भारत-चीन के बीच 26 अक्टूबर से डायरेक्ट फ्लाइट शुरू:5 साल पहले कोरोनाकाल में बंद हुई थी; सरकार बोली- रिश्ते नॉर्मल करने की तरफ बड़ा कदम

0
3

भारत और चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने पर फिर से सहमति बन गई है। इसी महीने 26 अक्टूबर से दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू होगी। 2020 में कोरोना महामारी की वजह से यह सर्विस बंद की गई थी। विदेश मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि भारत-चीन संबंधों को धीरे-धीरे सामान्य करने की दिशा में ये बड़ा कदम है। यह उड़ानें सर्दियों के समय के हिसाब से चलेंगी। लेकिन, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों देशों की एयरलाइंस तैयार हों और सभी नियम पूरे करें। तीसरे देशों के जरिए हो रही थी ट्रैवलिंग कोविड महामारी के बाद से दोनों देशों के नागरिक तीसरे देशों जैसे थाईलैंड, सिंगापुर या मलेशिया के जरिए एक-दूसरे के यहां ट्रैवल कर रहे थे। इससे यात्रा का समय और खर्च दोनों बढ़ गए थे। दोनों देशों के एयर सर्विस अधिकारियों ने कई महीनों की तकनीकी चर्चा के बाद फैसला किया है कि अक्टूबर 2025 के आखिर से भारत और चीन के बीच सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू होंगी। हाल के कुछ सालों में, खासकर 2025 की शुरुआत से भारत और चीन ने अपने रिश्तों को सामान्य करने के लिए कदम उठाए हैं। फैसले से 3 अहम फायदे…

कोरोना के पहले हर महीने 539 सीधी उड़ानें थीं कोरोना महामारी से पहले दोनों देशों के बीच हर महीने 539 सीधी उड़ानें हुआ करती थीं। इनकी कैपेसिटी कुल मिलाकर 1.25 लाख सीटों से ज्यादा थी। इन फ्लाइट्स में एअर इंडिया, चाइना साउदर्न एयरलाइंस, चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस जैसी कंपनियां शामिल थीं। उड़ान सेवा निलंबित रहने के बाद दोनों देशों के यात्री बांग्लादेश, हॉन्गकॉन्ग, थाइलैंड और सिंगापुर जैसे कनेक्टिंग हब के जरिए यात्रा करते थे। हालांकि यह यात्रा महंगी पड़ती थी। एयर ट्रैफिक की जानकारी देने वाली कंपनी सिरियम के मुताबिक जनवरी-अक्टूबर 2024 के बीच भारत-चीन की यात्रा करने वाले लोगों की संख्या 4.6 लाख थी। वहीं, 2019 के शुरुआती 10 महीने में यह आंकड़ा 10 लाख था। जनवरी से अक्टूबर 2024 के बीच वाया हॉन्गकॉन्ग 1.73 लाख, वाया सिंगापुर 98 हजार, वाया थाईलैंड 93 हजार, वाया बांग्लादेश 30 हजार लोगों ने दोनों देशों की यात्राएं कीं। गलवान घाटी में झड़प के बाद बिगड़े थे रिश्ते 15 जून 2020 को चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगहों पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं। भारत सरकार ने भी इन इलाकों में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गोलियां चलीं। इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसमें 40 चीनी सैनिक मारे गए थे। भारत-चीन समझौते की नींव कजान में पड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले साल अक्टूबर में 5 साल बाद कजान में मिले थे। तब दोनों देशों ने आपसी संबंधों की स्थिति पर चर्चा की और संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कुछ कदम उठाने पर सहमति जताई थी। इसके बाद से पिछले 3 महीने में चीन-भारत सीमा के विवादित इलाके डेमचोक और देपसांग से दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा और फ्लाइट सर्विस शुरू करने जैसे फैसले हुए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here