तालिबान ने भारत में PHD छात्र को बनाया राजनयिक:मुंबई के वाणिज्य दूतावास में नियुक्त किया; भारत ने राजनयिक के तौर पर मान्यता नहीं दी

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अफगानिस्तान के तालिबान शासन ने भारत में अपनी पहली राजनयिक नियुक्ति की है। तालिबान ने एक अफगानी छात्र को मुंबई स्थित कॉन्सुलेट में कार्यवाहक राजदूत बनाया है। तालिबान के उपविदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टनिकजई ने मंगलवार को X पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी। मोहम्मद अब्बास ने पोस्ट कर बताया कि मुंबई में अफगानिस्तान के कॉन्सुलेट में हाफिज इकरामुद्दीन कामिल को राजदूत बनाया गया है। हालांकि NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के इस फैसले को अभी तक भारत ने मंजूरी नहीं दी है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कामिल एक अफगानी नागिरक हैं जो भारत में अफगानियों के लोगों के लिए काम कर रहें हैं। फिलहाल उन्हें किसी नियुक्ति से जोड़कर नहीं देखा नहीं चाहिए। सात साल से भारत में पढ़ रहे हैं कामिल इकरामुद्दीन कामिल पिछले 7 सालों से भारत में पढ़ रहे हैं। उन्होंने दिल्ली की साउथ एशिया यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय कानून में PHD की है। इसके लिए कामिल को भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्कॉलरशिप दी थी। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक कामिल पहले से ही मुंबई में हैं और अपना काम कर रहे हैं। पिछले हफ्ते 6 नवंबर को विदेश मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी जेपी सिंह ने अफगानिस्तान में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात की थी। इसके 6 दिन बाद ही कामिल को राजदूत नियुक्त करने की जानकारी सामने आई। पिछले साल से बंद है अफगानी दूतावास अफगानिस्तान में 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद भारत ने अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया था। हालांकि इसके बाद भी भारत में मौजूद अफगानी दूतावास और राजदूत काम कर रहे थे। लेकिन पिछले साल सितंबर में अफगानिस्तान के दूतावास ने भारत में काम बंद कर दिया था। भारत में अफगानिस्तान के इंचार्ज एम्बेसडर फरीद मामुंदजई ने तालिबान को एक खत लिखकर बताया था कि वो अपना काम पूरा करने में फेल हो गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें तालिबानी सरकार की तरफ से कोई भी सपोर्ट या डिप्लोमैटिक मदद नहीं दी गई। इसके बाद सभी डिप्लोमैट्स भारत छोड़कर यूरोप और अमेरिका चले गए थे।

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