हॉन्गकॉन्ग के ‘ताइ पो’ जिले के रिहायशी कॉम्प्लेक्स में बुधवार को लगी आग से अब तक 94 लोगों की मौत हो गई, जबकि 280 से ज्यादा लापता है। इस हादसे में 76 लोग घायल हुए हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर है। अधिकारियों का कहना है कि हताहतों की संख्या और बढ़ सकती है। सरकार ने इस हादसे की क्रिमिनल जांच शुरू कर दी है। मामले में पुलिस ने ठेकेदार समेत तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है। आरोप है कि उन्होंने नियमों के मुताबिक सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया, जिससे यह हादसा हुआ। कॉम्प्लेक्स में जुलाई 2024 से कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था। अधिकारियों का कहना है कि स्टायरोफोम जैसी ज्वलनशील सामग्री और बाहर लगी जाली के कारण आग तेजी से फैली। इसी वजह से फ्लैट्स और गलियारों में आग फैल गई। हादसे से जुड़ी 5 तस्वीरें… सभी पब्लिक हाउसिंग प्रोजेक्ट की जांच होगी हॉन्गकॉन्ग के चीफ एग्जीक्यूटिव अधिकारी जॉन ली का-चिउ ने कहा है कि सभी पब्लिक हाउसिंग प्रोजेक्ट की पूरी जांच की जाएगी और वांग फुक कोर्ट में लगी आग के कारणों का पता लगाया जाएगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी इस हादसे पर शोक जाहिर किया और कहा कि सभी लोगों की मदद की सभी कोशिश की जाएं ताकि नुकसान कम से कम हो। एक्सपर्ट्स बोले- आग के पीछे बांस के अलावा कई वजहें हॉन्गकॉन्ग के ताइपो इलाके में वांग फुक कोर्ट नाम की 40 साल पुरानी इमारत में लगी आग के पीछे मरम्मत के लिए लगी बांस को वजह बताया जा रहा है। हालांकि, एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बांस की स्कैफोल्डिंग आग की इकलौती वजह नहीं थी। असल में प्लास्टिक की जाली (नेट), फायर-रिटार्डेंट न होने वाली शीट और खिड़कियों में इस्तेमाल होने वाला स्टायरोफॉम के कारण आग तेजी से फैली। चाइनीज यूनिवर्सिटी ऑफ हॉकिंग की आर्किटेक्ट रफाएला एंड्रिजी ने कहा,“बांस में प्राकृतिक नमी होती है, इसलिए वह आसानी से नहीं जलता। अगर बांस सूखा भी हो तो भी प्लास्टिक की जाली और दूसरे सिंथेटिक चीजों की तुलना में बहुत धीरे जलता है। ताइपो की आग में ज्यादातर नेट और इंजीनियरिंग सामग्री ही जिम्मेदार लग रही है।” एक इमारत से दूसरी इमारत तक फैली आग तेज हवा और जलते हुए मलबे की वजह से लपटें एक इमारत से दूसरी इमारत तक फैलती चली गईं। जब आग भड़की, तो कई लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी क्योंकि मरम्मत की वजह से खिड़कियां बंद थीं। आग बुझाने पहुंची टीम को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई मंजिलों पर तापमान इतना ज्यादा था कि फायर फाइटर्स उन जगहों तक पहुंच भी नहीं पा रहे थे। इसी दौरान एक फायर फाइटर की मौत भी हो गई। हादसे में एक फायर फाइटर की भी मौत हॉन्गकॉन्ग में लगी भीषण आग में एक फायर फाइटर हो वाई-हो की मौत हो गई। हो पिछले 9 साल से फायर सर्विसेज डिपार्टमेंट में थे और शा टिन फायर स्टेशन में तैनात थे। आग लगने पर वह दोपहर 3:01 बजे मौके पर पहुंचे थे और ग्राउंड फ्लोर पर आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे। 3:30 बजे के बाद उनका संपर्क टीम से टूट गया। आधे घंटे बाद शाम 4 बजे हो ग्राउंड फ्लोर पर मिले। उनका चेहरा जला हुआ था। उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया लेकिन डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 1948 में लगी थी भीषण आग, 176 लोग मारे गए थे हांगकांग में अब तक की सबसे भयानक आग 27 फरवरी 1918 को लगी थी। यह आग हैप्पी वैली रेसकोर्स में लगी थी। आग लगने के बाद वहां की ग्रैंडस्टैंड (बैठने वाला बड़ा ढांचा) गिर गया और 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद एक और बड़ी आग 22 सितंबर 1948 को लगी। यह आग डेस वोइक्स रोड वेस्ट पर स्थित विंग ऑन के एक गोदाम में हुए धमाके के बाद फैली। इस हादसे में 176 लोगों की मौत हुई और 69 लोग घायल हुए। यह दोनों हादसे आज भी हांगकांग के इतिहास के सबसे दर्दनाक आग हादसों में गिने जाते हैं। इससे पहले 1948 में पांच मंजिला गोदाम में विस्फोट हुआ था। इसमें 176 लोग मारे गए थे । इसके बाद 1962 में शुई पो इलाके में लगी आग में लगभग 44 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, नवंबर 1996 में कोवलून में गार्ले बिल्डिंग में आग लगने से 41 लोग मारे गए थे और 81 घायल हुए थे। ———————- यह खबर भी पढ़ें… हॉन्गकॉन्ग में 77 साल में सबसे भीषण आग:83 मौतें, 8 बहुमंजिला इमारतें जलीं, 280 अभी भी लापता, ठेकेदार समेत 3 गिरफ्तार हॉन्गकॉन्ग के ‘ताई पो’ जिले में बुधवार को एक बड़े रिहायशी कॉम्प्लेक्स में आग लग गई। यह 77 साल में लगी सबसे भीषण आग बताई जा रही है। आग इतनी तेज थी कि 24 घंटे बाद भी 8 में से सिर्फ 5 इमारतों पर काबू पा लिया गया, 3 इमारतों की ऊपरी मंजिलों में आग अभी भी जल रही है। पढ़ें पूरी खबर…
