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Thursday, December 19, 2024

लोग कहते थे- बच्चन की नकल करता है:भीष्म बने तो इज्जत मिली, उधार लेकर शक्तिमान बनाया; आत्म-सम्मान में करोड़ों के ऑफर ठुकराए

इस इंडस्ट्री में अगर आपको इज्जत कमानी है, तो पहले खुद की इज्जत करना सीखो। यह बात दिग्गज एक्टर मुकेश खन्ना कहते हैं। तकरीबन 50 साल लंबे करियर में इन्होंने पैसों से ज्यादा आदर्शों और सिद्धांतों को तरजीह दी। करोड़ों रुपए के ऑफर ठुकरा दिए। काम मांगने के लिए किसी फिल्ममेकर के दरवाजे पर नहीं गए। साइड हीरो का रोल नहीं चाहते थे, इसलिए सालों तक बिना काम के घर बैठे। फिर 1988 में बी.आर. चोपड़ा ने टीवी शो महाभारत बनाया। मुकेश खन्ना उस शो में भीष्म पितामह के रोल में दिखे। उस शो के बाद इंडस्ट्री को इनकी काबिलियत पता चली। 1997 में इन्होंने टेलीविजन पर शक्तिमान के जरिए दूसरी इनिंग शुरू की। इस शो ने उन्हें यंग जनरेशन, खास तौर पर बच्चों में काफी ज्यादा फेमस कर दिया। प्लास्टिक इंजीनियर बनना चाहते थे, एक्टिंग का शौक नहीं था
मुकेश खन्ना के पूर्वज मुल्तान (अब पाकिस्तान में) के रहने वाले थे। 1947 में बंटवारे के बाद उनका परिवार बॉम्बे (मुंबई) आ गया। 23 जून, 1958 को उनका जन्म हुआ। चार भाइयों में सबसे छोटे थे। मुंबई के मरीन ड्राइव पर घर था। जॉइंट फैमिली थी, सब साथ ही रहते थे। मुकेश खन्ना को एक्टिंग का कोई शौक नहीं था। उन्हें प्लास्टिक इंजीनियरिंग करनी थी। मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से उन्होंने BSc किया। साथ में क्रिकेट भी खेला करते थे। बॉलिंग में इनस्विंग डालते थे। खुद की तुलना कपिल देव से करते थे। बड़े भाई ने एक्टिंग फील्ड में उतरने की सलाह दी
मुकेश खन्ना तो नहीं, लेकिन उनके बड़े भाई को एक्टिंग का शौक था। उनका नाम जग्गी खन्ना था। वे एक्टिंग करना चाहते थे, लेकिन घरवालों ने शादी करा दी। फिर उन्होंने भाई मुकेश को इस फील्ड में उतरने के लिए मोटिवेट किया। खन्ना के एक और भाई ने उन्हें लॉ कॉलेज जॉइन करने की सलाह दी। वहां उन्होंने LLB की पढ़ाई की। तीन साल के कोर्स के दौरान उन्होंने कॉलेज में प्ले और ड्रामा में भाग लिया। वहां मुकेश खन्ना को पहली बार लगा कि वे एक्टिंग कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने फिल्म इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे में दाखिल लिया। अब मुकेश खन्ना की सफलता की कहानी उनकी जुबानी..
फिल्म इंस्टीट्यूट से पास होने के बाद मुझे 1978 में एक फिल्म ‘खूनी’ मिल गई, लेकिन यह कभी रिलीज नहीं हो पाई। हालांकि, इससे इंडस्ट्री के लोगों को पता चल गया कि एक लंबा-चौड़ा नया एक्टर मार्केट में आ गया है। फिर एक साथ कई फिल्में साइन कर लीं। बाद में 1981 में ‘रूही’ नाम की एक फिल्म से डेब्यू किया। दिलचस्प बात यह है कि रूही मेरी 15वीं साइन की हुई फिल्म थी, लेकिन सबसे पहले रिलीज हो गई। लोगों ने कहा- अमिताभ बच्चन की नकल करता है
अभी मैं इंडस्ट्री में आया ही था कि लोगों ने नकारात्मक तौर पर मेरी तुलना अमिताभ बच्चन से करनी शुरू कर दी। लोग कहने लगे कि मेरी आवाज और कदकाठी अमिताभ बच्चन की तरह है। मैं उनकी नकल करता हूं। उस वक्त उन्हें कौन समझाए कि मेरा अपना शरीर, अपनी आवाज और अपना टैलेंट है। मैं क्यों दूसरे व्यक्ति को कॉपी करूंगा। करीबी कहते थे- बॉलीवुड पार्टीज में जाओ, वहां संपर्क बनाओ
मैंने इंडस्ट्री जॉइन करते ही एक हफ्ते में 5 फिल्में साइन कर लीं। अधिकतर फिल्में फ्लॉप हो गईं। मुझे बॉलीवुड पार्टीज में जाने की नसीहत मिलने लगी। मेरे करीबी कहते थे कि पार्टीज अटेंड करो, तभी लोगों से जान-पहचान होगी। फिर अच्छे प्रोजेक्ट्स मिलेंगे। मेरा हमेशा से यही मानना था कि काम के लिए किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना है। साइड हीरो के रोल तो मुझे आसानी से मिल जाते। हालांकि, करना नहीं था। यश चोपड़ा की बात बुरी लग गई
एक बार बड़े भाई जग्गी मेरी शो रील लेकर यश चोपड़ा को दिखाने गए थे। उस शो रील में मेरी एक्टिंग से जुड़ी क्लिप्स थीं। यश चोपड़ा को मेरा काम तो पसंद आया, लेकिन उन्होंने एक ऐसी बात कह दी, जो नहीं कहनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि जब हमें फॉरेन लिकर मिल रहा है, तो कंट्री लिकर क्यों लें। उनके कहने का मतलब यह था कि जब मेरे पास अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना जैसे स्टार हैं, तो मैं मुकेश खन्ना जैसे नए-नवेले एक्टर को अपनी फिल्म में क्यों लूं। खैर, आज आप उसी मुकेश खन्ना का इंटरव्यू ले रहे हैं। महाभारत मिलने से पहले 2 साल खाली बैठे थे
1978 में डेब्यू करने से लेकर 1985 तक मैंने दर्जनों फिल्मों में काम कर लिया। उसके बाद दो-तीन साल घर बैठा रहा। 1988 में मेरे पास टीवी सीरियल महाभारत का ऑफर आया। मुझे बस इस बात का दुख है कि मेरे भाई जग्गी महाभारत देख नहीं पाए। सीरियल आने से पहले ही वे दुनिया से चल बसे। दुर्योधन का रोल मना किया, फिर भीष्म बने
महाभारत के लिए मेरे पास गूफी पेंटल का बुलावा आया था। एक्टर होने के साथ-साथ वे कास्टिंग डायरेक्टर भी थे। गूफी पेंटल और शो के मेकर बी.आर. चोपड़ा चाहते थे कि मैं दुर्योधन का रोल करूं। मैंने निगेटिव किरदार करने से मना कर दिया। मैं अर्जुन या कर्ण का रोल चाहता था। हालांकि, ये दोनों रोल किसी और को दे दिए गए थे। फिर मुझे भीष्म पितामह का किरदार मिला। उसके बाद जो हुआ, इतिहास गवाह है। स्क्रीन पर औरत बनना मंजूर नहीं
मुझे लगता है कि मैं अर्जुन का रोल और बेहतर तरीके से कर पाता, क्योंकि मैंने महाभारत पूरी पढ़ी है। मुझे हर किरदार का मर्म पता है। हालांकि, जो होता है, उसके पीछे कोई न कोई वजह होती है। अगर मैं अर्जुन का रोल करता तो एक सीक्वेंस में मुझे बृहन्नला बनना पड़ता। मुझे यह कतई मंजूर नहीं था कि मैं औरत की वेशभूषा में नजर आऊं। इसलिए जो हुआ ठीक हुआ। मेरे पास शाहरुख-आमिर जितना पैसा नहीं, लेकिन गुडविल उनसे ज्यादा
मैंने हमेशा पैसों से ज्यादा सिद्धांतों और आदर्शों को तरजीह दी है। शाहरुख खान, आमिर खान, अक्षय कुमार और अजय देवगन जैसे बड़े स्टार्स के पास करोड़ों-अरबों रुपए होंगे। शायद मेरे पास उतने पैसे नहीं होंगे, लेकिन मैंने अरबों रुपए की गुडविल कमाई है, जो उनके पास नहीं है। जब हम दुनिया छोड़ेंगे तो यही गुडविल हमारे साथ जाएगी। काम पाने के लिए जी हुजूरी नहीं कर सकता
मुझे लोग घमंडी समझते हैं। कहा जाता है कि मेरे अंदर बहुत अकड़ है। ऐसा कुछ नहीं है। मैं बस अपने आत्म-सम्मान को सर्वोपरि रखता हूं, इसलिए मेरी बातें थोड़ी बहुत खराब लग जाती हैं। मैं काम पाने के लिए किसी की जी हुजूरी नहीं कर सकता। लोग कहते हैं कि आप ऐसे सबके खिलाफ मत बोला करिए। इंडस्ट्री से बायकॉट कर दिए जाएंगे। मैं उनसे कहता हूं कि बायकॉट उन्हें करेंगे, जिन्हें काम का लालच होगा। मुझे कोई काम दे या न दे, कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं आज भी खुद के दम पर फिल्में बनाने का माद्दा रखता हूं। बाकी जिसका सम्मान करना है, मैं करता ही हूं। कोई कह दे कि मुकेश खन्ना ने कभी दिलीप कुमार के बारे में कुछ गलत बोला हो। मैंने उन्हें हमेशा सम्मान दिया है। वे भी मेरे काम को तवज्जो देते थे। महाभारत में मुझे भीष्म के रोल में देखकर वे काफी प्रभावित हुए थे। उन्होंने मेरी तारीफ भी की थी। 75 लाख उधार लेकर बनाया शक्तिमान, शो ने रिकॉर्ड तोड़े
भीष्म पितामह के बाद मुकेश खन्ना के करियर की सबसे बड़ी हाईलाइट टीवी शो शक्तिमान रहा। शक्तिमान बनाने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। मुकेश खन्ना ने कहा, ‘मेरे पड़ोस का एक बच्चा दिन भर सुपरहीरो वाले छोटे-छोटे खिलौनों से खेलता रहता था। उन्हें नहलाता-धोता भी था। मैंने सोचा कि हमारे यहां कोई सुपरहीरो वाला कैरेक्टर क्यों नहीं है। फिर मेरे और मेरे एक दोस्त के दिमाग में शक्तिमान का कॉन्सेप्ट आया। हालांकि, इसे बनाने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे। सुपरहीरो वाले शो का बजट ज्यादा होता था। फिर मुझे एक सज्जन मिले। मैंने उनसे 75 लाख उधार लिए। उन्होंने मुझसे कोई ब्याज नहीं लिया। एक-दो सालों के अंदर ही मैंने उनके पैसे चुका दिए।’ इस शो ने व्यूअरशिप के कई सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। खास तौर से बच्चों ने इसे काफी पसंद किया। इतना क्रेज हो गया था कि बच्चे शक्तिमान की तरह बनने की कोशिश करने लगे थे। इससे घटनाएं भी होने लगी थीं। बाद में मुकेश खन्ना को खुद सामने आकर समझाना पड़ा था। 1997 में हुआ टेलीकास्ट, 104 एपिसोड के बाद अचानक बंद हुआ शो
शक्तिमान ​​​​​​27 साल पहले 1997 में टेलीकास्ट होना शुरू हुआ था। 2005 में अचानक इसे बंद कर दिया गया। शो बंद होने के पीछे मुकेश खन्ना और दूरदर्शन के बीच पैसों को लेकर उपजा विवाद था। मुकेश खन्ना ने एक बार बताया था कि दूरदर्शन वालों ने उनसे काफी ज्यादा पैसे लेने शुरू कर दिए थे। इस वजह से उनका नुकसान होने लगा था। दरअसल, दूरदर्शन पर पहले सीरियल चलवाने के लिए प्रोड्यूसर्स को खुद पैसे देने होते थे। दूरदर्शन तय करता था कि उसे कितने पैसे लेने हैं। 104 एपिसोड्स पूरे होने पर दूरदर्शन ने चार्जेज बढ़ाते हुए 10.8 लाख रुपए कर दिया। शुरुआत में ये अमाउंट 2.8 लाख था। खन्ना के लिए यह घाटे का सौदा साबित होने लगा, इसलिए उन्होंने शो को अचानक बंद करने का फैसला किया। ————————
सक्सेस स्टोरी का पिछला एपिसोड यहां पढ़ें.. पीके में शिव के वेश में दिखे, ताने मिले: कभी टिकट बेचे; अचानक किस्मत पलटी आमिर खान की फिल्म पीके के इस सीन पर विवाद हो गया था। भगवान शिव के वेश में दिखे कैरेक्टर को डर से भागते दिखाया गया था। यहां तक कि जो एक्टर शिव की वेशभूषा में था, उसे भी उल्टा-सीधा कहा गया था। वह एक्टर कोई और नहीं बल्कि अनिल चरणजीत थे। आज सक्सेस स्टोरी में हम इन्हीं की सफलता की कहानी बयां करेंगे। पूरी खबर पढ़ें..

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