छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में हुए भीषण रेल हादसे ने कई परिवारों की दुनिया उजाड़ दी। लेकिन उसी मलबे के बीच एक जिंदगी बाहर निकल कर आई जिसने हर किसी की आंखें नम कर दी। हादसे के मलबे से जब राहतकर्मी एक-एक कर लोगों को निकाल रहे थे, तभी मलबे में एक महिला की लाश दिखाई दी। देखने पर ऐसा लग रहा था मानो मां ने आखिरी पल तक बेटे को संभालने की कोशिश की हो। पहले किसी को लगा दोनों मर चुके हैं पर कुछ पल बाद पास में पड़े बच्चे की हल्की सांसें महसूस हुईं। 2 साल का मासूम ऋषि अपनी मां के पास बेहोश पड़ा था और मौत के बाद भी उसकी मां शीला की बाहें उसे इस तरह से जकड़ी हुई थी जैसे उसका बेटा अब भी उसके सीने से लिपटा हुआ हो। पास ही उसके पापा अर्जुन यादव और नानी मानमती की लाश पड़ी थी । तीनों की मौत हो चुकी थी, लेकिन शीला की ममता अब भी जिंदा थी क्योंकि इसी पकड़ की वजह से ऋषि की सांसें अभी भी चल रही थीं। इस रिपोर्ट में पढ़िए बिलासपुर रेल हादसे से जुड़े दर्दनाक घटनाक्रम और हादसे के बीच बची उम्मीद की कहानी:- पहले ये दो तस्वीर देखिए… मलबे में मिली जिंदगी की सबसे बड़ी तस्वीर ऋषि के पारिवारिक सदस्य विशाल चंद्र केसरी ने बताया कि जब रेस्क्यू टीम मौके पर थी, तब कोच में आवाजें थम चुकी थीं। इस भीषण हादसे में किसी को ये उम्मीद नहीं थी कि एक नन्हीं जान अब भी धीरे-धीरे सांस ले रही है। विशाल ने बताया कि तभी एक रेस्क्यू-कर्मी ने देखा कि एक औरत का शरीर दबा हुआ है और उसकी छाती के पास एक छोटा बच्चा बेहोश पड़ा था। मां ने अपने दोनों हाथों को इस तरह से जकड़ रखा था, जैसे आखिरी सांस तक भी उसे दुनिया से बचा रही हो। इलाज से लौट रहा था परिवार, रास्ते में हो गया हादसा ऋषि के मामा राकेश यादव ने बताया कि उनका परिवार जांजगीर से ऋषि के पिता अर्जुन का इलाज कराकर अपने गांव देवरीखुर्द लौट रहा था। ट्रेन शाम करीब साढ़े 4 बजे के आसपास लाल खदान के पास पहुंची थी और यहीं मालगाड़ी से टकरा गई। हादसे के कुछ ही मिनटों में दर्जनों जिंदगियां खत्म हो गईं। उन्हीं में अर्जुन, शीला और मानमती भी शामिल थीं। अभी तक मम्मी-मम्मी बोल रहा है बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में इलाज के बाद ऋषि अब खतरे से बाहर है। लेकिन उसे अब भी समझ नहीं है कि क्या खो गया है। ऋषि की बुआ अर्चना यादव अभी उसकी देखरेख कर रही है। अर्चना ने बताया कि डॉक्टरों ने कहा है कि ऋषि अभी खतरे से बाहर है लेकिन जब वो उठता है, तो ‘मम्मी-मम्मी’ कहता है। फिर हमें देखकर रो पड़ता है। उसे क्या बताएं कि उसकी मम्मी अब नहीं है भाई और भाभी की मौत से अर्चना खुद सदमे में है, वो ज्यादा कुछ नहीं कह पाईं, बस आंखों में आंसू भर आए। परिवार कहता है कि शायद ऋषि अभी छोटा है, इसलिए उसे दर्द का पूरा एहसास नहीं हुआ। लेकिन हर बार जब वो ‘मम्मी’ पुकारता है, तो सबकी आंखें नम पड़ जाती हैं। अब उसी मासूम की सांसें पूरे परिवार के लिए उम्मीद बन गई हैं। मां की बाहों से बची जान, अब दादी और बुआ की ममता उसका सहारा हादसे के बाद ऋषि अब पूरी तरह अनाथ हो चुका है। परिवार में अब सिर्फ दादी, बड़े पापा और बुआ हैं, जो उसकी परवरिश करेंगे। गांव में जब उसकी मां शीला की खबर पहुंची, तो माहौल गमगीन हो गया। खबर मिलने के बाद मॉर्चुरी पहुंची औरतें रोते हुए बस इतना ही कह पाईं शीला अपने बच्चे से बहुत प्यार करती थी, वो बिना ऋषि के कहीं नहीं जाती थी। महिलाओं ने बताया कि शीला हर वक्त बेटे को गोद में लेकर ही घूमती थी। परिजन बताते हैं कि अगले साल मार्च में ऋषि का दूसरा जन्मदिन मनाने की तैयारी चल रही थी। शीला अक्सर कहती थी इस बार ऋषि को नया सूट पहनाऊंगी, केक भी कटवाऊंगी। लेकिन किसे पता था कि उसके हाथों में झूला झुलाने वाली वही मां, आखिरी बार उसी की जान बचाने वाली बनेगी। 2 साल के ऋषि की जिम्मेदारी बनी पूरी दुनिया हादसे के बाद से ऋषि के मामा राकेश यादव सदमे में हैं। बहन, जीजा और मां तीनों को एक साथ खो देने के बाद वो किसी से ढंग से बात भी नहीं कर पा रहे। बीच-बीच में बस यही कहते हैं, ‘अब तो ये बच्चा ही हमारी पूरी दुनिया है। बहन-जीजा चले गए, लेकिन उनका अंश हमारे पास है। भगवान ने शायद हमें इसी के लिए जिंदा रखा है। गांव के लोग बताते हैं कि राकेश पहले अपनी बहन के घर अक्सर जाते थे और ऋषि को गोद में लेकर खेलते थे। अब वही बच्चा उनके लिए जिंदगी की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन गया है। हादसे के बीच मां-बाप के मोबाइल तक चोरी इस दर्दनाक हादसे के बीच ऋषि के माता-पिता के मोबाइल फोन हादसे की अफरा-तफरी में चोरी हो गए। परिजन लगातार उन्हीं नंबरों पर कॉल लगाते रहे, उम्मीद थी कि शायद अर्जुन या शीला फोन उठाएं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। बच्चे की खबर उन्हें काफी देर बाद मिली। आखिरकार, घंटों बाद एक अनजान महिला ने कॉल उठाया और बस इतना कहा, ट्रेन हादसा हुआ है…और फिर फोन स्विच ऑफ कर दिया। उस पल परिजनों की उम्मीद जैसे वहीं खत्म हो गई। सोशल मीडिया पर वायरल होती रही ऋषि की तस्वीर सोशल मीडिया पर ऋषि की तस्वीर तेजी से वायरल हुई। लोग हादसे में अकेला बचे इस बच्चे के परिवार को ढूंढने की अपील कर रहे थे। जिसने भी इस छोटे बच्चे के अकेले बचने की खबर सुनी, उसका दिल भर आया। किसी ने कहा कि भगवान ने चमत्कार किया है, तो किसी की आंखें नम हो गईं, यह सोचकर कि हादसे के बाद बच्चे की जिंदगी कैसे चलेगी। 11 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन, ट्रैक सुधारने में जुटी टीम बिलासपुर रेल हादसे के बाद करीब 11 घंटे तक मौके पर अफरा-तफरी का माहौल रहा। रेलवे, जिला प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी रहीं। रातभर चले इस ऑपरेशन में एक-एक बोगी को गैस कटर से काटकर यात्रियों को बाहर निकाला गया। कई बोगियों में फंसे शवों को निकालने में टीमों को घंटों मेहनत करनी पड़ी। रेलवे के सुरक्षा और तकनीकी विभाग की टीमें हादसे के तुरंत बाद ट्रैक दुरुस्ती में लग गई थीं। शाम करीब सात बजे तक एक ट्रैक पर ट्रेन परिचालन आंशिक रूप से शुरू कर दिया गया, जबकि मिडिल लाइन को देर रात बहाल किया गया। जिस ट्रैक पर हादसा हुआ था, वहां क्रेन और यान की मदद से मलबा हटाने और रेल पटरी सीधी करने का काम सुबह 4 बजे तक चलता रहा। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि सभी ट्रैक पूरी तरह चालू कर दिए गए है, ताकि रद्द और डायवर्ट हुई ट्रेनों का संचालन सामान्य हो सके। अब जानिए कैसे हुआ हादसा तेज रफ्तार कोरबा पैसेंजर ट्रेन मंगलवार शाम को कोरबा से बिलासपुर की ओर जा रही थी। यह ट्रेन लगभग 77 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी थी और बिलासपुर पहुंचने में करीब 8 किलोमीटर बाकी थे। शाम करीब 4 बजे के आसपास ट्रेन गतौरा स्टेशन के पास लाल खदान क्षेत्र में पहुंची। इसी दौरान जिस ट्रैक से पैसेंजर ट्रेन को गुजरना था, उसी लाइन पर पहले से एक मालगाड़ी खड़ी थी। शुरुआती जानकारी के अनुसार, सिग्नल सिस्टम फेल या मानवीय गलती के कारण पैसेंजर ट्रेन को समय पर खतरे का संकेत नहीं मिला। तेज रफ्तार में चल रही ट्रेन ने आगे खड़ी मालगाड़ी को सीधी टक्कर मार दी, जिससे पैसेंजर ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। ट्रेन का सामने का हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और पीछे की बोगियों में बैठे यात्री झटकों से उछल पड़े। कुछ ही सेकेंड में बोगियों में चीख-पुकार मच गई। हादसे में 11 लोगों की मौत हो गई। जबकि 20 घायलों का इलाज जारी है। हादसे से जुड़ी ये तस्वीरें भी देखिए… ……………………………… बिलासपुर ट्रेन हादसे से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… 1. बोगी से रिस-रिसकर गिर रहा था यात्रियों का खून:प्रत्यक्षदर्शी बोले-ट्रेन के अंदर तड़पते-कराहते देखा, लहूलुहान थे बच्चे-महिलाएं “शाम 4 बजे का वक्त था। सूरज ढलने को था। एक जोरदार धड़ाम की आवाज आई। डिब्बे में चीखें गूंज रही थी। बोगी के अंदर खून से सने बच्चे थे, माताएं तड़प रहीं थीं। किसी के पेट से खून बह रहा था, किसी का सिर फट गया था, किसी का पैर, तो किसी का हाथ टूट चुका था। किसी का चेहरा पिचक गया था। बोगी से खून रिस-रिसकर गिर रहा था।” पढ़ें पूरी खबर
2. महीनेभर पहले प्रमोट होकर लोको-पायलट ने पैसेंजर ट्रेन संभाली:मालगाड़ी चलाते थे छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ट्रेन हादसे में कमिशन ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) जांच से पहले रेलवे के पांच सदस्यीय टीम ने शुरुआती जांच रिपोर्ट सौंप दी है। जांच में यह बात सामने आई है कि हादसे में शामिल लोको पायलट एक माह पहले तक मालगाड़ी चला रहे थे। प्रमोशन देकर उन्हें पैसेंजर ट्रेन की कमान सौंपी गई थी। पढ़ें पूरी खबर
