बिहार-झारखंड कैडर के 1985 बैच के रिटायर्ड IAS ऑफिसर अमित खरे को उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का सेक्रेटरी नियुक्त किया गया। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) ने रविवार, 14 सितंबर को आदेश जारी कर इसकी जानकारी दी। आदेश के अनुसार, खरे की नियुक्ति कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर है और उनका कार्यकाल 3 सालों के लिए होगा। अमित खरे झारखंड के कायस्थ परिवार से हैं। उनके बड़े भाई अतुल खरे 1984 बैच के IFS ऑफिसर हैं। उन्होंने यूनाइटेड नेशन्स में विभिन्न पदों पर कार्य किया है। इसमें UN के ऑपरेशनल सपोर्ट डिपार्टमेंट में अंडर सेक्रेटरी का पद भी शामिल है। 1992 में दरभंगा जिले के DM बने खरे UPSC सिविल सर्विस परीक्षा क्लियर करके साल 1985 में IAS के लिए सिलेक्ट हुए। इसके तुरंत बाद उत्तराखंड के मसूरी में स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में उनकी ट्रेनिंग हुई। ट्रेनिंग के बाद 1 सितंबर, 1987 को पहली नियुक्ति बिहार में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में हुई। फिर 1992 में बिहार के दरभंगा जिले के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) बने। वो 4 जिलों दरभंगा, बेगूसराय, चाईबासा (पश्चिमी सिंहभूम) और पटना के कलेक्टर रहे। वो बिहार में रेवेन्यू बोर्ड के सेक्रेटरी रहे, झारखंड के पहले वाणिज्यिक कर आयुक्त, झारखंड के अतिरिक्त वित्त आयुक्त और झारखंड के वित्त एवं योजना विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहे। इसके बाद अमित खरे ने झारखंड में ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी, इन्फॉर्मेशन एंड पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी के रूप में काम किया। साथ ही, झारखंड के राज्यपाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के रूप में भी सेवा दी। चारा घोटाले को उजागर किया 1990 के दशक की बात है। पूरे बिहार में पशुपालन (चारा) विभाग से फर्जी बिल्स के आधार पर तकरीबन 900 करोड़ रुपए की निकासी की चर्चा थी। इस बीच बिहार सरकार ने युवा IAS ऑफिसर अमित खरे को चाईबासा (पश्चिम सिंहभूम) जिले का डिप्टी कमिश्नर बनाकर भेजा। उन्होंने चाईबासा ट्रेजरी में छापा मारकर कई लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई और ट्रेजरी को सील कर दिया। उसके बाद यह घोटाला पकड़ में आया। हालांकि बाद में ये मामला CBI को चला गया और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को भी इसमें अभियुक्त बनाया गया। इसके चलते लालू को 25 जुलाई, 1997 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उसी साल 30 जुलाई को उन्होंने पटना में सरेंडर किया और वे इस घोटाले में पहली बार जेल गए। 6 साल HRD मिनिस्ट्री में काम किए खरे अगस्त 2008 में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट में जॉइंट सेक्रेटरी बने। यहां उन्होंने 6 सालों तक काम किया और अगस्त 2014 तक कार्यरत रहे। इस दौरान यूनेस्को, एजुकेशन पॉलिसी और बुक प्रमोशन एंड कॉपीराइट से जुड़े काम किए। इसके बाद केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर डिपार्टमेंट के मेंबर सेक्रेटरी बने। फिर फाइनेंस डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बने। बाद में बैंकिंग डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी भी रहे। NEP 2020 तैयार करने वाली मुख्य टीम का हिस्सा रहे इसके बाद 16 दिसंबर, 2019 को खरे का तबादला शिक्षा मंत्रालय में हुआ। यहां वो हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट में सेक्रेटरी बनाए गए। साथ ही उन्हें स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी डिपार्टमेंट का भी अतिरिक्त प्रभार दिया गया। यहां रहते हुए उन्होंने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो NEP, 2020 को तैयार करने और लागू करने वाली मुख्य टीम का हिस्सा थे। 30 सितंबर, 2021 को शिक्षा मंत्रालय में सेक्रेटरी रहते हुए रिटायर हुए। रिटायर होने के बाद पीएम के सलाहकार बने खरे को 12 अक्टूबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार नियुक्त किया गया। इन्होंने 31 जुलाई, 2021 को रिटायर्ड हुए अमरजीत सिन्हा की जगह ली। पीएम के सलाहकार रहते हुए उन्हें 2 बार एक्सटेंशन मिला। एक बार अक्टूबर, 2023 में और दूसरी बार जून 2024 में। ——————————- ये खबर भी पढ़ें… सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला पीएम बनीं: BHU से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स, नेपाल की पहली फीमेल चीफ जस्टिस रहीं; जानें कंप्लीट प्रोफाइल नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं सुशीला कार्की ने रविवार, 14 सितंबर को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री (अंतरिम) के रूप में पदभार ग्रहण किया। इससे पहले राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार, 12 सितंबर की देर रात राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में उन्हें पद की शपथ दिलाई। अगले छह महीनों के भीतर संसद का नया चुनाव कराया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर…