डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने बुधवार को ग्रीनलैंड की महिलाओं से 60 पहले जबर्दस्ती की गई नसबंदी के लिए माफी मांगी है। इस नसबंदी का मकसद ग्रीनलैंड की जनसंख्या कंट्रोल करना था, जिसे अब नस्लीय भेदभाव का प्रतीक माना जाता है। ग्रीनलैंड, डेनमार्क का ही एक स्वायत्त क्षेत्र है, जिसका अपना पीएम है। दरअसल, 1960 और 1970 के दशक में, डेनमार्क के डॉक्टरों ने लगभग 4,500 ग्रीनलैंड की महिलाओं और लड़कियों को जबर्दस्ती गर्भनिरोधक डिवाइस (IUD) लगाए थे। इसे स्पाइरल केस नाम से जाना जाता है। केस में मानवाधिकार उल्लंघन की बात शामिल नहीं नाजा लाइबर्थ जिन्होंने सबसे पहले इस मामले के खिलाफ आवाज उठाई थी, उन्होंने कहा- आगे बढ़ने के लिए माफी बहुत जरूरी है।” हालांकि, उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि इस केस की जांच में मानवाधिकार उल्लंघन की बात शामिल नहीं है। जांच में पता चला कि उस वक्त 12 साल की कई लड़कियों को भी इस तरह के डिवाइस लगाए गए थे। इन महिलाओं को बाद में भारी दर्द, खून बहना और कुछ को बांझपन जैसी समस्याएं झेलनी पड़ीं। कई महिलाओं ने बताया कि जब उन्होंने दर्द की शिकायत की, तो डॉक्टरों ने उनकी मदद नहीं की। कुछ ने खुद ही IUD निकालने की कोशिश की, जिससे परेशानी और बढ़ गई। ग्रीनलैंड पीएम बोले- यह इतिहास का सबसे काला अध्याय ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री जेन्स-फ्रेडरिक नील्सन ने इस मामले पर कहा- आपसे कुछ नहीं पूछा गया। आपको बोलने और सुने जाने का मौका नहीं दिया गया। यह हमारे इतिहास का सबसे काला अध्याय है। वहीं, डेनमार्क PM फ्रेडरिक्सन ने माना कि कई महिलाओं को मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा, और कुछ जीवन भर मां नहीं बन सकीं। समारोह में मौजूद एक महिला ने कहा कि ‘फ्रेडरिक्सन की माफी अच्छी है, लेकिन हमें सच्चाई और इंसाफ चाहिए। इस भाषण में मुआवजे का कोई जिक्र नहीं होने से मुझे निराशा हुई।’ 2026 में तय होगा, ये नरसंहार था या नहीं 2025 में आई एक जांच रिपोर्ट ने इस घोटाले की पुष्टि की और कहा कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। इस मामले से जुड़ी एक और जांच रिपोर्ट 2026 में आएगी, जो यह तय करेगी कि इसे नरसंहार कहा जाए या नहीं। डेनमार्क PM ने पीड़ित महिलाओं के लिए एक ‘मुआवजा फंड’ बनाने की बात की, लेकिन यह क्लियर नहीं है कि यह कब और कितनी महिलाओं को मिलेगा। 143 महिलाओं के एक ग्रुप ने 50 करोड़ रुपए के मुआवजे के लिए मुकदमा दायर किया है।
ग्रीनलैंड को 1979 में डेनमार्क से स्वायत्तता मिली 150 साल तक डेनमार्क की कॉलोनी रहने के बाद ग्रीनलैंड 1953 में डेनमार्क का हिस्सा बना। इसे 1979 में कुछ और स्वायत्तता मिली, जिससे तहत ग्रीनलैंड डेनमार्क का ही हिस्सा रहा, लेकिन इसे अपनी सरकार चुनने के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मामलों की आजादी मिली। हालांकि 1992 तक डेनमार्क ही ग्रीनलैंड का हेल्थ सिस्टम संभालता था।
ग्रीनलैंड में 57 हजार लोग रहते हैं, ये दुनिया का सबसे बड़ा आईलैंड है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 21 लाख वर्ग किमी है। ग्रीनलैंड का 85% भाग 1.9 मील (3 किमी) मोटी बर्फ की चादर से ढका है। इसमें दुनिया का 10% ताजा पानी है। —————————————– यह खबर भी पढ़ें… फ्लाइट के लैंडिंग गियर में छुपकर दिल्ली आया:13 साल का लड़का बोला- देखना था कैसा लगता है, पूछताछ के बाद वापस अफगानिस्तान भेजा अफगानिस्तान से एक 13 साल का लड़का प्लेन के लैंडिंग गियर में छुपकर भारत आ गया। यह घटना रविवार, 21 सितंबर की है। अफगानिस्तान की KAM एयरलाइन की फ्लाइट RQ-4401 काबुल के हामिद करजई एयरपोर्ट से भारतीय समयानुसार सुबह 8:46 बजे रवाना हुई और सुबह 10:20 बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 पर उतरी। यहां पढ़ें पूरी खबर…