26 जिलों में यलो अलर्ट, बिजली गिरेगी, आंधी चलेगी:रायपुर में रातभर बूंदाबांदी, चचेई डैम में डूबे युवक का 12 घंटे बाद सुराग नहीं

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छत्तीसगढ़ में आज मौसम विभाग ने 26 जिलों में गरज चमक के साथ बिजली गिरने और आंधी चलने को लेकर यलो अलर्ट जारी किया है। रायपुर में रातभर हल्की बूंदाबांदी होती रही, जबकि सुबह के बाद कई इलाकों में तेज बारिश भी हुई। कांकेर, नारायणपुर, कोंडागांव, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा में मौसम सामान्य रहेगा। इसी बीच बिलासपुर के चचेई डैम में पिकनिक मनाने गए आकाश पटेल नामक युवक के गहरे पानी में डूब जाने की घटना सामने आई है। 12 घंटे बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिल सका है। पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश रिकॉर्ड की गई, जिनमें सुकमा में सबसे ज्यादा 49.3 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार, आज से बारिश की गतिविधियां धीरे-धीरे कम होने की संभावना है। तस्वीरें देखिए… 15 अक्टूबर के बाद मानसून लौटने के आसार मौसम विभाग के मुताबिक, 30 सितंबर तक हुई बारिश को मानसून की बारिश माना जाता है, जबकि इसके बाद की बारिश को ‘पोस्ट मानसून’ यानी मानसून के बाद की बारिश माना जाता है। फिलहाल देश के कई हिस्सों से मानसून की वापसी शुरू हो चुकी है। छत्तीसगढ़ में आमतौर पर 5 अक्टूबर के आसपास सरगुजा की तरफ से मानसून लौटना शुरू होता है, लेकिन इस बार वापसी में देरी हो सकती है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार प्रदेश में मानसून करीब 15 अक्टूबर के बाद लौटेगा, यानी सामान्य से करीब 10 दिन देरी से। बेमेतरा में सबसे कम बरसा पानी प्रदेश में अब तक 1167.4 मिमी औसत बारिश हुई है। बेमेतरा जिले में अब तक 524.5 मिमी पानी बरसा है, जो सामान्य से 50% कम है। अन्य जिलों जैसे बस्तर, राजनांदगांव, रायगढ़ में वर्षा सामान्य के आसपास हुई है। जबकि बलरामपुर में 1520.9 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 52% ज्यादा है। ये आंकड़े 30 सितंबर तक के हैं। जानिए क्यों गिरती है बिजली बादलों में मौजूद पानी की बूंदें और बर्फ के कण हवा से रगड़ खाते हैं, जिससे उनमें बिजली जैसा चार्ज पैदा होता है। कुछ बादलों में पॉजिटिव और कुछ में नेगेटिव चार्ज जमा हो जाता है। जब ये विपरीत चार्ज वाले बादल आपस में टकराते हैं तो बिजली बनती है। आमतौर पर यह बिजली बादलों के भीतर ही रहती है, लेकिन कभी-कभी यह इतनी तेज होती है कि धरती तक पहुंच जाती है। बिजली को धरती तक पहुंचने के लिए कंडक्टर की जरूरत होती है। पेड़, पानी, बिजली के खंभे और धातु के सामान ऐसे कंडक्टर बनते हैं। अगर कोई व्यक्ति इनके पास या संपर्क में होता है तो वह बिजली की चपेट में आ सकता है।

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