? जवाब: पेजर एक वायरलेस डिवाइस होता है, जिसे बीपर के नाम से भी जानते हैं। 1950 में पहली बार पेजर का इस्तेमाल न्यूयॉर्क सिटी में हुआ। तब 40 किलोमीटर की रेंज में इसके जरिए मैसेज भेजना संभव था। 1980 के दशक में इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में होने लगा। 2000 के बाद वॉकीटॉकी और मोबाइल फोन ने इसकी जगह ले ली। पेजर का स्क्रीन आमतौर पर छोटा होता है, जिसमें लिमिटेड कीपैड होते हैं। इसका इस्तेमाल दो तरह से मैसेज भेजने के लिए होता है- 1. वॉयस मैसेज 2. अल्फान्यूमेरिक मैसेज। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि लेबनान में जो पेजर्स विस्फोट हुए हैं वो अल्फान्यूमेरिक हैं। पेजर्स से मैसेज भेजने के लिए रेडियो वेव का इस्तेमाल होता है। इसे बेस स्टेशन पर लगे ट्रांसमीटर के जरिए भेजा जाता है। एडवांस पेजर्स को फोन नंबर की तरह कोड नंबर दिए जाते हैं। उस कोड को डायल करने पर सिर्फ उसी पेजर में मैसेज ट्रांसफर होते हैं। यह बातचीत का बेहद सिक्योर मीडियम होता है, जिसे आसानी से कोई सुरक्षा एजेंसी ट्रेस नहीं कर सकती है। इस तरह के डिवाइस को ट्रेस करने के लिए उसकी रेंज में होना जरूरी है। पेजर में न GPS लगा होता है और न ही इसका IP एड्रेस होता है जिससे इसे मोबाइल फोन की तरह ट्रेस किया जाए। पेजर का नंबर बदला जा सकता है, इसकी वजह से पेजर का पता लगाना आसान नहीं होता। पेजर की खासियत है कि एक बार चार्ज होने पर ये एक सप्ताह से ज्यादा समय तक यूज किया जा सकता है। जबकि मोबाइल को एक या दो दिन में चार्ज करना होता है। यही वजह है कि इसे रिमोट लोकेशन यानी दूर-दराज इलाके में इस्तेमाल किया जाता है। सवाल 3: लेबनान में एक के बाद एक पेजर्स कैसे फटे? जवाब: पेजर कैसे फटे इसे लेकर 2 तरह की थ्योरी हैं। 1. हैक कर: अमेरिकी मीडिया हाउस CNN के मुताबिक ऐसा हो सकता है कि पेजर्स को हैक कर उनमें लगी लिथियम बैटरीज को ओवरहीट कर डिटोनेट कर दिया गया हो। हालांकि, ये संभावना न के बराबर है। अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एनालिस्ट डेविड केनेडी के मुताबिक जिस तरह के धमाके हुए हैं वो डिवाइस हैक कर बैटरी को ओवरहीट कर देने की वजह से नहीं हो सकते। 2. सप्लाई चेन अटैक: एक अनुमान ये लगाया जा रहा है कि पेजर्स में स्पलाई के दौरान या मैन्यूफैकच्यूरिंग के दौरान उनमें विस्फोटक लगा दिए गए हों, जो तभी डिटोनेट हों जब उन पर एक खास तरह का मैसेज पहुंचे। एक्सपर्ट्स को इसकी आशंका ज्यादा लग रही है। अमेरिकी एनालिस्ट जॉन हल्टक्विस्ट और डेविड कैनेडी दोनों का ही मानना है कि ऐसा हुआ होगा। हिजबुल्लाह को हाल ही में पेजर्स सप्लाई किए गए थे। ब्रिटेन की सेना में काम कर चुके अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा है कि पेजर्स में 10 से 20 ग्राम के हाई ग्रेड मिलिट्री विस्फोटक लगाए गए होंगे। ब्लास्ट की इंटेंसिटी नीचे वीडियो में देखें… सवाल 4: लेबनान के पेजर्स विस्फोट को इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्यों कहा जा रहा है? जवाब: अमेरिका की हथियार बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर वो होता है जब जंग में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल का इस्तेमाल होता है हमला या बचाव किया जाता है। लेबनान में रेडियो वेव से चलने वाले कई पेजर्स में एक साथ विस्फोट हुए। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि इजराइल ने अपने दुश्मनों को मारने के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियो वेव का इस्तेमाल कर पेजर्स पर एक कोडेड मैसेज भेजा जिससे ब्लास्ट हुए। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक सेंकेंड वर्ल्ड वॉर के समय से ही दुश्मनों के खात्मे के लिए इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का तरीका अपनाया जा रहा है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए दुश्मन देशों के ड्रोन, जैमर या फाइटर जेट को धोखा देकर उलझाया जा सकता है। रूस-यूक्रेन जंग में भी इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर का खूब इस्तेमाल हुआ है। 2022 के अंत में यूक्रेन ने रूस के 400 सैनिकों को मारने का दावा किया जो एक ही जगह पर छिपे थे। यूक्रेन ने बताया कि रूसी सैनिक मोबाइल चला रहे थे। जिनके नेटवर्क सिग्नल की वजह से उनकी लोकेशन में बारे में पता चला। सवाल 5: लेबनान में अगर इजराइली खुफिया एजेंसी ने हमला कराया है तो उसका क्या मकसद है? जवाब: बेरूत में अमेरिकी यूनिवर्सिटी के फेलो रामी खौरी के मुताबिक संभव है कि इजराइल ने हिज्बुल्ला को मानसिक तौर पर कमजोर करने के लिए ये हमले किए हैं। इससे हिज्बुल्ला का कॉफिडेंस कम होगा। हिज्बुल्ला पर हुआ यह हमला पहले से काफी अलग है। इसके जरिए इजराइल ने मैसेज दिया है कि उसके पास इतनी खुफिया तंत्र, टेक्नोलॉजी और ताकत है कि वह कहीं भी अपने मिशन को अंजाम दे सकता है। लेबनान की इकोनॉमी बेहद कमजोर है। अस्पतालों में संसाधन की कमी हैं। ऐसे में इस तरह के हमले से वहां के लोगों में हिज्बुल्ला के खिलाफ नेगेटिव सेंटीमेंट पैदा कर सकता है। सवाल 6: जंग के दौरान कैसे ट्रैक किया जाता है मोबाइल? जवाब: जंग के दौरान मोबाइल ट्रैक करने के लिए लेयर-3 इलेक्ट्रॉनिक वॉर फेयर सिस्टम का इस्तेमाल होता है। इस सिस्टम में एक सैनिक वाहन दो या ज्यादा ड्रोन से कनेक्ट होता है। ड्रोन में एक खास तरह का डिवाइस जिसे सेल साइट सिम्यूलेटर कहते हैं फिट किया जाता। जब ड्रोन दुश्मन के इलाके में पहुंचता है तो वहां इस्तेमाल किए जा रहे डिवाइस का सिग्नल को कैच करता है। इसके बाद ड्रोन सैनिक वाहन में लगे सिस्टम में फोन के सिग्नल की स्ट्रेंथ और दिशा की जानकारी भेज देता है। इससे ये पता लगाना आसान हो जाता है कि फोन कहां इस्तेमाल हो रहा है। इस तकनीक में रूस माहिर है, यूक्रेन ने रूस की ही तकनीक का इस्तेमाल कर उस पर हमला किया है। ये खबर भी पढ़ें… लेबनान में पेजर्स ब्लास्ट में 11 की मौत, 4000 घायल:हिजबुल्लाह मेंबर्स को बनाया निशाना, घायलों में ईरानी राजदूत भी शामिल; इजराइल पर आरोप लेबनान में हिजबुल्लाह मेंबर्स के पेजर (कम्युनिकेशन डिवाइस) में सीरियल ब्लास्ट हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्लास्ट में 11 लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों में हिजबुल्लाह के 2 सदस्य और 1 बच्ची भी शामिल है। वहीं 4 हजार से ज्यादा घायल हुए हैं, जिनमें से 400 की हालात गंभीर है। पूरी खबर पढ़ें…

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles