प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। हिंदू धर्म में इस व्रत का महत्व सबसे अधिक है। यह व्रत कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को पहला प्रदोष व्रत पड़ता है और दूसरा शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत पड़ता है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रदोष व्रत को रखने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु इस दिन उपवास रखते हैं, शिव चालीसा, रुद्राष्टक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं। प्रदोष व्रत आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की ओर मार्गदर्शक माना जाता है। शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। कल यानी 4 अक्तूबर को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और शनि दोष से राहत मिलता है।
पूजा का मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 04 अक्टूबर 2025 को शाम 5 बजकर 9 मिनट पर शुरु होगी और इसका समापन 05 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर होगी। इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 05 बजकर 29 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 55 मिनट तक है। वहीं इस दिन द्विपुष्कर योग बन रहा है। इस योग का संयोग सुबह 06 बजकर 13 मिनट से है। वहीं, सुबह 09 बजकर 09 मिनट पर द्विपुष्कर योग की समाप्ति होगी। इस योग में पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होता है।
जानें पूजा-विधि
शनि प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र का धारण करें। इसके बाग घर के मंदिर की सफाई करके शिव परिवार की मूर्ति अथवा चित्र को स्थापित करें। घी का दीपक जलाकर फल, फूल, धूप और नैवेद्य अर्पित करें। फिर शिव मंत्रों का जाप करें और आरती उतारें। शाम के मुहूर्त में दोबारा स्नान करके शिव मंदिर जाएं। शिवलिंग पर जल, बिल्वपत्र, आक के फूल, धतूरा, भांग, शहद, गन्ना आदि को अर्पित करें। इसके बाद शनि प्रदोष व्रत की कथा सुनें। ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। पूजा के आखिर में क्षमा-यचना जरुर करें। फिर आप पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनिदेव की पूजा करें।
विशेष उपाय करें
शिवलिंग पर जलाभिषेक- जल में काला तिल और शमी की पत्ती को मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके बाद शिव चलीसा का पाठ करें। यह उपाय करने से शनि के अशुभ प्रभाव को कम करता है।
बेलपत्र अर्पित करें- प्रदोष व्रत वाले दिन शिवलिंग पर 108 बेलपत्र चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही में उड़द दाल, काले वस्त्र, जूते और शनिदेव से संबंधित वस्तुओं का दान करें।