शराब घोटाला…रिटायर्ड-IAS निरंजन को 50 लाख मंथली मिलते थे:टुटेजा-ढेबर-अरुणपति के साथ बनाया सिंडिकेट, टेंडर दिलाने में अहम रोल; EOW ने किया अरेस्ट

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छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला केस में EOW ने रिटायर्ड IAS निरंजन दास को गिरफ्तार कर लिया है। पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास कांग्रेस सरकार के दौरान आबकारी आयुक्त थे। निरंजन पर सिंडिकेट ऑपरेट करने में अहम रोल निभाने का आरोप है। घोटाले से उन्हें हर महीने 50 लाख मिलते थे। EOW की जांच में सामने आया है कि, रिटायर्ड IAS निरंजन दास ने पूर्व IAS अनिल टुटेजा, तत्कालीन विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर और अन्य के साथ मिलकर शराब घोटाले का सिंडिकेट खड़ा किया था। EOW के मुताबिक सिंडिकेट ने सरकारी शराब दुकानों में कमीशन तय करने, डिस्टलरियों से अतिरिक्त शराब बनवाने, विदेशी ब्रांड की अवैध सप्लाई कराने और डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिए शराब बेचने जैसी गतिविधियों से राज्य सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया। निरंजन दास ने टेंडर दिलाने में निभाई थी भूमिका EOW की चार्जशीट के मुताबिक नोएडा की प्रिज्म होलोग्राफिक सिक्योरिटी फिल्म्स को टेंडर दिलाने में दास की अहम भूमिका रही। कंपनी अयोग्य होने के बावजूद शर्तें बदली गईं और उसे काम दिया गया। इसके बाद डुप्लीकेट होलोग्राम बनाकर अवैध शराब की बिक्री को वैध ठहराया गया। EOW की चार्जशीट के मुताबिक प्रति होलोग्राम आठ पैसे का कमीशन तय हुआ। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि निरंजन दास और सिंडिकेट ने झारखंड की आबकारी नीति बदलवाने की भी साजिश रची। जनवरी 2022 में ढेबर और त्रिपाठी के साथ झारखंड अधिकारियों के साथ बैठक कर छत्तीसगढ़ मॉडल लागू कराया। रिटायरमेंट के बाद फरवरी 2023 में उन्हें संविदा पर आबकारी आयुक्त बनाया गया था। निरंजन दास की अग्रिम जमानत याचिकाएं कई बार खारिज हुईं। अब EOW उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में घोटाले की कई परतें और खुलेंगी। जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था। फरवरी 2019 में बना था शराब घोटाला सिंडिकेट ED के मुताबिक कारोबारी अनवर ढेबर ने सिंडिकेट बनाने के लिए फरवरी 2019 में जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में प्रदेश के 3 डिस्टलरी मालिकों को बुलाया। इस मीटिंग में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी से नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड से भूपेंदर पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया शामिल हुए। साथ ही वेलकम डिस्टलरी से राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू जायसवाल के साथ हीरालाल जायसवाल और नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया पहुंचे। मीटिंग में इनके अलावा एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह भी मौजूद थे। मीटिंग में अनवर ढेबर ने तय किया कि डिस्टलरी से जो शराब सप्लाई की जाती है, उसमें प्रति पेटी कमीशन देना होगा। कमीशन के बदले रेट बढ़ाने का आश्वासन डिस्टलरी संचालकों को दिया गया। पैसे का हिसाब-किताब करने के लिए आरोपियों ने पूरे कारोबार को ए, बी और सी पार्ट में बांटा। सरकारी कागजों पर रिकॉर्ड नहीं चढ़ाने की हिदायत ED के मुताबिक शराब दुकान संचालकों को सरकारी कागजों पर शराब की खपत दर्ज न करने की सलाह दी गई थी। बिना शुल्क चुकाए दुकानों तक डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब पहुंचाई गई। जांच एजेंसी ने आरोप पत्र में कहा है कि आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार फरवरी 2019 से शुरू हुआ था। ऐसे हुई थी अवैध शराब बेचने की शुरुआत शुरुआत में डिस्टलरी से हर महीने 800 पेटी शराब से भरे 200 ट्रक निकलते थे। एक पेटी 2840 रुपए में बिकती थी। उसके बाद, हर महीने 400 ट्रक शराब की आपूर्ति होने लगी। शराब 3,880 रुपए प्रति पेटी बेची गई। EOW की शुरुआती जांच में पता चला है कि 3 साल में 60 लाख से ज़्यादा पेटी शराब अवैध रूप से बेची गई।

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