श्रीलंका में आज संसदीय चुनाव हो रहे हैं। संसद की 225 सीटों के लिए 1 करोड़ 70 लाख लोग वोटिंग कर रहे हैं। वोटिंग 7 बजे शुरू हुई है जो कि शाम 4 बजे तक होगी। संसद में जीत हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी को 113 सीटों की जरूरत है। श्रीलंका में अगस्त 2020 में संसदीय चुनाव हुए थे। ऐसे में नए चुनाव अगले साल होने थे लेकिन इसी साल सितंबर में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद अनुरा कुमारा दिसानायके ने संसद को भंग कर दिया था। राष्ट्रपति दिसानायके इस चुुनाव में बहुमत हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनकी जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) पार्टी की ज्यादातर नीतियों को संसद में मंजूरी मिल सके। JVP नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन संसद में इस पार्टी के सिर्फ 3 सांसद हैं। चुनावी जानकारों के मुताबिक दिसानायके की पार्टी इस चुनाव में जीत सकती है। पिछले कुछ दशकों से श्रीलंका की राजनीति पर हावी रहे राजपक्षे भाइयों में से कोई भी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहा है। दिसानायके ने कार्यकारी राष्ट्रपति की शक्ति कम करने का वादा किया
श्रीलंकाई चुनाव आयोग के मुताबिक 8,821 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। मतदाता आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत 22 निर्वाचन क्षेत्रों से संसद के लिए 196 सदस्यों का सीधे चुनाव करते हैं। बाकी 29 सीटें आनुपातिक वोट के मुताबिक बांटी जाती हैं। चुनाव में जिस पार्टी को जितने वोट मिलेंगे, उसके मुताबिक ही उसे 29 सीटों में हिस्सा मिलता है। एक वोटर प्राथमिकता के आधार पर 3 प्रत्याशियों को वोट दे सकते हैं। अलजजीरा के मुताबिक राष्ट्रपति दिसानायके का मानना है कि देश की शक्ति काफी हद तक ‘कार्यकारी राष्ट्रपति’ के अधीन है। वे इस पावर को कम करने का वादा लेकर चुनाव में उतरे हैं, लेकिन उन्हें संविधान में बदलाव की जरूरत होगी। उन्हें इसके लिए दो-तिहाई सीटें चाहिए। दिसानायके जनता से इतनी सीटें जिताने की अपील कर रहे हैं। श्रीलंका में कार्यकारी राष्ट्रपति पद पहली बार 1978 में अस्तित्व में आया था। इसके बाद से ही इसकी आलोचना होती रही है, लेकिन सत्ता में आने के बाद अब तक किसी भी दल ने इसकी ताकत को खत्म करने की कोशिश नहीं की है। दिसानायके ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और रानिल विक्रमसिंघे के दौर में IMF के साथ हुई डील में सुधार करने का वादा किया है। चुनावी मैदान में कई दल, सिर्फ 3 सीटों वाला गठबंधन बना सकता है सरकार
इस चुनाव में दिसानायके की NPP का मुकाबला पूर्व PM साजिथा प्रेमदासा की पार्टी (SJB), पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP), न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (NDF) और राजपक्षे परिवार की श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (SLPP) से हो रहा है। विक्रमसिंघे का कहना है कि उन्होंने देश को दिवालिया होने के बाद उबारा है। श्रीलंका साल 2022 में समय पर कर्ज न चुका पाने की वजह से दिवालिया हो गया था। इसके बाद देश विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए थे जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था। इसके बाद रानिल विक्रमसिंघे ने देश की कमान संभाली थी। दिसानायके की पार्टी को बहुमत मिलने की संभावना
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिसानायके का गठबंधन राष्ट्रपति चुनाव में मिली भारी जीत के बाद संसदीय चुनाव में भी बहुमत हासिल कर सकती है। राष्ट्रपति चुनाव में दूसरे स्थान पर रहने वाले साजिथ प्रेमदासा की पार्टी SJB दूसरे नंबर पर रह सकती है। वहीं बाकी पार्टियों का सफाया हो सकता है। चुनाव परिणाम कब आएंगे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चुनाव खत्म होने के 1 या 2 दिन बाद रिजल्ट आ सकता है। 2020 में वोटिंग के दो दिन के भीतर ही रिजल्ट्स घोषित कर दिए गए थे। ………………………………………….. श्रीलंका से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव में वामपंथी दिसानायके जीते:42% वोट मिले, कल शपथ ले सकते हैं; पहले भारत का विरोध किया था फिर संबंध सुधारे श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव में वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को जीत मिली। दिसानायके देश के 10वें राष्ट्रपति बने। उन्होंने रानिल विक्रमसिंघे की जगह ली। पूरी खबर यहां पढ़ें…