छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में अब तक के सबसे लंबे 80 घंटे तक चले नक्सल विरोधी अभियान में मारे गए 16 नक्सलियों में से 12 की पहचान हो चुकी है। इस ऑपरेशन में मारे गए नक्सलियों पर कुल 3 करोड़ 16 लाख रुपये का इनाम घोषित था। वहीं मारे गए नक्सलियों में सेंट्रल कमेटी मेंबर चलपति और नुआपड़ा-गरियाबंद-धमतरी डिवीजन कमेटी का प्रमुख सत्यम गावड़े भी शामिल है। यह पहला मौका है, जब छत्तीसगढ़ में किसी मुठभेड़ में सेंट्रल कमेटी का सदस्य मारा गया है। बतादें कि चलपति गरियाबंद के भालूडिग्गी से तीन राज्यों में नक्सल एक्टिविटी को कंट्रोल करता था। इस ऑपरेशन में चलपति जैसे सीनियर नक्सली नेता के साथ-साथ कई एरिया कमांडर भी मारे गए हैं। बरामद 16 शवों में से चार की शिनाख्त अभी बाकी है। जानिए कौन-कौन मारा गया, उनपर कितना था इनाम एसपी निखिल राखेचा ने मारे गए 16 में से 12 नक्सलियों की शिनाख्त की पुष्टि की है। इनमें से कई नक्सलियों पर बड़े इनाम घोषित थे, जिसमें तलपति सीसी मेंबर इनाम 90 लाख, जयराम उर्फ गुड्डू ओडिसा स्टेट कमेटी मेंबर, इनाम 65 लाख, सत्यम गावड़े, (नुआपड़ा गरियाबंद धमतरी डिवीजन कमेटी चीफ) इनाम 65 लाख, आलोक उर्फ मुन्ना (डीवीसीएस ओडिशा) इनाम 18 लाख, शंकर (एसीएम कालाहांडी) इनाम 13 लाख, कलमू देवे उर्फ कल्ला (जयराम का गार्ड) इनाम 13 लाख, मंजू (एससीएम सदस्य) इनाम 13 लाख, रिंकी( ए सीएम) इनाम 13 लाख, सुखराम (चलपति का गार्ड) इनाम 3 लाख, रामे ओयाम (एलजीएस मैनपुर) 3 लाख, जैनी उर्फ मासे (मैनपुर एलजीएस) 3 लाख, मन्नू (माड़ एरिया के कंपनी न 1 का सदस्य) इनाम 14 लाख का इनाम था। आज चलपति के परिजनों को उसका शव सुपुर्द कर दिया गया। 3 जनवरी को भागने में सफल हो गए थे एसपी निखिल राखेचा की पोस्टिंग के बाद जनवरी माह में तीन ऑपरेशन किए गए। 3 जनवरी को नवरंगपुर जंगलों के सीमा से लगे कांडसर के जंगल में मुठभेड़ हुआ था, जहां एक नक्सली को ढेर किया गया था। इस मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने बेसराझर इलाके को चुना। चलपति महीनों से इसी डिवीजन में था एसपी राखेचा ने बताया कि कई माह से चलपति इसी इलाके में मौजूद था। धमतरी गरियाबंद नुआपड़ा डिवीजन कमेटी में 20 से 25 नक्सलियों के साथ सक्रिय था। पंचायत चुनाव को प्रभावित करने के अलावा सामान्य मासिक बैठक की सूचना एजेंसियों से मिली थी। जिसके बाद एसपी निखिल राखेचा ने नक्सल ऑपरेशन सेल के साथ ऑपरेशन की रणनीति बनाई। इस ऑपरेशन में जिला पुलिस बल के ई 30, एसटीएफ, कोबरा 207, सीआरपीएफ 65 एवं 211 के लगभग 400 जवानों को भेजा गया था। यह तस्वीर डेढ़ से दो साल पुरानी है। मैंनपुर इलाके में रात को एक बैठक में नक्सली इकट्ठा थे। फोटो के मुताबिक ये सभी मोस्ट वांटेड नक्सली नुआपड़ा गरियाबंद धमतरी डिवीजन में सक्रिय हैं। इसमें अब तक केवल रामे मारी गई है। भौगोलिक परिस्थितियों का आंकलन कर बनाया कारगर रणनीति बेसरा झर इलाके से होकर भालूडिगी पहाड़ के दक्षिणी क्षेत्र तराई इलाके में नक्सलियों का जमावड़ा था। नक्सलियों ने यहां अपना अस्थाई डेरा बनाया हुआ था, सर्चिंग के दरम्यान तम्बू को जवानों के ध्वस्त किया है। यह इलाका ओडिशा सीमा से 10 किमी की दूरी पर मौजूद है। रात के अंधेरे में तीन छोर से जवानों ने घेरना शुरू किया। पहले के ऑपरेशन में नक्सली ओडिशा भाग खड़े होते थे, ऐसे में एसपी ने 19 और 20 जनवरी तक ओडिशा के जवानों की एक टुकड़ी की मदद ली। जिन्होंने नक्सलियों को ओडिशा आने से रोका। एसपी ने पहले के ऑपरेशन में हुई चूक को प्वाइंट आउट करने के साथ ही भौगोलिक हालातों को तकनीकी के माध्यम से रीड किया था। बच गए नक्सलियों द्वारा शव ले जाने की आशंका इस ऑपरेशन जवानों ने दो दर्जन से ज्यादा आईडी को डिफ्यूज किया गया। एक एके 47 और 17 ऑटोमैटिक रायफल बरामद किया गया। रोजमर्रा में उपयोग किए जाने वाले सामान, साहित्य, डायरी व पेनड्राइव भी बरामद किया गया है।
मिले हथियार की तुलना में शव की संख्या कम है। ऐसे में माना जा रहा है कि शव या घायलों को ले जाने में नक्सली सफल रहे होंगे। गरियाबंद एसपी निखिल राखेचा ने कहा, मारे गए नक्सलियों की शिनाख्त हो रही है। बच गए नक्सली आत्मसमर्पण करते हैं तो उन्हें सरकार की योजना का लाभ दिया जाएगा। घायल भी हो तो उनका पूरा उपचार पुलिस कराएगी।