छत्तीसगढ़ में मानसून ने रफ्तार पकड़ ली है। गुरुवार को रायपुर-दुर्ग समेत प्रदेश के 106 जगहों पर बारिश हुई। औसत बारिश का आंकड़ा 36.79 MM रहा। ये इस महीने का सबसे ज्यादा है। मौसम विभाग की माने तो अगले 6 दिनों तक यही स्थिति रहेगी। मौसम विभाग ने आज (शुक्रवार) रायगढ़, सूरजपुर और कोरिया इन तीन जिलों के साथ अन्य 30 जिलों में गरज चमक के साथ बिजली गिरने का यलो अलर्ट जारी किया है। तापमान की बात करें तो पिछले 24 घंटे में 31.2 डिग्री सेल्सियस के साथ बिलासपुर सबसे गर्म रहा। सामान्य से 25% कम बरसा पानी, बलरामपुर में सबसे ज्यादा 1 जून से 26 जून तक प्रदेश में 112.6 MM बारिश हो चुकी है। सामान्यता जून में इस समय तक 149.6 MM बारिश रिकॉर्ड की जाती है। इस लिहाज से अब तक बारिश लगभग 25% कम हुई है। सबसे ज्यादा बारिश बलरामपुर में हुई है। यहां सामान्य से लगभग 114 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। दरअसल जिले में जून में अब तक 228.2 MM पानी बरस चुका है। जबकि सामान्य तौर पर 106.5 MM पानी ही गिरता है। बारिश की तस्वीर देखिए- 19 जिलों में कम बारिश हुई, राजनांदगांव में कम बरसा पानी सबसे कम बारिश राजनांदगांव में हुई है। यहां सामान्य से लगभग 79% कम बारिश दर्ज की गई है। जिले में अब तक 31.3 MM पानी बरसा है। जबकि इस महीने सामान्य तौर पर अब तक 146.5 MM पानी बरस जाना चाहिए था। प्रदेश के आंकड़ों पर ओवरऑल बात करें तो एक जिले में सामान्य से बहुत अधिक पानी गिरा है। तीन जिलों में सामान्य से अधिक पानी गिरा है। आठ जिलों में सामान्य पानी गिरा है। 19 जिलों में नॉर्मल से कम पानी बरसा है। तीन जिलों में सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है। पिछले एक सप्ताह में हुआ है सुधार पिछले एक सप्ताह 25 जून तक की बात करें तो प्रदेश में 59.9 MM बारिश हुई है। नॉर्मल कंडीशन में 19 जून से लेकर 25 जून तक 66.6 MM बारिश प्रदेश में होनी चाहिए। यानी आखिरी 7 दिन में सिर्फ 10% ही कम बारिश हुई है। पूरे महीने के अनुपात में यह आंकड़ा बेहतर है। ऐसे में कहा जा सकता है कि पिछले 7 दिनों में मानसून ने रफ्तार पकड़ी है। मई में 374 फीसदी ज्यादा बारिश हुई थी पिछले माह लगातार बने सिस्टम और करीब 14 दिन पहले आए मानसून ने पूरे छत्तीसगढ़ में मई महीने में जमकर बारिश कराई। इस दौरान औसत से 373 फीसदी ज्यादा पानी गिर गया। इसके बाद से मानसून पिछले करीब 12 दिनों से ठहरा है। यह आगे ही नहीं बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ में 22 मई से 28 मई के बीच 53.51 मिलीमीटर औसत बारिश हो चुकी है। प्रदेश में मानसून में औसतन 1200 मिलीमीटर पानी बरसता है। पिछले साल 1276.3 MM पानी गिरा था। पिछले साल के मुकाबले तापमान कम हालांकि इस बार की स्थित पिछले साल के मुकाबले बेहतर है। साल 2024 में जून का अधिकतम तापमान 45.7°C था, जो 1 जून को दर्ज किया गया था। जबकि इस साल अधिकतम तापमान अब तक 42 से 43°C के आस-पास ही रहा है। वहीं सबसे कम न्यूनतम तापमान 23.5°C 19 जून को रिकॉर्ड किया गया था। पिछले साल जून में पूरे महीने के औसत तापमान की बात करें तो 38.6°C रहा था। वहीं न्यूनतम औसतन तापमान 27.7°C दर्ज किया गया था। लंबा रह सकता है मानसून मानसून के केरल पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून है। इस साल 8 दिन पहले यानी 24 मई को ही केरल पहुंच गया। मानसून के लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर है। अगर इस साल अपने नियम समय पर ही लौटता है तो मानसून की अवधि 145 दिन रहेगी। इस बीच मानसून ब्रेक की स्थिति ना हो तो जल्दी आने का फायदा मिलता सकता है। प्रदेश के बदलते तापमान को दो इंफोग्राफिक से समझिए इसलिए बिजली गिरती है दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके। अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी आकाशीय बिजली से जुड़े मिथ