सनातन धर्म में मार्गशीर्ष महीना अंत्यत शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष मास भगवान कृष्ण को भी बेहद प्रिय है। प्रत्येक माह में अमावस्या तिथि जरुर आती है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का महत्व विशेष है। इस दिन स्नान-दान करना शुभ माना जाता है। किसी पवित्र नदियों में स्नान करना बेहद शुभ होता है। इसके अलावा, अमावस्या तिथि को पितरों की तृप्ति और दान-पुण्य के लिए भी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। जो व्यक्ति इस दिन दान-पुण्य,स्नान और पूजा करता है, उसको धन, सुख और समृद्धि प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन की बाधाएं भी दूर होती है।
कब है मार्गशीर्ष अमावस्या 2025?
इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या 20 नवंबर (गुरुवार) को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि का आरंभ 19 नवंबर 2025, सुबह 9:43 बजे से लेकर अमावस्या तिथि समापन 20 नवंबर 2025, दोपहर 12:16 बजे तक है। उदया तिथि के अनुसार 20 नवंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी।
– स्नान दान का शुभ समय- 20 नवंबर 2025, सुबह 6:48 बजे
अमावस्या के दिन करें ये उपाय
स्नान और सूर्य अर्घ्य
इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर नदी स्नान संभव न हो, तो घर पर नहाने के जल में गंगाजल मिला लें। स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का जाप करें।
पितरों का तर्पण और पीपल पूजा
अमावस्या का दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए सबसे खास होता है। इस दिन तर्पण, पिंडदान या श्राद्ध करें। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर उसकी 5 या 7 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से पितृदोष समाप्त होता है और पितरों की कृपा प्राप्त होते हैं।
भगवान विष्णु की पूजा करें
अमावस्या वाले दिन भगवान विष्णु की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इनकी प्रतिमा या तस्वीर को पंचामृत से स्नान कराएं और श्री विष्णु को तुलसी दल, पीले पुष्प, चंदन व मिठाई भोग में अर्पित करें। इसके बाद ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र या विष्णु जी के 108 नामों का जाप करें। ऐसा करने से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
इस तिथि को पितरों की शांति और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए बेहद खास माना जाता है। अमावस्या के दिन श्रद्धा और विधिवत रुप से भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आर्थिक प्रगति और सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिल सकती है।