फिल्म रिव्यू – ‘गुस्ताख इश्क’:मूवी में मोहब्बत की सादगी, उर्दू की मिठास; विजय वर्मा की भावनाओं से भरी अदाकारी, जानिए क्यों देखनी चाहिए ये फिल्म

0
4

इस दौड़ भाग और सोशल मीडिया वाले वक्त में, जहां रिश्ते भी फिल्टर से गुजरकर आते हैं, गुस्ताख इश्क एक ऐसी कहानी लेकर आती है जो दिल को पुरानी दिल्ली की गलियों की तरह गर्माहट देती है सीधी, सच्ची और एहसासों से भरी हुई। फिल्म की कहानी नवाबुद्दीन सैफुद्दीन रहमान (विजय वर्मा) अपने पिता की पुरानी प्रिंटिंग प्रेस बचाने की जद्दोजहद में है। इसी सफर में वह अजीज बेग (नसीरुद्दीन शाह), एक मशहूर शायर जो अपनी पहचान छिपाकर दूसरे शहर में जा बसा है, उसका शागिर्द बनता है। उधर, नवाब की जिंदगी में एक नई रोशनी बनकर आती है मिन्नी (फातिमा सना शेख), जो पेशे से टीचर है और दिल से बेहद मासूम है।अपने उस्ताद की इज्जत और अपने इश्क के बीच अटका नवाब एक ऐसे मोड़ पर पहुंचता है, जहां एक फैसला उसकी पूरी जिंदगी बदल सकता है। कहानी पुरानी दिल्ली की महक, उर्दू की नफासत और रिश्तों की गर्माहट को बहुत खूबसूरती से उकेरती है। फिल्म का निर्देशन निर्देशक मयूर पुरी ने इस फिल्म को एक नर्म-गर्म कविता की तरह रचा है। शॉट्स इतने खूबसूरत हैं कि पुरानी दिल्ली और मलेरकोटला खुद एक किरदार बन जाते हैं। शानदार सिनेमैटोग्राफी, सेट डिजाइन और बेहतरीन साउंड, ये सभी मिलकर ऐसा माहौल रचते हैं जो समय में पीछे ले जाकर भी ताजगी देता है। फिल्म का दूसरा हिस्सा थोड़ा लंबा और भावुक हो जाता है, लेकिन भावनाओं की गहराई दर्शक को बांधे रखती है। फिल्म में अदाकारी फिल्म की कास्टिंग बिल्कुल सटीक है। विजय वर्मा पूरी ईमानदारी से नवाब के दर्द, मासूमियत और उलझन को जीते हैं। फातिमा सना शेख अपनी आंखों से भावनाएं कह देने वाली अदाकारा साबित होती हैं। नसीरुद्दीन शाह को अजीज बेग के किरदार में देखकर महसूस होता है कि उन्हें “माहिर अदाकार” क्यों कहा जाता है। शरीब हाशमी ‘भूरे’ के किरदार में मजबूती और सहजता लाते हैं। रोहन वर्मा जुम्मन के रूप में पूरी नेचुरलिटी से उभरते हैं। फिल्म का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर हितेश सोनिक का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को और भी दिल छू लेने वाला बनाता है। विशाल भारद्वाज की धुनें और गुलजार साहब के बोल मिलकर फिल्म की आत्मा बन जाते हैं। गाने कहानी की रूह की तरह नाजुक और असरदार हैं। फिल्म क्यों देखें? गुस्ताख इश्क वह फिल्म है जिसे बनाने के लिए हिम्मत चाहिए, क्योंकि यह ट्रेंड के लिए नहीं, दिल के लिए बनाई गई है। नॉस्टैल्जिक भी, रिफ्रेशिंग भी। धीमी भी, लेकिन दिल में उतर जाने वाली भी। अगर आप कहानियों में सादगी और इश्क में मासूमियत ढूंढते हैं, तो यह फिल्म आपको जरूर छू जाएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here