छत्तीसगढ़ के धमतरी में कोटवार बाबा काल भैरव की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर दिन भर विभिन्न धार्मिक आयोजन हुए, जिसमें महाभंडारा और महाआरती शामिल थे। दूर-दूर से आए भक्तों ने बाबा का आशीर्वाद लिया। हर वर्ष की तरह इस साल भी धमतरी के कोटवाल बाबा काल भैरव का जन्मोत्सव भक्तों और श्रीराम मंदिर न्यास द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह बाबा का अभिषेक, पूजन, श्रृंगार और आरती की गई। इसके बाद भक्तों की लंबी कतारें दर्शन के लिए लगी रहीं। दोपहर में महाभंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। शाम को भगवान की भव्य महाआरती भी की गई। देर रात आतिशबाजी का भी आयोजन किया गया। 1000 साल पुराना है बाबा काल भैरव का यह मंदिर बताया गया है कि धमतरी में बाबा काल भैरव का यह मंदिर 1000 वर्षों से भी अधिक पुराना है। यहां लोग अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए निरंतर दर्शन और पूजन करने आते हैं। बाबा की विशेष पूजा शनिवार और रविवार को की जाती है। मान्यता है कि बाबा भैरव जी की उत्पत्ति शिव के क्रोध से हुई थी। शिव पुराण के अनुसार, जब अंधकासुर नामक दैत्य ने शिव पर आक्रमण किया, तो उनके रक्त से भैरव का जन्म हुआ। एक अन्य कथा के अनुसार, जब सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने शिव का अपमान किया, तब शिव के शरीर से उत्पन्न क्रोध और विराट रूप को ही महाभैरव कहा गया, जिन्होंने बाद में ब्रह्मा के अहंकार को शांत किया। भगवान काल भैरव को रक्षक और संरक्षक माना जाता है। उनका नाम ‘काल’ और ‘भैरव’ शब्दों के मेल से बना है, जो समय के स्वामी और अज्ञान व भय को दूर करने वाले का प्रतीक है। उन्हें नकारात्मक ऊर्जा, बुरी आत्माओं और काले जादू का नाश करने वाला तथा भक्तों को सुरक्षा प्रदान करने वाला भी माना जाता है।
