अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के जन्मजात नागरिकता अधिकार समाप्त करने के फैसले पर 14 दिनों के लिए रोक लगा दी। फेडरल कोर्ट के जज जॉन कफनौर ने वॉशिंगटन, एरिजोना, इलिनोइस और ओरेगन राज्य की तरफ दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। CNN के मुताबिक बहस के दौरान जस्टिस डिपार्टमेंट के वकील को टोकते हुए जज जॉन कफनौर ने पूछा- इस आदेश को संवैधानिक कैसे मान सकते हैं। यह आदेश दिमाग चकरा देने वाला है। यह एक स्पष्ट रूप से असंवैधानिक आदेश है। जज कफनौर ने कहा कि वो 40 साल से भी ज्यादा समय से बेंच पर हैं, लेकिन उन्हें ऐसा कोई दूसरा मामला याद नहीं है, जिसमें मामला स्पष्ट रूप से इतना असंवैधानिक हो। मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी। बता दें कि ट्रम्प ने अपने शपथ ग्रहण वाले दिन यानी 20 जनवरी को एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन कर बर्थ राइट सिटीजनशिप पर रोक लगा दी थी। इससे हर साल 1.5 लाख नवजातों को नागरिकता पर संकट आ गया है। इस आदेश को लागू करने के लिए 30 दिन यानी 19 फरवरी तक का समय दिया गया है। दावा- ट्रम्प के पास संवैधानिक अधिकार नहीं ट्रम्प के इस फैसले के बाद मंगलवार को 22 राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने दो फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में इसके खिलाफ मुकदमा दायर कर आदेश को रद्द करने के लिए कहा था। अमेरिका उन 30 देशों में से एक है जहां जन्मजात नागरिकता या जूस सोली (मिट्टी का अधिकार) का सिद्धांत लागू होता है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इन राज्यों ने तर्क दिया था कि 14वें संशोधन के तहत मिलने वाली जन्मजात नागरिकता पर रोक लगाने के लिए राष्ट्रपति और कांग्रेस (संसद) के पास संवैधानिक अधिकार नहीं हैं। न्यू जर्सी के अटॉर्नी जनरल मैथ्यू प्लैटकिन का कहना था कि राष्ट्रपति शक्तिशाली होते हैं, लेकिन वो राजा नहीं हैं। वे कलम के एक झटके से संविधान को फिर से नहीं लिख सकते। अमेरिका में बढ़े जन्मजात नागरिकता के मामले 1965 में अमेरिकी गृहयुद्ध खत्म होने के बाद, जुलाई 1868 में अमेरिकी संसद में 14वें संशोधन को मंजूरी दी गई थी। इसमें कहा गया था कि देश में पैदा हुए सभी अमेरिकी नागरिक हैं। इस संशोधन का मकसद गुलामी के शिकार अश्वेत लोगों को अमेरिकी नागरिकता देना था। हालांकि इस संशोधन की व्याख्या इस प्रकार की गई है कि इसमें अमेरिका में जन्में सभी बच्चों को शामिल किया जाएगा, चाहे उनके माता-पिता का इमिग्रेशन स्टेट्स कुछ भी हो। इस कानून का फायदा उठाकर गरीब और युद्धग्रस्त देशों से आए लोग अमेरिका आकर बच्चों को जन्म देते हैं। ये लोग पढ़ाई, रिसर्च, नौकरी के आधार पर अमेरिका में रुकते हैं। बच्चे का जन्म होते ही उन्हें अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है। नागरिकता के बहाने माता-पिता को अमेरिका में रहने की कानूनी वजह भी मिल जाती है। अमेरिका में यह ट्रेंड काफी लंबे समय से जोरों पर है। आलोचक इसे बर्थ टूरिज्म कहते हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक 16 लाख भारतीय बच्चों को अमेरिका में जन्म लेने की वजह से नागरिकता मिली है। ट्रम्प के आदेश से 3 स्थितियों में नहीं मिलती नागरिकता ट्रम्प ने जिस एग्जीक्यूटिव ऑर्डर से जन्मजात नागरिकता कानून को खत्म किया है उसका नाम ‘प्रोटेक्टिंग द मीनिंग एंड वैल्यू ऑफ अमेरिकन सिटिजनशिप’ है। यह आदेश 3 परिस्थितियों में अमेरिकी नागरिकता देने से इनकार करता है। अमेरिकी संविधान का 14वां संशोधन जन्मजात नागरिकता का अधिकार देता है। इसके जरिए ही अमेरिका में रहने वाले अप्रवासियों के बच्चों को भी नागरिकता का अधिकार मिलता है। अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने वाला बिल पास दूसरी तरफ अमेरिकी संसद में बुधवार को ट्रम्प की पार्टी को पहली विधायी जीत मिली है। अमेरिकी संसद कांग्रेस ने एक बिल को मंजूरी दे दी है। इसके तहत बिना अनुमति देश में घुसने वाले और कुछ अपराधों के आरोप में पकड़े गए अप्रवासियों को हिरासत में लेकर डिपोर्ट करना जरूरी होगा। इस बिल का नाम जॉर्जिया राज्य के 22 साल छात्र के नाम पर लेकेन रिले एक्ट रखा गया है। पिछले साल वेनेजुएला के एक अवैध प्रवासी ने इस छात्र की रनिंग करते समय हत्या कर दी गई थी। इस मामले के बाद अमेरिका में अवैध प्रवासियों को लेकर एक बार फिर से बहस तेज हो गई थी। ———————— ट्रम्प के फैसलों से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… ट्रम्प ने राष्ट्रपति बनते ही बाइडेन के 78 फैसले पलटे:यूक्रेन जंग पर बोले- पुतिन कोई डील नहीं करके रूस को बर्बाद कर रहे डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने भारतीय समयानुसार सोमवार रात 10:30 बजे अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में पद की शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट के जज जॉन रॉबर्ट्स ने उन्हें शपथ दिलाई। यह उनका दूसरा टर्म है। वे 2017 से 2021 तक अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रह चुके हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…