छत्तीसगढ़ में 2000 जगह हिंदू सम्मेलन करेगा RSS:50 लाख घरों तक पहुंचेगा; Gen Z को जोड़ने युवा सम्मेलन, 3 लाख स्वयंसेवकों का पथ संचलन

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। छत्तीसगढ़ में संघ की नींव 1929 में रायपुर के तिलक नगर में रखी गई थी। आज प्रदेश में संघ की 1855 सक्रिय शाखाएं हैं, जो 1460 स्थानों पर संचालित हो रही हैं। इस विजयादशमी (2 अक्टूबर) से लेकर अगली विजयादशमी तक संघ शताब्दी वर्ष मना रहा है। इस दौरान देशभर में 7 प्रमुख कार्यक्रम चलेंगे। छत्तीसगढ़ में इसके तहत 100 गांवों में नई शाखाएं, 50 लाख घरों तक संपर्क और 3 लाख गणवेशधारी स्वयंसेवकों के पथ संचलन का लक्ष्य रखा गया है। पथ संचलन 15 नवंबर तक चलेगा। सबसे अहम बात यह है कि संघ छत्तीसगढ़ में 2000 से अधिक स्थानों पर हिंदू सम्मेलन करेगा। इसके साथ युवा सम्मेलन और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर मीट के जरिए जेनरेशन Z को संगठन से जोड़ने की योजना है। प्रांत संघ चालक टोप लाल वर्मा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि इस शताब्दी वर्ष में संघ ऐसे वर्गों तक पहुंचना चाहता है, जो RSS को जानते तो हैं लेकिन अब तक जुड़ नहीं पाए हैं। छत्तीसगढ़ में संघ के विस्तार, नए लक्ष्यों और सोशल मीडिया रणनीति को लेकर क्या है पूरी तैयारी पढ़िए इस खास रिपोर्ट में:- सबसे पहले जानिए, संघ के वो 7 कार्यक्रम जो इस शताब्दी वर्ष में होंगे 1. विजयादशमी उत्सव: मंडल और बस्ती स्तर पर गण-वेशधारी स्वयंसेवक और उनके परिवारों की भागीदारी। देशभर में 2 अक्टूबर से, बंगाल में महालय से शुरुआत। रायपुर में लगभग 12,000 गण-वेशधारी स्वयंसेवक को पथ संचलन में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। 2. गृह संपर्क अभियान: नवंबर 2025 से जनवरी 2026 तक तीन सप्ताह बड़े पैमाने पर घर-घर संपर्क अभियान चलेगा। इसका विषय होगा – “हर गांव, हर बस्ती, घर-घर”। संपर्क के दौरान स्वयंसेवक 15 मिनट तक संघ के कार्यों के बारे में परिवार के सदस्यों को बताएंगे। संघ साहित्य का वितरण और भारत मां का चित्र भेंट में देंगे। इन्हीं तीन महीनों में छत्तीसगढ़ में 50 लाख घरों तक पहुंचने का लक्ष्य संघ ने रखा है। 3. पब्लिक मीटिंग: जगह-जगह पर पब्लिक मीटिंग की जाएगी। इसमें हर प्रोफेशन के लोगों को संघ अपने विचारों से जोड़ेगा। इस दौरान संघ ऑपरेशन सिंदूर, जनसंख्या नियंत्रण, और जाति जनगणना जैसे मुद्दे को उठाएगा। 4. हिंदू सम्मेलन: नगर और खंड स्तर पर सामाजिक वर्गों को जोड़ने वाले सम्मेलन। इससे पहले 1989 और 2006 में हुए थे। प्रदेश में ये हिन्दू सम्मेलन दो हजार जगहों पर होंगे। खासकर गांवों पर फोकस पर रहेगा। 5. सद्भाव बैठक: 1 माह प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, संस्थाओं और संतों की सहभागिता सद्भाव बैठकें आयोजित की जाएंगी। इसका उद्देश्य सांस्कृतिक आधार और हिन्दू चरित्र को बनाए रखते हुए आधुनिक जीवन जीने का संदेश देना होगा। 6. युवा सम्मेलन: इस युवा सम्मेलन के जरिए संघ जेन-जी को अपने साथ जोड़ना चाहता है। छत्तीसगढ़ में एक बड़ी इन्फ्लुएंसर्स मीट कराने की योजना भी संघ कर रहा है। 7. शाखा विस्तार: संघ एक साप्ताहिक शाखा सुबह और शाम की शाखाओं का देशभर में विस्तार करना चाहता है। 100 से अधिक गांवों में इस तरह की शाखा शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। समाज में पांच बदलाव लाना चाहता है संघ इस शताब्दी वर्ष में संघ समाज के बीच अपने पंच परिवर्तन के नरेटिव को लेकर लोगों के बीच जाएगा। प्रांत संघ चालक वर्मा ने बताया कि कुटुम्ब प्रबोधन इसमें महत्वपूर्ण है। न्यूट्रल फैमिली का ट्रेंड भारत बढ़ रहा है। भारत अपनी एकजुटता को लेकर वैश्विक स्तर पर जाना जाता है, चाहे वो सामाजिक ताने-बाने की बात हो या परिवार की। लेकिन रोजगार और दूसरे कारणों से परिवार दूर हुए हैं। वर्मा ने आगे बताया पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा भी हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। पर्यावरण को लेकर तीन चीज समाज के हर व्यक्ति को संघ समझाएगा वो ये कि सेफ फ्यूचर के लिए पानी बचाएं, पॉलिथीन का उपयोग न करें, पेड़ लगाएं। इसके अलावा सामाजिक समरसता, नागरिक कर्तव्य और स्व का बोध भी संघ ने अपने पंच परिवर्तन में शामिल किया है। Gen Z: डिजिटल युग की सबसे युवा और जागरूक पीढ़ी ‘Gen Z’ या जेनरेशन Z मौजूदा दौर के सबसे चर्चित शब्दों में से एक है। यह शब्द आमतौर पर उन युवाओं के लिए इस्तेमाल होता है जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ है। जैसे भारत में पीढ़ियों को अक्सर परदादा, दादा, पिता और बेटा जैसे पारिवारिक रिश्तों के जरिए समझा जाता है, वैसे ही पश्चिमी दुनिया में पीढ़ियों को नामों से वर्गीकृत किया जाता है — जैसे Baby Boomers, Millennials और अब Gen Z। …………………………… RSS से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… RSS प्रमुख भागवत बोले-काशीनाथ ने संघ को मजबूत किया:गोरे की याद में प्रकाशित स्मारिका का विमोचन, रमन सिंह बोले-मुझे शनिचर डॉक्टर कहते थे लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने एक महीने पहले अगस्त माह में सिम्स ऑडिटोरियम में काशीनाथ गोरे को श्रद्धांजलि दी थी। इसके बाद काशीनाथ गोरे पर आधारित स्मारिका का विमोचन किया। इस दौरान भागवत ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हर कोई काशीनाथ बन जाए, लेकिन हर किसी को स्वयंसेवक जरूर होना चाहिए। पढ़ें पूरी खबर

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