रोहिताश्व गौर, जो टीवी शो ‘भाबीजी घर पर हैं’ में मनमोहन तिवारी का किरदार निभाकर मशहूर हुए, ने अपनी बेटी गीति के बॉलीवुड सफर पर दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। उन्होंने गीति की डेब्यू फिल्म, उसके करियर की तैयारियों और अपनी उम्मीदों पर खुलकर अपने विचार शेयर किए। आइये जानते है क्या कहा उन्होंने: फेस्टिवल्स के लिए बनाई गई है फिल्म गीति ने जो किया है, उससे मैं बहुत खुश हूं। हालांकि मैं इसे डेब्यू फिल्म नहीं मानता। यह एक छोटी और अच्छी फिल्म है, जो उसके करियर के लिए फायदेमंद होगी। वह अभी एक्टिंग की पढ़ाई कर रही है और खुद को निखार रही है। उसने हाल ही में लंदन की रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स से एक कोर्स पूरा किया है। यह फिल्म फेस्टिवल्स के लिए बनाई गई है और मुझे यकीन है कि इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा। गीति बचपन से ही डांस में रुचि रखती थी गीति को बचपन से एक्टिंग और फिल्मों का शौक था। लॉकडाउन के दौरान उसने इस पर ज्यादा ध्यान देना शुरू किया। उसने मॉडलिंग, ब्यूटी पेजेंट्स और रैंप वॉक में हिस्सा लिया। साथ ही, उसने व्हिसलिंग वुड्स से एक्टिंग की ट्रेनिंग ली। गीति बचपन से ही डांस और परफॉर्मेंस में रुचि रखती थी। वह मेहनती है और अपनी कला को बेहतर बना रही है। मैंने उसे हमेशा कहा कि भाषा पर ध्यान देना जरूरी है। हिंदी सिनेमा में भाषा की समझ होना बहुत जरूरी है। मैंने उसे बताया कि कैसे डायलॉग डिलीवरी और लहजे पर काम करना चाहिए। वह अंग्रेजी पर ज्यादा ध्यान देती है, लेकिन मैंने उसे हिंदी और उर्दू की अहमियत समझाई। मैंने अपने NSD के अनुभव भी उससे शेयर किए। फिल्म में आजादी के लिए खड़ा होता दिखेगा बेटी का किरदार गीति अपनी डेब्यू फिल्म में एक ऐसी लड़की का किरदार निभा रही है, जो अपनी आजादी के लिए खड़ी होती है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे उसकी सोच और परिवार की चिंता आपस में टकराती है। फिल्म में संजय मिश्रा और मैंने भी अहम रोल किए हैं। फिलहाल फिल्म का नाम तय नहीं है। यह फिल्म बेटी को एक अच्छा अनुभव देगी। फिल्म के निर्देशक वत्सल जैन और टीम ने बहुत अच्छा काम किया है। इसे फिल्म फेस्टिवल्स में भेजा जाएगा और मुझे यकीन है कि इसे वहां पसंद किया जाएगा। मुझे अभी गुलजार साहब की कुछ पंक्तियां याद आती हैं कि – उड़ा देती हैं नींदें कुछ जिम्मेदारियां घर की, रात में जागने वाला हर शख्स आशिक नहीं होता। मार्शल आर्ट सीखने की सलाह दी है ताकि वह एक्शन के लिए तैयार रहे मैं चाहता हूं कि गीति एक ए-लिस्टर एक्ट्रेस बने, जैसे दीपिका पादुकोण या दूसरी बड़ी एक्ट्रेसेस। मैं चाहता हूं कि वह बड़े प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बने और अपनी एक अलग पहचान बनाए। मैंने उसे फिटनेस और एक्टिंग दोनों पर फोकस करने को कहा है। मैंने उसे मार्शल आर्ट्स सीखने की सलाह दी है ताकि वह एक्शन रोल्स के लिए भी तैयार रहे। मैंने उसे कहा कि सेहत का ध्यान रखना सबसे जरूरी है। एक्टिंग में सिर्फ टैलेंट नहीं, बल्कि फिटनेस और तैयारी भी मायने रखती है। मैंने उसे सिखाया कि धैर्य और अनुशासन के बिना करियर में आगे बढ़ना मुश्किल है। परिवार की तीसरी पीढ़ी है जो एक्टिंग में करियर बना रही है यह हमारे परिवार की तीसरी पीढ़ी है जो अभिनय में करियर बना रही है। मेरे दिवंगत पिता, श्री सुधर्शन गौड़, शिमला के एक कलाकार थे और उन्होंने 1955 में ऑल इंडिया आर्टिस्ट्स एसोसिएशन की स्थापना की थी। जहां मैंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) से अपनी कला को निखारा। वहीं गीति ने इसे और आगे बढ़ाया और रॉयल रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट (RADA) से प्रशिक्षण लिया। मुझे उस पर गर्व है। ‘भाबीजी घर पर है’ शो से बेटी ने खास लहजा पकड़ने की ट्रिक सीखी है गीति ने ‘भाबीजी..’ शो के सारे एपिसोड देखे हैं। उसने कहा कि शो के किरदारों का टाइमिंग सेंस और भाषा की पकड़ गजब की है। इससे उसने यह सीखा कि किसी खास लहजे को कैसे पकड़ा जाए और डायलॉग्स को नेचुरल तरीके से कैसे बोला जाए। हम सभी उसकी शुरुआत को लेकर बहुत खुश हैं।