4 दिन बारिश पर ब्रेक, गर्मी-उमस बढ़ेगी:इसके बाद बरसेगा पानी, आज दक्षिणी और उत्तरी हिस्से के 13 जिलों में अलर्ट; बिजली गिरेगी

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मौसम विभाग के मुताबिक, आने वाले चार दिनों तक छत्तीसगढ़ में बारिश और इससे जुड़ी गतिविधियों में कमी आएगी। इसका मतलब है कि अगले कुछ दिनों में तेज धूप और उमस बढ़ सकती है। हालांकि, बीच-बीच में हल्की फुहारें या रिमझिम बारिश होती रहेगी। पिछले 24 घंटों के दौरान सरगुजा, बिलासपुर और रायपुर संभाग के कई इलाकों में हल्की बारिश हुई है। वहीं, बस्तर और बिलासपुर संभाग के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम वर्षा हुई है। सबसे ज्यादा बारिश सरसींवा में हुई, जहां 40 मिलीमीटर पानी गिरा। आज (शुक्रवार) राज्य के दक्षिणी और उत्तरी हिस्सों में मौसम विभाग ने येलो अलर्ट जारी किया है। कांकेर, नारायणपुर, कोंडागांव, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, सुकमा, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम), कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, सरगुजा और जशपुर – इन 13 जिलों में गरज-चमक के साथ बिजली गिरने की संभावना जताई गई है। कुछ स्थानों पर तेज हवाएं भी चल सकती हैं। सेंट्रल छत्तीसगढ़ के जिलों में मौसम सामान्य रहने की उम्मीद है। बलरामपुर में नदी-नाले उफान पर बलरामपुर जिले के रामानुजगंज में पिछले 3 दिनों से लगातार हो रही बारिश से कन्हर नदी और आसपास के नाले उफान पर हैं। इससे निचली बस्तियों में जलभराव की स्थिति बन गई है। क्षेत्र के सभी तालाब और बांध लबालब भर गए हैं। जल संसाधन विभाग की टीमें बांधों और जलाशयों की निगरानी कर रही हैं। जिले में अब तक 1455.5MM बारिश हो चुकी, जो सामान्य से 56% ज्यादा है। बलराम में सबसे ज्यादा बारिश, बेमेतरा में सबसे कम प्रदेश में अब तक 1059.6 मिमी बारिश हुई है। बेमेतरा जिले में अब तक 491.6 मिमी पानी बरसा है, जो सामान्य से 50% कम है। अन्य जिलों जैसे बस्तर, राजनांदगांव, रायगढ़ में वर्षा सामान्य के आसपास हुई है। जबकि बलरामपुर में 1464.6 मिमी पानी गिरा है, जो सामान्य से 56% ज्यादा है। क्यों गिरती है बिजली बादलों में मौजूद पानी की बूंदें और बर्फ के कण हवा से रगड़ खाते हैं, जिससे उनमें बिजली जैसा चार्ज पैदा होता है। कुछ बादलों में पॉजिटिव और कुछ में नेगेटिव चार्ज जमा हो जाता है। जब ये विपरीत चार्ज वाले बादल आपस में टकराते हैं तो बिजली बनती है। आमतौर पर यह बिजली बादलों के भीतर ही रहती है, लेकिन कभी-कभी यह इतनी तेज होती है कि धरती तक पहुंच जाती है। बिजली को धरती तक पहुंचने के लिए कंडक्टर की जरूरत होती है। पेड़, पानी, बिजली के खंभे और धातु के सामान ऐसे कंडक्टर बनते हैं। अगर कोई व्यक्ति इनके पास या संपर्क में होता है तो वह बिजली की चपेट में आ सकता है।

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