अबूझमाड़ में नक्सलियों के खिलाफ करीब 1000 जवानों का ऑपरेशन शनिवार की शाम को खत्म हो गया। इसमें एक जवान घायल है, जबकि सभी जवान सुरक्षित वापस दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय पहुंच गए हैं। जवान अपने साथ मारे गए 31 नक्सलियों के शवों के साथ मौके से मिले एक एलएमजी, 4 एके 47, 6 एसएलआर, 3 इंसास रायफल सहित कई अन्य हथियार भी लेकर आए हैं। इस मुठभेड़ में 18 पुरुष नक्सली और 13 महिला नक्सलियों को जवानों ने मार गिराया है। मारे गए 16 नक्सलियों पर करीब 1 करोड़ 30 लाख का इनाम घोषित हैं। बता दें कि शुक्रवार देर रात तक अफसरों ने 36 नक्सलियों के मारे जाने की जानकारी दी थी, लेकिन अगले दिन 31 शव ही बरामद हुए हैं। इस ऑपरेशन के बाद आईजी सुंदरराज पी, दंतेवाड़ा एसपी गौरव राय और नारायणपुर एसपी प्रभात कुमार ने ऑपरेशन से संबंधित जानकारी मीडिया को साझा की और कहा कि यह ऑपरेशन सफल रहा । बस्तर आईजी ने कहा कि पुलिस और जवानों के लिए अब सीमा का बंधन नहीं है, जिस भी जिले की पुलिस को जहां भी नक्सलियों की मौज्ूदगी की सूचना मिलती है वो वहां घुसकर नक्सलियों को मारें, अब जवानों के लिए सीमा बंधन नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां भी नक्सली जमा होंगे वहां घुसकर मारेंगे। 15 किमी दायरे वाले पहाड़ को 1000 जवानों ने घेरकर 31 को ढेर किया, नक्सलियों ने एके-47 में लगाया था फोर एक्स जूम, मारे गए 16 पर 1 करोड़ 30 लाख का था इनाम सिर्फ 16 की ही शिनाख्त नीति (डीकेएसजेडसी), सुरेश सलाम (डीवीसीएम), मीना माडकम (डीवीसीएम), अर्जुन, सुंदर, बुधराम व सुक्कू, फूलो, बसंती, सोमे, जमीला उर्फ बुधरी (पीएलजीए कंपनी 6), रामदेर, सुकलू उर्फ विजय, जमली (एसीएम), सोहन (एसीएम बारसूर एसी) सोनू कोर्राम (एसीएम अमदेयी) की शिनाख्त हो पाई है। घने जंगल-पहाड़ को घेरा, फिर ऐसे मिली सफलता नक्सलियों के खिलाफ फोर्स को लगातार सफलता मिल रही है। दरअसल, अबूझमाड़ के थुलथुली इलाके में जवानों को सफलता इसलिए मिल पाई, क्योंकि जवान पहली बार गवाड़ी के पहाड़ पर चढ़े। यह पूरा इलाका अबूझमाड़ में आता है, इससे पहले इस इलाके में फोर्स के अॉपरेशन सिर्फ हांदावाड़ा जलप्रपात तक ही होते थे। जवान हांदावाड़ा जल प्रपात के आगे ऑपरेशन के लिए नहीं जाते थे। इसके पीछे बड़ी वजह यह थी कि यह बेहद घने जंगलों और पहाड़ी वाला इलाका है, लेकिन इस बार अफसरों ने पहले से ही पूरी प्लानिंग कर रखी थी और जलप्रपात के आगे गवाड़ी पहाड़ को चारों तरफ से घेरने के लिए दो जिलों से फोर्स को रवाना किया गया था। जवानों की एक टुकड़ी जैसे ही गावड़ी के पहाड़ पर चढ़ी वैसे ही गोलीबारी शुरू हो गई जवान यहां पहली बार पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि जब जवान यहां पहुंचे तो नक्सलियों की मीटिंग चल रही थी। करीब 15 किमी दायरे वाले पहाड़ को जवानों ने पहले से ही घेर रखा था। पहली मुठभेड़ नारायणपुर के जवानों के साथ हुई थी, नक्सली जब दूसरी तरफ भागे तो यहां दंतेवाड़ा के जवान पहले से तैनात थे, जिनके द्वारा नक्सलियों पर हमला किया गया। शाह के बिंदुओं पर बना प्लान 4 दिन में बनाई गई ऑपरेशन की पूरी योजना टारगेट था मिलिट्री नक्सल कमांडर कमलेश 31 नक्सलियों को मारने के पीछे अगस्त में हुई केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बैठक बताई जा रही है। उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ आरपार की लड़ाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कुछ प्वाइंट्स बताए थे, उसी के अनुसार काम किया जा रहा है। इसमें बड़ी भूमिका स्टेट और सेंट्रल की इंटेलिजेंस की भी है। उन्हें 1 अक्टूबर को पुख्ता सूचना मिली कि नार्थ बस्तर का कमांडर और मिलिट्री दस्ते का प्रभारी कमलेश उर्फ आरके मौजूद है। इस इनपुट को कई स्तर पर जांच की गई। पहाड़ में बड़े नक्सलियों के होने की पुख्ता होने के बाद डीजीपी अशोक जुनेजा, एडीजी विवेकानंद सिन्हा, आईजी सुंदरराज पी. ने पैरामिलिट्री फोर्स के अधिकारियों से बातचीत की। आईबी-केंद्र की अन्य एजेंसियों को सूचना दी गई। 1 अक्टूबर की आधी रात ऑपरेशन प्लान किया गया। 2 अक्टूबर को घोर अंधेरा होने के बाद फोर्स को रवाना किया गया है। फोर्स अलग-अलग जगह से माढ़ के जंगलों में घुसी। इसमें दंतेवाड़ा-नारायणपुर की डीआरजी, एसटीएफ के अलावा सीआरपीएफ की टीम थी। फोर्स ने गुरुवार को गवाड़ी पहाड़ पर चढ़ना शुरू किया। इसी दौरान फायरिंग हो गई। रायपुर से लेकर बस्तर रातभर इसकी मॉनिटरिंग होती रही। अब आरक्षक-हवलदार के अलावा आईपीएस व बड़े अधिकारियों को भी ऑपरेशपन में जाना पड़ेगा। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नक्सली कमांडर कमलेश नार्थ बस्तर के प्रभारी के साथ मिलिट्री भी देखता है। कमलेश सिविल आईटीआई का छात्र रहा है। मुख्य रूप से कमलेश नार्थ बस्तर, नलगोंडा डिवीजन, ओडिशा बॉर्डर और मानपुर इलाके में सक्रिय है। वह मिलिट्री दस्ते के साथ रहता हैं। चर्चा है कि फायरिंग शुरू होते ही कमलेश बचकर निकल गया। उसका टूआईसी सतीश मारा गया है। नक्सल ऑपरेशन में ये बदलाव
नक्सल ऑपरेशन में बड़ा बदलाव किया गया है। हर जिले में डीएसपी रैंक के अधिकारी की पोस्टिंग की गई है, जो इंटेलिजेंस का काम देखते हैं। पीएचक्यू में हाईटेक निगरानी तकनीकी टीम बैठाई गई है। साथ ही जंगल के भीतर से आने वाली हर सूचनाओं को कई स्तर पर जांच की जा रही है। उसके बाद ऑपरेशन प्लान किया जा रहा है। केंद्र को भेजी जा रही हर रिपोर्ट
हर माह पुलिस, एनआईए, आईबी, एमआईबी और पैरामिलिट्री फोर्स की संयुक्त मीटिंग होती है। ताकि समन्वय बना रहे। हर बैठक में ऑपरेशन को लेकर प्लान किया जा रहा है। इसकी रिपोर्ट अब केंद्रीय गृह मंत्रालय को जाती है। केंद्रीय गृहसचिव और आईबी चीफ नक्सल ऑपरेशन को लेकर बैठक व चर्चा कर रहे हैं।