दंतेवाड़ा-नारायणपुर सीमा पर सुरक्षा बलों की संयुक्त पार्टी को बड़ी कामयाबी मिली है। दरअसल, गुरुवार की शाम नक्सलियों की मौजूदगी की खबर पर नारायणपुर-दंतेवाड़ा की सीमा के थुलथुली इलाके में संयुक्त पार्टी पहुंची। शुक्रवार की दोपहर जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई, जिसमें जवानों ने 36 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया। हालांकि देर रात तक 28 शव बरामद होने की पुष्टि की गई है। अंधेरा होने की वजह से सर्चिंग रोक दी गई है। घटनास्थल से एके-47 सहित कई ऑटोमैटिक हथियार भी बरामद किया गया है। बताया गया कि मारे गए नक्सली दल का काम अपने बड़े नेताओं को सुरक्षा घेरे में माड़ लाना और बाहर पहुंचाना था। दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय ने बताया पहले राउंड की मुठभेड़ में ही जवानों ने 7 नक्सली ढेर कर दिए, वहीं रुक-रुककर मुठभेड़ जारी है। अभी तक 36 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं। दंतेवाड़ा और नारायणपुर की सीमा के अबूझमाड़ के जंगलों में दंतेवाड़ा से डीआरजी, बस्तर फाइटर्स और एसटीएफ के 500 जवानों ने ऑपरेशन चलाया है। नक्सलियों के सबसे सुरक्षित ठिकानों पर जवानों ने हमला बोलकर बड़े नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया है। नक्सलियों की बैठक की जानकारी के बाद 4 घंटे तक चली प्लानिंग…फिर चला अॉपरेशन यह जवानों की सबसे बड़ी सफलता है। इससे पहले कांकेर जिले में एक मुठभेड़ में जवानों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया था, लेकिन एक साथ 36 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराने का यह पहला मामला है। यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए हैं। यह पूरा ऑपरेशन कैसे चला, इसकी जानकारी भास्कर को पुलिस अफसरों ने दी। अफसरों के मुताबिक नक्सलियों की मौजूदगी की खबर बुधवार देर रात को ही मुखबिर के जरिए मिल गई थी। इसके बाद करीब 4 घंटों तक ऑपरेशन लांच करने के लिए अफसरों ने प्लानिंग की। बुधवार की देर रात तक इस बात पर ही माथापच्ची चलती रही कि जिस थुलथुली में नक्सली जमा हैं। इसके बाद प्लान बनाया गया और यह ऑपरेशन इंटर डिस्ट्रिक कोआर्डिनेशन के तहत चलाने का फैसला लिया गया। इस ऑपरेशन में जवानों को दो तरफ से थुलथुली की ओर भेजा जाएगा और करीब पांच जिलों के बेस्ट जवानों को इसमें शामिल किया जाएगा। गुरुवार की सुबह होते दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले को ऑपरेशन लीड करने की जिम्मेदारी दी गई। जवान गुरुवार को ही जंगलों में घुस गए थे। इसके बाद लंबा सफर तय करने के बाद जवान नक्सलियों के अस्थाई कैंप थुलथुली तक पहुंचे और यहां भीषण मुठभेड़ हुई। चूंकि जवान पहले से ही हमले के लिए तैयार थे ऐसे में नक्सलियों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। सीएम की हाई लेवल मीटिंग, कहा- लड़ाई और तेज होगी अबूझमाड़ में नक्सल ऑपरेशन को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जवानों की बड़ी सफलता करार दिया है। उन्होंने इसे अब तक का बहुत बड़ा आपरेशन बताया है। नक्सली मुठभेड़ के बीच मुख्यमंत्री साय ने अपने निवास पर पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के साथ हाई लेवल मीटिंग भी की। उन्होंने अफसरों से नक्सल ऑपरेशन की डिटेल जानकारी ली। साथ ही आगे की रणनीति पर भी चर्चा की। सीएम ने दो टूक शब्दों में कहा कि मैं पहले से ही माओवादियों से कहता आ रहा हूं कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ें। उन्होंने कहा कि बारिश के बाद नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई और तेज होगी। शेष|पेज 7 छत्तीसगढ़ में माओवाद अब अंतिम सांसें गिन रहा है। डबल इंजन की सरकार के कारण हम इनके खिलाफ मजबूती के साथ लड़ रहे हैं। साय ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो महीने में दो बार नक्सलवाद को लेकर छत्तीसगढ़ आ चुके हैं। उनका संकल्प है कि मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा। उनकी सोच के अनुरूप हमारे जवान यहां छत्तीसगढ़ में मुकाबला कर रहे हैं। वहीं, सीएम साय की 7 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक है। बताया जा रहा है कि राज्य में नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ताजा ऑपरेशन और राज्य में माओवाद की वर्तमान स्थिति को लेकर यह बैठक बुलाई गई है। सीएम बीजापुर दौरे पर थे, उसी दौरान सूचना मिली मुख्यमंत्री विष्णु देव साय शुक्रवार को बीजापुर-दंतेवाड़ा के दौरे पर थे। इस दौरान फोर्स के ऑपरेशन की पहली सूचना आई। उसके बाद सीएम लगातार अफसरों के संपर्क में थे। वे पल-पल की जानकारी लेते रहे। उसके बाद रात को अफसरों को उन्होंने आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। कांकेर में 29 मारे थे, यह बड़ी नक्सली मुठभेड़ 27 मार्च को बीजापुर में 6 नक्सली ढेर, 2 अप्रैल को बीजापुर के कोरचोली जंगल में 13 नक्सलियों को मार गिराया था। 16 अप्रैल को कांकेर में पुलिस नक्सली मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए, 30 अप्रैल को अबूझमाड़ के टेकामेटा में 10 नक्सली मारे गए थे। DSP रैंक के अफसर कर रहे लीड बताया गया कि डीएसपी स्तर के अधिकारी अबूझमाड़ में चलाए जा रहे पूरे ऑपरेशन को लीड कर रहें हैं। बता दें कि बैलाडीला के पहाड़ों के पीछे 9 नक्सलियों को जवानों ने मार गिराया था। इसके बाद फिर 14 नक्सलियों को ढेर करने की बात कही जा रही है। शव लेकर आज पहुंचेंगे जवान मुठभेड़ के बाद इस ऑपरेशन में शामिल जवानों की वापसी शनिवार की सुबह तक होने की उम्मीद है। रात के अंधेरे में जवान नक्सलियों के स्पाइक, प्रेशर आईईडी, और नक्सलियों के एंबुश से बचने पूरी रात अबूझमाड़ के जंगल में ही रुकेंगे। त्वरित टिप्पणी- शिव दुबे, स्टेट एडिटर उम्मीद जगी है… बस हाथ आगे बढ़ाइए रक्षा बलों ने अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन चलाकर 36 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया है। इस ऑपरेशन को नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में फोर्स की सबसे बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। 2026 तक नक्सलवाद से छत्तीसगढ़ को मुक्त कराने के संकल्प के साथ केंद्र और राज्य सरकार ने नक्सलियों के सबसे सुरक्षित गढ़ में लगातार दबाव बनाया हुआ है। इस दबाव का असर अब साफ नजर आ रहा है। अब तक 200 से अधिक नक्सलियों के मारे जाने से फोर्स का मनोबल बढ़ा हुआ है। सरकार भी इसी के दम पर दावा कर पा रही है कि नक्सली आतंक खत्म होकर रहेगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। सालों से लाल आतंक से लहूलुहान बस्तर में शांति स्थापना की दिशा में इस अभियान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उम्मीद की किरण जगी है। इसकी वजह भी साफ है कुदरत ने बस्तर को प्राकृतिक सौंदर्य भरपूर दिया है लेकिन लोग उससे वंचित हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या खूनखराबा से ही हमें शांति मिल सकती है? या इसका कोई और रास्ता हो सकता है? जवाब है- हां हो सकता है। इसका सीधा रास्ता हो सकता है-वार्ता। जी हां, नक्सली अपनी जिद और हिंसा छोड़कर सरकार से बातचीत के लिए आगे आएं तो बिना खूनखराबे के शांति बहाली हो सकती है। वरना, फोर्स को खुली छूट तो मिल ही चुकी है। वास्तविकता के धरातल पर सोचने का समय आ गया है। वास्तविकता यही है कि देश के सिस्टम से अधिक दिनों तक लड़ना संभव नहीं है। इसलिए हाथ आगे बढ़ाइए…