मुझे लखनऊ आना अच्छा लगता है। यहां के लोगों का खूब प्यार मिलता है। लखनऊ में ही साल 2012 में जूनियर नेशनल का पहला गोल्ड मेडल जीता था। टोक्यो ओलिंपिक के बाद भी यहां आया था। मैच से पहले मैं बजरंगबली और महादेव को याद करता हूं। प्रधानमंत्री मोदी से मिलने गया था तो मां के हाथों का बना चूरमा लेकर गया था। यह कहना है ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा का। वह शनिवार को लखनऊ पहुंचे थे। यहां नीरज चोपड़ा ने भास्कर से बातचीत की। उन्होंने कहा- लखनऊ में पुरानी बिल्डिंग को जिस तरह से सुरक्षित रखा गया है। यह काफी अच्छा था। आज पहली बार लखनऊ में घूमने का मौका मिला है। पालक पत्ता चाट बहुत अच्छा था। हमारे यहां घेवर मीठा होता है। यहां पर नमकीन था, अच्छा लगा। खिचड़ी भी यहां पर खाई है। शर्मा जी की चाय की दुकान पर भी गया था। उनका चाय बनाने का तरीका थोड़ा अलग है। नीरज बोले- अभी थोड़ा मोटा हो गया हूं
नीरज चोपड़ा ने कहा- मैं, प्रधानमंत्री के लिए मां के हाथों का बना चूरमा लेकर गया था। मैं जब भी घर जाता हूं, तो हमारे पांच से दस दोस्त यही चूरमा खाते हैं। अभी मोटापा बढ़ रहा है। ट्रेनिंग चल नहीं रही है। डाइट पर अधिक फोकस है। अभी 30-40 मिनट रनिंग और एक्सरसाइज कर लेते हैं। सीजन अभी खत्म हुआ है। इसलिए एक डेढ़ महीना हल्की ट्रेनिंग है। अब अगले साल वर्ल्ड चैम्पियनशिप है, उसकी ट्रेनिंग करूंगा। अभी सर्जरी भी कराई थी। डॉक्टर ने भी रिकवरी के लिए बोला है। जब भी आता हूं कोशिश करता हूं, देश के लोगों को और परिवार को टाइम दे सकूं। अधिकांश समय तो ट्रेनिंग के लिए बाहर ही रहना पड़ता है। 90 मीटर का मैजिकल थ्रो जल्द फेकेंगे नीरज ने कहा कि 2018 से मैं कई बार 90 मीटर जैवलिन थ्रो के करीब पहुंच गया हूं। हर कॉम्पिटिशन में उसके पास में पहुंच रहा हूं। अगर आप मुझसे पूछोगे कि 90 मीटर प्लस मारना है या फिर नियमित तौर पर 88-89 मीटर का थ्रो मारना है। तो मैं, 88-89 मीटर के बारे में कहूंगा। मेरे हिसाब से कंसिस्टेंसी बहुत जरूरी है। 90 मीटर मैजिकल मार्क है। कभी-कभी सेंटीमीटर से रह जाता हूं। जब 100 पर्सेंट इंजरी फ्री होंगे तो यह होगा। पेरिस ओलिंपिक पर नीरज ने कहा कि मैं इंजर्ड न हो जाऊं। यह बात मेरे दिमाग में चल रही थी। इस बात से कॉन्फिडेंस को लेकर थोड़ी कमी है, लेकिन इसको लेकर तैयारी कर रहा हूं। मैंने पेरिस ओलिंपिक में टोक्यो से बेहतर थ्रो किया है। जीवन में कुछ भी शॉर्टकट नहीं है नीरज चोपड़ा ने कहा- मैच से पहले मैं बजरंगबली और महादेव को याद करता हूं। मुझे वॉलीबॉल पसंद है। ऐथ्लैटिक्स में डिस्कस थ्रो पसंद है। कोशिश करूंगा कि जान जेलेजनी को लेकर लखनऊ आऊं। मैच से पहले स्टेडियम में जाता हूं। पॉजिटिव एनर्जी के साथ में उसे विजुअलाइज करता हूं। आज के दौर में बच्चों को आगे बढ़ने के लिए अपनी मेहनत पर ध्यान देना चाहिए, कोई शॉर्टकट नहीं होता है। कोच बदलने पर भी बोले हमारे कोच डॉ. क्लॉस बारटोनिएट्ज ट्रेनिंग छोड़ कर अपने परिवार के साथ में रहना चाहते हैं। इसलिए नए कोच की तलाश कर रहा हूं। इंडिया में रहने पर बहुत अधिक ट्रैवल करना पड़ता है। इसलिए बाहर रहना अधिक पसंद है। ट्रेनिंग और कॉम्पिटिशन में इसके कारण बैलेंस बना रहता है। अच्छे माहौल के साथ ट्रेनिंग जरूरी नीरज ने कहा- नेशनल में पहले 75 मीटर पर गोल्ड आ जाता था। अब 80 मीटर के नीचे कुछ नहीं होता है। जर्मनी में भी यही चीज देखने को मिली है। इंडिया के टॉप एथलीट अच्छा कर रहे हैं। मेडल भी आ रहे। एथलीट की मेंटेलिटी चेंज हो रही। हमारे आस-पास जो लोग हैं उन पर डिपेंड करता है कि स्पोर्ट्स कैसा रहेगा। जो लोग अच्छा कर रहे उन्हें एप्रीसिएट करना चाहिए। 2036 ओलिंपिक इंडिया में हो। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए हमें अभी से तैयारी करनी चाहिए। प्राइवेट कंपनी को भी स्पोर्ट्स के क्लब बनाने चाहिए। एक दो चीज से नहीं कई चीजों को मिलाकर काम करना होगा।