दिवाली त्योहार की शुरुआत हो चुकी है। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतिनिधित्व करता है। दिवाली पांच दिनों तक चलती है, जिसमें धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैं। इस दिन लोग अपने घरों को दीयों और रोशनी से सजाते हैं,माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं, और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दिवाली वाली रात को माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, इसमें कमल के फूल का इस्तेमाल किया जाता है। मां लक्ष्मी की पूजा में कमल का फूल जरुर शामिल होता है। माना जाता है कि देवी लक्ष्मी को कमल का फूल सबसे प्रिय है। इसलिए उनका आसान भी कमल पुष्प है। आइए आपको बताते हैं इसके पीछे की कई पौराणिक कहानियां, जिसे आपको पता होनी चाहिए।
माता लक्ष्मी को कमल क्यों पसंद है?
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी कमल पर बैठकर ही प्रकट हुई। इसी कारण से उन्हें कमला या कमलासना भी कहा जाता है। कमल पर विराजित होने की वजह से देवी लक्ष्मी की पूजा में इस फूल को अर्पित किया जाता है। माता लक्ष्मी को कमल अति प्रिय इसका जिक्र भगवान विष्णु कथा में किया गया है। मान्यता है कि कमल के फूल की उत्पत्ति भगवान विष्णु की नाभि से हुआ है। कथा के अनुसार, श्री विष्णु की नाभि से निकले एक कमल में ब्रह्मा जी प्रकट हुए थे। एक और कथा में बताया गया है कि कमल का फूल भगवान विष्णु के सिर से उत्पन्न हुआ है। इसलिए माता लक्ष्मी को कमल का फूल सबसे अधिक प्रिय है।
मां लक्ष्मी को कमल अर्पित करने से मिलते हैं 3 फायदे
– दिवाली की पूजा के दौरान माता लक्ष्मी को कमल चढ़ाने से समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। ऐसा करने सुख और ऐश्वर्य बढ़ता है।
– कमल के फूल से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। इससे घर का वातावरण शुद्ध होता है। इसके साथ ही इसे दिवाली की पूजा में शमिल करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। माता लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाने से हर तरह के संकट टल जाते हैं।
– कमल पुष्प को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। दीपावली के दिन इसे पूजा में शामिल करने से समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। इसके साथ ही एकाग्रता और आध्यात्मिक विकास में भी वृद्धि होगी।