दीपावली के बाद का दिन मालवा अंचल के लिए खास होता है, जब गौतमपुरा का मैदान जंग के अखाड़े में बदल जाता है। मंगलवार को परंपरा, आस्था और साहस का संगम बने इस ऐतिहासिक हिंगोट युद्ध की शुरुआत शाम करीब साढ़े पांच बजे भगवान देवनारायण की पूजा और जयकारों के साथ हुई।
