देशभर समेत छत्तीसगढ़ में आज से नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है। दुर्ग, सरगुजा, रायगढ़ और जगदलपुर समेत तमाम जिलों में छठ घाट बनाए गए हैं। वहीं बिलासपुर में एशिया का सबसे बड़ा स्थायी छठ घाट बनाया गया है। तोरवा छठ घाट मुंबई के जुहू से भी बड़ा है, जो साढ़े 7 एकड़ में फैला हुआ है। इस छठ घाट में पुलिस चौकी, लाइटिंग, पार्किंग स्थल, सामुदायिक भवन और गार्डन बनाए गए हैं। वहीं भिलाई में सूर्यकुंड बनाया गया है, जहां 51 नदियों का पानी डाला गया है। यहां व्रती सूर्य देव और छठी मैया की पूजा कर रहे हैं। आइए जानते हैं छठ पर्व की हर छोटी-बड़ी बातें और मान्यताएं, छठ पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता है। बिलासपुर जिले में तोरवा स्थित छठ घाट एशिया का सबसे बड़ा स्थायी और व्यवस्थित घाट है, जहां 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु एक साथ छठ पूजा करने आते हैं। त्योहार से पहले यहां अरपा नदी की महाआरती की जाएगी। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में छठ पर्व ज्यादा मनाया जाता है, लेकिन पिछले एक दशक से छत्तीसगढ़ में भी उत्साह देखा जा रहा है। एक किलोमीटर एरिया में पूजा और अर्घ्य बिलासपुर जैसा स्थायी और बड़ा घाट पर्व का उद्गम स्थल बिहार में भी नहीं है। छठ मुख्य रूप से बिहार प्रांत का पर्व है। समिति के पदाधिकारी बताते हैं कि, अकेले पटना में 82 घाट हैं, लेकिन सभी घाटों का एरिया महज 100 से 200 मीटर ही है। तोरवा में एक किलोमीटर एरिया में पूजा और अर्घ्य के लिए बेदी बनाई गई है। यहां छठ घाट की साफ-सफाई और रंग-रोगन किया गया। मुंबई के जुहू को माना जाता है बड़ा छठघाट पूजा स्थल के लिहाज से मुंबई के जुहू स्थित चौपाटी को सबसे बड़ा घाट माना जाता है, लेकिन यह स्थायी नहीं है। तोरवा छठ घाट स्थायी है। बाकी राज्यों में पूजा स्थलों पर पर्व के दौरान महज तीन दिन व्यवस्था बनाई जाती है। भिलाई के कैंप-1 में स्थित बैकुंठधाम मंदिर के सामने एक भव्य तालाब का निर्माण किया गया है। इस तालाब का नाम ‘सूर्यकंड गंगा घाट बैकुंठ धाम तालाब’ रखा गया है, जिसमें 51 नदियों का पानी डाला गया है। इसके बाद यहां धूमधाम से छठ पर्व मनाया जाएगा। यह त्योहार चार दिनों तक चलेगा। इन नदियों का मिलाया गया पानी बैकुंठधाम तालाब में गंगा नदी, व्यास, साबरी, स्वर्ण रेखा, अरुणावती, यमुना, रामगंगा, इंद्रावती, कामली, सरस्वती और अलखनंदा नदी समेत 51 नदियों का जल इकट्ठा किया है। जिले में छोटे-बड़े मिलकर लगभग 7-8 छठ घाट हैं। इसमें सेक्टर-2 बैकुंठधाम तालाब, कुरुद नकटा तालाब, हाऊसिंग बोर्ड सूर्य-कुण्ड और दुर्ग में स्थित है। कुरुद नकटा तालाब भी जगमगाया बैकुंठधाम तालाब के साथ कुरुद ढांचा भवन में छठ पर्व के लिए प्रसिद्ध नकटा तालाब का भी सौंदर्यीकरण किया गया। यहां तालाब की साफ-सफाई के बाद चारों तरफ लाइट और पेवर ब्लॉक लगाने का काम किया गया। इससे इस तालाब की सुंदरता भी बढ़ गई है। अंबिकापुर के शंकरघाट, श्याम घुनघुट्टा, शिवसागर तालाब (मौलवी) बांध, बिशुनपुर, महामाया तालाब, जेल तालाब सहित कई घाटों पर छठ पर्व की तैयारी की गई है। जहां एक साथ हजारों की संख्या में व्रती सूर्य की उपासना कर रही हैं। ठंड को देखते हुए रात्रि जागरण करने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलाव की व्यवस्था भी रहेगी। शहर के प्रमुख गुदरी बाजार में छठ पूजन सामान की दुकानें सज गई हैं। श्याम घुनघुट्टा और शंकर घाट में पहुंचे हजारों लोग अंबिकापुर से करीब 12 किलोमीटर दूर श्याम घुनघुट्टा नदी में छठ पर सबसे बड़ा आयोजन होगा। इसके साथ ही शंकरघाट में भी दशकों से छठ का आयोजन हो रहा है। यहां भी हजारों की संख्या में व्रती सूर्य की उपासना कर रही हैं। रायगढ़ में खर्राघाट, किरोडीमल समेत करीब तीन से चार छठ घाट केलो नदी तट के किनारे है। छठ पूजा के लिए पहले से यहां तैयारियां की गई हैं। निगम ने छठ घाटों में साफ-सफाई के साथ ही बेहतर व्यवस्था बनाने को लेकर निगम कर्मी काम कर रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में पहुंचे व्रती जूटमिल छठ घाट समिति के अध्यक्ष मनीष सिंह ने बताया कि, जूटमिल इलाके में शहर का सबसे बड़ा छठ घाट है। यहां सैकड़ों की संख्या में व्रती पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं। किरोड़ीमल नगर में भी बिहार और उत्तर प्रदेश से आकर बसने वालों की संख्या भी अधिक है। किरोड़ीमल नगर क्षेत्र में भी छठ का पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। जगदलपुर में भी सूर्य को अर्घ्य देंगे व्रती वहीं, जगदलपुर शहर में 3 बड़े छठ घाट हैं। इनमें गंगामुंडा, दलपत सागर और महादेव घाट है। तीनों घाटों में छठ की तैयारियां की गई है, जहां बड़ी संख्या में व्रती सूर्य को अर्घ्य देंगे। छठ पूजन विधि और महत्व भी जानिए…