सीएम योगी आदित्यनाथ के जीवन पर बनी फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ 19 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इस फिल्म को लेकर भोजपुरी सिनेमा के जुबली स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ ने हाल ही में दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। दिनेश ने बताया यह राजनीतिक फिल्म नहीं बल्कि एक साधारण परिवार में जन्मे बच्चे की सिस्टम में बदलाव की कहानी है। जो हर किसी के लिए प्रेरणादायक फिल्म होगी। पढ़िए दिनेश लाल यादव निरहुआ से हुई बातचीत के कुछ और प्रमुख अंश… सवाल- बहुत अड़चनों के बाद यह फिल्म रिलीज होने जा रही है, इस समय फिल्म को लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? जवाब- किसी सब्जेक्ट पर जब बहुत मेहनत करते हैं और रुकावट होती है तब बहुत घबराहट होती है। मैं तो भोजपुरी फिल्म का एक्टर हूं। यह मेरी पहली हिंदी फिल्म है। मुझे लगा कि एक अच्छा अवसर मिला है। अड़चने आईं तो लगा कि ये क्या हो गया? अब सबकुछ ठीक है। फिल्म का ट्रेलर लोगों को बहुत पसंद आ रहा है। बहुत अच्छा लग रहा है। हम लोग खुद थिएटर में जाकर फिल्म देखेंगे और लोगों से आग्रह करेंगे कि यह फिल्म देखे। क्योंकि इस फिल्म की कहानी हम जैसे लोगों की है। एक साधारण परिवार में जन्म लेने के बाद किन-किन संघर्षों के साथ कोई भी व्यक्ति कहीं पहुंचता है। ‘अजेय द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ भी एक ऐसी कहानी है, जिसमें एक बहुत ही साधारण परिवार में जन्मा एक बच्चा समाज के सिस्टम को देखकर उसमें बदलाव लाने की कोशिश करता है। यह हर किसी के लिए प्रेरणादायक फिल्म होगी। जो भी पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ फिल्म देखेंगे तो अपने बच्चों को प्रेरणादायी फिल्म दिखाएंगे। सवाल- और फिल्म में आपका किरदार भी बहुत महत्वपूर्ण है? जवाब- जी, बिल्कुल। हमारे जो पत्रकार बंधु हैं उनका ही किरदार पहली बार निभाने का इस फिल्म में मौका मिला है। इस किरदार को निभाकर बहुत ही मजा आया। सवाल- जब आपको हिंदी फिल्म में इस तरह का रोल मिला तब आपको क्या चीज खास लगी? जवाब- जब मैंने किताब और फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि यह फिल्म समाज को एक संदेश दे सकती है। यह ऐसी फिल्म है जो लोगों को इंस्पायर कर सकती है। इंसान कहीं भी कितनी भी गरीबी में पैदा हुआ हो, लेकिन अगर उसके अंदर कुछ करने की आग है तो वह क्या-क्या कर सकता है। यह बात मुझे इस फिल्म में दिखी। मुझे लगा कि यह एकदम सही विषय है। अगर यह फिल्म बन रही है और इसका हिस्सा बनने का अवसर मुझे मिल रहा है तो यह फिल्म जरूर करूं। चूंकि मैं रियल लाइफ में योगी जी के साथ मंच साझा करता हूं। उनके साथ बहुत सारी सभाएं करता हूं। मैं व्यक्तिगत रूप से भी उनको बहुत जानता हूं। जब हम लोग फिल्म कर रहे थे तब मैंने देखा कि योगी जी का किरदार अनंत जोशी इतने बखूबी से निभा रहे थे कि उनकी एक्टिंग देखकर मुझे कभी-कभी ऐसा लगता था कि योगी जी से बात कर रहा हूं। सवाल- सालों से आपका पत्रकारों से बहुत अच्छा रिश्ता है, आपका अपना किरदार भी निभाने में बहुत आसानी रही होगी? जवाब- बिल्कुल, जब मैं गांव में एल्बम गाता था। वहां से मुझे पत्रकार भाइयों का बहुत सपोर्ट मिला। मेरे एल्बम के बारे में लिखा जाता था। मेरा इंटरव्यू ले रहे थे। मेरी जर्नी पत्रकार भाइयों के साथ ही रही है। उनके हाव-भाव मुझे बहुत अच्छे से पता था। उसी चीज को मैंने अपने किरदार में उतारने की कोशिश की है। जब आप फिल्म देखेंगे तो खुद ही कहेंगे कि कितना बढ़िया हो पाया है। सवाल- आपकी कभी योगी जी से इस फिल्म के बारे में बात हुई? जवाब- इस फिल्म के बारे में कभी योगी जी बात नहीं हुई। जब फिल्म की शूटिंग शुरू हुई तब मुझे लगा कि ये लोग फिल्म बना रहे हैं तो जरूर योगी जी परमिशन लेकर बना रहे होंगे। इस लिए इस विषय में कभी योगी जी से बात नहीं हुई। रिलीज के समय जब पता चला कि फिल्म तो रुक गई है। मुझे बताया गया कि हमारे पास एनओसी नहीं है। सेंसर बोर्ड सीएम ऑफिस से एनओसी मांग रहा है। तब प्रोड्यूसर ने बताया कि उनकी तो योगी जी से मुलाकात ही नहीं हुई है। मुझे लगा कि मैं कहां फंस गया। मैं सोचा कि कहीं महाराज जी मुझसे ना पूछ बैठे कि फिल्म बन रही है और तुम एक्टिंग कर रहे हो, मुझे नहीं बताए। खैर, जब कोर्ट ने फिल्म देखकर इसे प्रेरणादायक फिल्म बताया, तब मुझे लगा कि बेवजह ही विवाद पैदा हो गया था। सेंसर बोर्ड ने बिना फिल्म देखे एक अलग धारणा बना ली थी। इस फिल्म में किसी का गुणगान नहीं किया गया। फिल्म का पूरा भाव यह है कि अगर सिस्टम में कुछ गलत लगता है और उसे कोई बदलना चाहता है। तो वैसा तेवर होना चाहिए? इस फिल्म के एक सीन के बारे में बताना चाहूंगा, जब उसे पढ़ा तब मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे। योगी जी जब कॉलेज में थे, तब वहां के कुछ उदंड बच्चे लेडीज टॉयलेट में कुछ अपशब्द लिख देते हैं। योगी जी ने उसकी शिकायत कॉलेज में की, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। तब योगी जी ने टॉयलेट में ताला लगा दिया। जब कॉलेज के प्रबंधक ने पूछा तो योगी जी ने कहा कि मेरे पास सिर्फ 250 रुपए थे। पैसे और होते तो बुलडोजर चलवा देता। यह तेवर उनके अंदर पढ़ाई के समय ही था। कोई व्यक्ति अपने जीवन में कुछ भी बना है तो वह किन चीजों को झेलकर पहुंचा है। उसके अंदर सिस्टम को बदलने का कितना भाव है। आज वो आदमी कहीं भी गलत देखता है तो बुलडोजर चलवा देता। इस फिल्म का एक और सीक्वेंस बता रहा हूं। जब योगी जी राजनीति में नहीं थे। गोरखपुर में कुछ ऐसी घटना हुई थी, जिसकी शिकायत लेकर योगी जी डीएम के पास चले गए थे। डीएम ने कहा कि आप सवाल करने वाले कौन होते हैं? क्या विधायक, सांसद या सीएम हो? तब योगी जी कहा कि तुमसे बात करने के लिए कुछ बनना पड़ेगा। फिर योगी जी ने अपने गुरु जी से राजनीति में आने की बात की। सांसद बनने के बाद डीएम के ऑफिस के बाहर ही बैठ गए। सवाल– जब किसी राजनीतिक शख्सियत पर फिल्म बनती है तो उसे ‘प्रोपेगेंडा’ कहा जाता है। इस पर क्या कहेंगे? जवाब- मैं ऐसा नहीं मानता, जब मैंने फिल्म की स्क्रिप्ट सुनी तब मुझे लगा कि यह बहुत ही कमाल की फिल्म है। यह एक तरह से प्रेरणा है। अगर कोई चीज गलत लग रहा है तो दो ही रास्ते हैं। या तो उसे चुपचाप सहो। नहीं तो उसे बादलो। इसके लिए क्या मादा होना चाहिए वह इस फिल्म से प्रेरणा मिलेगी। सवाल- आप योगीजी के बहुत करीब हैं, क्या आप उन्हें फिल्म दिखाने पर विचार कर रहे हैं? जवाब- मेरी हिम्मत ही नहीं है कि योगी जी को फिल्म देखने के लिए कहूं। जब भी मिलता हूं तब देखता हूं कि योगी जी सुबह जल्दी उठकर अपनी दिनचर्या शुरू कर देते हैं। बिना थके काम करते रहते हैं, उनका जीवन बेहद व्यस्त रहता है। ऐसे में मेरी तो हिम्मत ही नहीं होती कि उनसे कहूं कि मेरी ढाई घंटे की फिल्म देखिए। योगी जी जिस जगह पर बैठे हैं, उनपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। जिसे बहुत अच्छे से निभा रहे हैं। हम लोग कलाकार हैं, जो हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है, वही हम निभा रहे हैं।