याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि मुगलों के आक्रमण के दौरान मूर्ति के सिर को नुकसान पहुंचाया गया है और अदालत से इसके पुनर्निर्माण में हस्तक्षेप की मांग की थी। पीठ ने कहा कि ये मामला पूरी तरह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकार क्षेत्र में आता है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि ASI ही तय कर सकती है कि इसके पुनर्निर्माण की अनुमति दी जाए या नहीं।