मोजो मशरूम फैक्ट्री में बाल मजदूरी, अब-तक FIR नहीं:बाल आयोग, श्रम विभाग ने नहीं दिए दस्तावेज, जांच अटकी, बच्चे बोले- मारपीट होती थी

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रायपुर के खरोरा स्थित मोजो मशरूम फैक्ट्री 5 महीने में दूसरी बार विवादों में है। 17 नवंबर को 109 बाल मजदूरों के रेस्क्यू के बाद मामले में अब तक FIR नहीं हुई है। इस पूरे मामले की शिकायत खरोरा थाने में की गई है। मामले में बाल आयोग और श्रम विभाग के कार्रवाई संबंधित दस्तावेज और साक्ष्य नहीं दिए जाने से जांच अटकी हुई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अभी कार्रवाई में शामिल सभी विभागों से दस्तावेज नहीं मिला है। बच्चों और कार्रवाई में शामिल अधिकारियों का बयान होना भी बाकी है। पूरी जांच होने के बाद कंपनी प्रबंधन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन (AVA) और बजरंग दल की शिकायत के बाद दिल्ली से आई मानवाधिकार आयोग की टीम, महिला बाल विकास विभाग और पुलिस ने छापा मारते हुए बाल मजदूरों का रेस्क्यू किया था। इनमें 68 बच्चियां और 41 बच्चे शामिल हैं। इन बच्चों ने बताया कि एक कमरे के अंदर 10 से 15 लोगों को रखा जाता था। कुछ बच्चे तीन महीने, कुछ छह महीने, कुछ एक साल तो कुछ तीन-तीन साल से फैक्ट्री में फंसे हुए थे। बच्चों ने बताया कि वहां उनके साथ मारपीट होती थी और मजदूरी का भुगतान समय पर नहीं किया जाता था। जुलाई में इसी फैक्ट्री से करीब 90 मजदूरों को छुड़ाया गया था। इस मामले में FIR तो दर्ज हुई, लेकिन सभी आरोपी फरार हैं। इस रिपोर्ट में पढ़िए…AVA ने किसके-किसके खिलाफ शिकायत दी है। AVA के राज्य संयोजक ने क्या बताया? रायपुर के पुलिस अधिकारियों ने कार्रवाई में हो रही देरी को लेकर क्या कहा पहले देखिए ये तस्वीरें- अब जानिए क्या है पूरा मामला 17 नवंबर की शाम 109 बाल मजदूरों का रेस्क्यू किया गया था। इन बच्चों ने बाल आयोग के अधिकारियों को बताया था, कि उनसे फैक्ट्री परिसर में मूलभूत सुविधाएं नहीं दी गई और विरोध करने पर मारपीट भी की गई। इस मामले में बाल आयोग, श्रम विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम जांच कर रही है। अब पढ़िए बच्चों ने क्या कहा मानवाधिकार आयोग की टीम ने रेस्क्यू किए गए बच्चों को माना में रखा था। माना स्थित केंद्र पहुंची दैनिक भास्कर की टीम को बच्चों ने बताया, कि एक कमरे के अंदर 10 से 15 लोगों को रखा जाता था। उनके साथ मारपीट होती थी। उन्हें सुबह 4-5 बजे उठाकर देर रात तक काम करवाया जाता था। खाना सिर्फ दो वक्त दिया जाता था। काउंसलिंग के दौरान पता चला कि रेस्क्यू किए गए बच्चों में कुछ वही हैं, जिन्हें जुलाई में भी बचाया गया था। ठेकेदारों ने उन्हें फिर से काम दिलाने के नाम पर यहां लाकर फंसा दिया। जुलाई में हुआ था 90 लोगों का रेस्क्यू अधिकतर बच्चे असम, झारखंड, ओडिशा, यूपी, एमपी और पश्चिम बंगाल से हैं। हर राज्य में अलग-अलग ठेकेदार मजदूरों की सप्लाई कर रहे थे। इसी साल जुलाई में इसी मोजो मशरूम फैक्ट्री से 90 से ज्यादा मजदूरों को रेस्क्यू किया गया था। तब कंपनी संचालक और ठेकेदारों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। मामला लेबर कोर्ट में चल रहा था, लेकिन कुछ समय बाद कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद कंपनी फिर से बाल मजदूरी करवाने लगी। खतरनाक केमिकल के बीच रह रहे थे बच्चे रेस्क्यू टीम के अधिकारियों ने बताया कि जब टीम फैक्ट्री के अंदर पहुंची तो सभी बच्चे अलग-अलग कामों में लगे हुए थे। कोई मिट्टी डाल रहा था, कोई पैकिंग कर रहा था, कोई बर्फ की सिल्ली उठा रहा था और कुछ बच्चे उन पर केमिकल छिड़कने का काम कर रहे थे। टीम के सदस्यों ने बताया कि वहां उपयोग होने वाला फॉर्मलीन केमिकल इतना जहरीला था कि पास जाने पर आंखों में जलन होने लगी। अगर ये बच्चे लंबे समय तक इसके संपर्क में रहते, तो उन्हें गंभीर बीमारियां जिसमें कैंसर तक भी हो सकता था। 4 घंटे थाने में बैठा रहा, FIR नहीं हुई- विपिन ठाकुर एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन (AVA) के राज्य संयोजक विपिन ठाकुर से दैनिक भास्कर की टीम ने इस विषय पर बातचीत की। राज्य संयोजक विपिन ठाकुर ने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर रेस्क्यू किया गया था। जब हमारी टीम ने छापा मारा तब वहां पर 109 लोगों को रेस्क्यू किया। ये रेस्क्यू केवल बाल श्रमिकों का रेस्क्यू नहीं था। हमे वहां पर बंधवा मजदूर होने की जानकारी मिली थी। इसलिए इस कार्रवाई में उम्र का बाउंडेशन नहीं था। जब हम नाबालिगों का रेस्क्यू कर रहे थे, तो वहां पर मौजूद बड़े लोगों ने भी हमसे रेस्क्यू करने की अपील की थी। इस कंपनी में जुलाई 2025 में भी रेड मार चुके थे। यहां से बंधक मजदूरों को निकाला गया था। ये लोग बिहार और उत्तर प्रदेश के थे। मोजो मशरूम फैक्ट्री प्रबंधन से दस्तावेज मांगे थे, लेकिन उन लोगों ने अपनी फर्म के दस्तावेज नहीं दिए हैं। इंटरनेट के माध्यम से जब फर्म की जांच की तो मोनिका खेतान नाम से फर्म आ रही है। उनके अलावा विमल खेतान और राणा विश्व प्रताप सिंह की फर्म होने का नाम सामने आ रहा है। इस मामले में अब तक FIR नहीं हुई, मैं थाने जाकर 4 घंटे तक बैठा था। पुलिस ने इस मामले में अब तक केस दर्ज नहीं किया। इसलिए अब तक पुलिस ने मेरा बयान नहीं लिया है। पहले ही ठोस कार्रवाई होनी चाहिए थी- विक्रांत शर्मा राष्ट्रीय बजरंग दल के प्रदेश महामंत्री विक्रांत शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया कि हमने मोजों मशरूम फैक्ट्री की शिकायत 10 जुलाई 2025 को भी खरोरा थाना में की थी। इस कार्रवाई में 97 मजदूरों का रेस्क्यू किया था। इसमें से 23 नाबालिग बच्चें थे। हमारी टीम ने इन बच्चों के लिए लड़ाई लड़ी। हमने टीआई से शिकायत की तो उन्होंने 5 दिन तक FIR नहीं की। इसके बाद हमने मामले की शिकायत कलेक्टर और राज्यपाल से की। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस लेने वाले थे, इस दौरान पुलिस ने FIR की। उस समय मशरूम प्रबंधन पर ठोस कार्रवाई होती थी, तो 17 नवंबर को जो मानवाधिकार आयोग के अधिकारियों ने रेस्क्यू किया, उसकी जरूरत नहीं पड़ती। इस मामले में दर्ज हुई FIR में सभी आरोपी फरार है और इनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। वहीं 17 नवंबर की बात करें, तो इस मामले में AVA के राज्य संयोजक ने शिकायत की। हम लगातार पुलिस अधिकारियों से मामले में केस दर्ज करने कह रहे हैं। लेकिन पुलिस जांच करने की बात बोलकर मामले को टरका रही है। इस मामले में 49 बच्चे नाबालिग है। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। सभी बच्चों और अधिकारियों के बयान बाकी- CSP रायपुर के नगर पुलिस (सीएसपी) अधीक्षक वीरेंद्र चतुर्वेदी से दैनिक भास्कर की टीम ने इस पूरे मामले पर बातचीत की। सीएसपी चतुर्वेदी ने बताया कि मामले में जांच की जा रही है। अभी कई बच्चों का बयान लेना बाकी है। इसके अलावा श्रम और बाल आयोग के अधिकारियों से कार्रवाई का दस्तावेज साक्ष्य मांगा गया है। मोजो मशरूम फैक्ट्री से बच्चों का रेस्क्यू करने वाले सभी अधिकारी और सदस्यों का इसमें बयान होना है। अधिकारियों और बच्चों के बयानों और साक्ष्य के आधार पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। जुलाई 2025 में जब इस फैक्ट्री से बच्चों का रेस्क्यू किया गया था, तब बाल संरक्षण अधिकारी की शिकायत पर विपिन तिवारी, विकास तिवारी, नितेश तिवारी और भोला के खिलाफ केस दर्ज किया था। इन आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए रायपुर से लेकर ग्वालियर तक छापे मारे गए हैं। आरोपी फरार है। सभी आरोपियों की लोकल पुलिस की मदद से तलाश की जा रही है। मोजो मशरूम कंपनी के बारे में जानिए मोजों मशरूम फैक्ट्री का असली नाम मारूति फ्रेश फर्म है। मारूति फ्रेश फर्म को ही खरोरा इलाके में मोजो मशरूम के नाम से जाना जाता है। ये फैक्ट्री खरोरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत संचालित उमा श्री राइस मिल कंपनी के परिसर में संचालित हो रही है। श्रम विभाग के दस्तावेजों में इस मारूति फ्रेश कंपनी के नियोजक राण विश्व प्रताप सिंह को बताया गया है। उनके नाम के आगे पार्टनर लिखा हुआ है। यहां पर काम करने वाले श्रमिकों की संख्या 100 बताई गई है। राजेंद्र तिवारी को इस फैक्ट्री का लीगल एडवाइजर बताया जा रहा है। AVA ने किसके-किसके खिलाफ दी शिकायत AVA के राज्य संयोजक ने अशोक, सुदामा, नोहर, विकास, चंदन, अभी, वंशी, बुद्धदेव सहित अन्य पर बलपूर्वक नाबालिगों से काम कराने की शिकायत की है। राज्य संयोजक ने मोनिका खेतान, विमल खेतान और विश्वप्रताप सिंह राणा को फर्म का संचालक बताया है। इस शिकायत की कॉपी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो, रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार सिंह, रायपुर एसएसपी डॉ लाल उम्मेद सिंह, महिला एवं बाल विकास विभाग रायपुर की जिला अधिकारी और एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन नई दिल्ली के निदेशक मनीष शर्मा को भी दी गई है। …………………………….. इससे संबंधित ये खबर भी पढ़ें… मोजो मशरूम-फैक्ट्री…पॉलिथीन में पानी पीते थे बच्चे: एक कमरे में 10-15 लोगों को ठूसा, बच्चों से मारपीट-लड़कियों से छेड़खानी करते थे, 109 बाल-मजदूरों का रेस्क्यू रायपुर के खरोरा स्थित मोजो मशरूम फैक्ट्री से एक बार फिर बाल मजदूरी का मामला सामने आया है। 17 नवंबर की शाम दिल्ली से आई मानवाधिकार आयोग की टीम, महिला बाल विकास विभाग और पुलिस ने संयुक्त रूप से छापा मारते हुए 109 बाल मजदूरों को मुक्त कराया। पढ़ें पूरी खबर

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