आरटीओ आरक्षक पद से नौकरी छोड़ने के बाद भी सौरभ शर्मा का वसूली धंधा चालू था। उसने वसूली के लिए अपनी 12 लोगों की स्पेशल टीम भी बनाई थी। वह अलग-अलग समय अपने लोगों को वसूली के लिए चेक पोस्ट पर भेजता था। कुछ स्थानों पर अधिकारियों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन उनकी शिकायत को दबा दिया जाता था।