अरुण देव गौतम छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी बनाए गए हैं। 1992 बैच के अफसर हैं। वे 6 जिलों के एसपी रह चुके हैं। कई अधिकारियों के नाम दिल्ली यूपीएससी को भेजे गए थे। जिसके बाद उनके नाम का ऐलान किया गया है। अरुण देव गौतम को संयुक्त राष्ट्र पदक के अलावा सराहनी सेवाओं के लिए वर्ष 2010 में भारतीय पुलिस पदक और 2018 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2002 में संघर्षग्रस्त कोसोवा में सेवा देने के लिए अरुण देव गौतम को संयुक्त राष्ट्र पदक भी मिला था। बता दें कि छत्तीसगढ़ के डीजीपी रहे अशोक जुनेजा का कार्यकाल सोमवार को समाप्त हो गया। उन्हें पहले 2 बार सेवा विस्तार मिल चुका था। अरुण देव गौतम का प्रोफेशनल करियर अरुण देव गौतम मूलतः उत्तरप्रदेश के कानपुर के रहने वाले है। एमए, एमफिल की डिग्री लेने के बाद यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बने है। उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक, भारतीय पुलिस पदक व संयुक्त राष्ट्र पुलिस पदक भी मिल चुका है। उनका जन्म 2 जुलाई 1967 को कानपुर के पास स्थित उनके गांव अभयपुर में हुआ है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा अपने गांव के ही सरकारी स्कूल से की। फिर दसवीं व बारहवीं उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज इलाहाबाद से पूरी की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आर्टस लेकर बीए किया। राजनीति शास्त्र में एमए किया। मां के बाद जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी नई दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय कानून में एमफिल की डिग्री हासिल की। अरुण देव गौतम यूपीएससी निकालकर 1992 बैच के आईपीएस बने। 12 अक्टूबर 1992 को उन्होंने आईपीएस की सर्विस जॉइन की। उन्हें पहले मध्यप्रदेश कैडर एलॉट हुआ था। प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर उनकी जबलपुर में पोस्टिंग हुई। फिर वे बिलासपुर जिले में सीएसपी बने। 6 जिलों के रह चुके हैं एसपी बिलासपुर के बाद एसडीओपी कवर्धा बने। कवर्धा के बाद एडिशनल एसपी भोपाल बने। मध्य प्रदेश पुलिस की 23वीं बटालियन के कमांडेंट भी रहे। एसपी के रूप में पहला जिला उन्हें भोपाल का मिला। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर अरुण देव गौतम ने छत्तीसगढ़ कैडर चुन लिया। छत्तीसगढ़ में वे कोरिया,रायगढ़, जशपुर,राजनंदगांव, सरगुजा और बिलासपुर जिले के एसपी रहे। डीआईजी बनने के बाद वे पुलिस हैडक्वाटर, सीआईडी, वित्त और योजना, प्रशासन और मुख्यमंत्री सुरक्षा के महत्वपूर्ण विभागों में पदस्थ रहे। चुनौती पूर्ण जिलों में अरुण देव गौतम को भेजा जाता था। वर्ष 2009 में राजनांदगांव में नक्सली हमले में 29 पुलिसकर्मियों व पुलिस अधीक्षक के शहीद होने के बाद अरुण देव गौतम को वहां का एसपी बन कर भेजा गया। झीरम कांड के बाद बस्तर IG बनाए गए थे आईजी के पद पर प्रमोशन होने के बाद छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स के प्रभार में रहे। फिर बिलासपुर रेंज के आईजी बने। अरुण देव बिलासपुर जिले के एसपी भी रह चुके थे। झीरम नक्सली हमले में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की मौत के बाद अरुण देव गौतम को बस्तर आईजी बना कर भेजा गया। 25 मई 2013 को झीरम कांड हुआ था। इसके कुछ ही माह बाद नवंबर–दिसंबर को विधानसभा चुनाव हुए। तब सफलतापूर्वक चुनाव करवाने में अरुण देव गौतम की भूमिका रही और वोटिंग प्रतिशत में भी काफी इजाफा हुआ। वे रेलवे, प्रशिक्षण, भर्ती और यातायात शाखाओं के प्रभारी पुलिस महानिरीक्षक रहें। पिछले कुछ सालों से वे छत्तीसगढ़ के गृह सचिव के अलावा जेल व परिवहन विभाग का भी दायित्व सम्हाल रहे हैं। इसके अलावा उन्हें नगर सेना, अग्निशमन सेवाओं का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। जानिए कौन थे प्रदेश के पहले DGP छत्तीसगढ़ के पहले डीजीपी IPS श्रीमोहन शुक्ला का निधन हो चुका है। हाल ही में उन्होंने भोपाल में अंतिम सांसें ली। श्रीमोहन शुक्ला को एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ का पहला डीजीपी बनाया गया था। 26 मई 2001 तक वह इस पद पर बने रहे। इसके बाद रामलखन सिंह का नया डीजीपी बनाया गया। जोगी के मुख्यमंत्री कार्यकाल में वो 2001 से 2004 के बीच छत्तीसगढ़ पीएससी के अध्यक्ष रहे। शुक्ला ने मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बतौर SP भी अपनी सेवाएं दी। DGP नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह है निर्देश बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का 2006 का फैसला राज्य डीजीपी नियुक्तियों के लिए मार्गदर्शक ढांचे के रूप में काम करना जारी रखता है। न्यायालय ने आदेश दिया कि राज्य सरकारें संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा सूचीबद्ध 3 सबसे वरिष्ठ अधिकारियों में से अपने DGP का चयन करें। चयनित अधिकारी को अपनी सेवानिवृत्ति तिथि की परवाह किए बिना कम से कम दो साल का कार्यकाल पूरा करना होगा। DGP पद के लिए योग्यता डीजीपी बनने के लिए 30 साल की सेवा जरूरी है। इससे पहले स्पेशल केस में भारत सरकार डीजीपी बनाने की अनुमति दे सकती है। छोटे राज्यों में आईपीएस का कैडर छोटा होता है, इसको देखते हुए भारत सरकार ने डीजीपी के लिए 30 साल की सर्विस की जगह 25 साल कर दिया है। मगर बड़े राज्यों के लिए नहीं। ……………………………….. डीजीपी से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… छत्तीसगढ़ के DGP अशोक जुनेजा का कार्यकाल समाप्त: अरुण देव गौतम को मिल सकता है प्रभार, जल्द जारी होगा ऑर्डर छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (DGP) अशोक जुनेजा का कार्यकाल 3 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। उन्हें पहले दो बार सेवा विस्तार मिल चुका है, लेकिन इस बार अब तक कोई नया आदेश जारी नहीं हुआ है। पढ़ें पूरी खबर