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Friday, March 14, 2025

नाइजीरियन ठग बोले-इंडियन्स आर सो स्टूपिड:म्यूल अकाउंट के जरिए 1500 लोगों से 85 करोड़ ठगे; रायपुर में पढ़ने आए थे, गिरोह बनाया

तारीख 24 जून, 2024 राजधानी रायपुर के गुढियारी में रहने वाले उमाकांत (बदला हुआ नाम) अपने टेलीग्राम ऐप पर जयंत नाम के एक व्यक्ति को संदेश भेजते हैं…
“मुझे सब पता चल गया है। मेरे साथ फ्रॉड हुआ है। तुम लोगों ने मेरे साथ गेम किया है। पुलिस ने मुझे सब बता दिया है”। दूसरी ओर से रिप्लाई आता है- “हा हा हा, इंडियन्स आर सो स्टुपिड।” ये वो आखिरी कन्वर्सेशन से है, जो उमाकांत और जयंत के बीच हुई। इस रिप्लाई के चंद सेकेंड बाद ही जयंत के लास्ट सीन वाले इंफो में ‘एक्टिव लॉन्ग टाइम एगो’ शो होने लगा। हालांकि इस कन्वर्सेशन से पहले तक उमाकांत पुलिस के पास नहीं पहुंचे थे। जयंत को ये मैसेज उन्होंने फ्रस्ट्रेशन में लिखा था। हालांकि जो रिप्लाई मिला, उसके बाद उमाकांत के लिए दो चीजें बिल्कुल साफ हो गईं। पहला, पिछले 2 महीने से जिस व्यक्ति के कहने पर उन्होंने 50 लाख से ज्यादा टास्क गेम में इंवेस्ट कर दिया, वो फ्रॉड है। दूसरा, फ्रॉड करने वाला भारतीय मूल का नहीं है। इसके बाद रमाकांत पुलिस के पास पहुंचे। 6 महीने बाद, 24 जनवरी 2025 रायपुर साइबर रेंज की टीम साइबर फ्रॉड के खिलाफ राज्य की सबसे बड़ी कार्रवाई करती है। इस कार्रवाई में 65 लोगों को गिरफ्तार किया जाता है, जिनमें 3 नाइजीरियन, 8 महिलाएं और 4 बैंक कर्मचारी भी शामिल हैं। पुलिस बताती है कि इन 65 लोगों ने अलग–अलग राज्यों के लगभग 1500 लोगों से 85 करोड़ रूपए की ठगी की है। सिर्फ 3 नाइजीरियन स्टूडेंट्स के खिलाफ ही देश के अलग-अलग राज्यों में 60 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं। पकड़े गए सभी आरोपी साइबर ठगी के 7 अलग–अलग केस में इन्वाल्व हैं। वहीं उमाकांत से 50 लाख रूपए से ज्यादा ठगी करने वाले ये तीन नाइजीरियन ही हैं। ये रायपुर की एक निजी यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस से जुड़ा कोर्स कर रहे थे। म्यूल अकाउंट से हो रहा था फ्रॉड इस पूरी कार्रवाई में एक और बड़ी बात सामने आई, वो ये कि प्रदेश में म्यूल अकाउंट का धंधा तेजी बढ़ रहा है। 65 आरोपियों में 50 इसी मामले के हैं। चार बैंक कर्मचारी हैं जिन्हें म्यूल अकाउंट खोलने के एवज में कमीशन मिलती थी। वहीं बाकी 46 लोगों का फ्रॉड करने में सीधा कोई इन्वॉल्वमेंट नहीं है। इनमें से कुछ लोगों ने अपना अकाउंट ठगी करने वाले लोगों को रेंट पर दिया था। वहीं कुछ लोगों ने वन टाइम पेमेंट लेकर अकाउंट बेच दिया था। अब तक आपने जो पढ़ा, ये इस पूरी स्टोरी का वो हिस्सा था जो पुलिस ने पब्लिक डोमेन में सामने लाया, लेकिन इस स्टोरी में तीन सवालों के जवाब नहीं मिले.. इन सवालों का जवाब खोजने के लिए 2 पार्ट में हमने इन्वेस्टिगेशन किया। पहले पार्ट में नाइजीरियन स्टूडेंट पर फोकस किया। दूसरे पार्ट में बाकी बचे 46 और 4 बैंक कर्मचारियों पर। इस दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आई। पूरी इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट सिलसिलेवार तरीके से आपके सामने रखते हैं… 2 साल पहले पढ़ाई करने भारत आए थे नाइजीरियन तीन नाइजीरियन स्टूडेंट एबदुलाजीज बेना, मोहम्मद बसीर सुलेमान और अमीनू गरबा दो साल पहले भारत आए थे। इनके कई और भी साथी भारत के दूसरे राज्यों में हैं। तीनों ने नवा रायपुर की एक यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। तीनों ने थोड़े ही समय में फर्राटेदार हिन्दी बोलना सीख लिया। ठगी करने वाले एक गिरोह के संपर्क में आए पैसों की जरूरत पड़ी तो ये लोग चंडीगढ़ में अपने एक दूसरे साथी से जुड़े। यहां से ये लोग टेलीग्राम और वॉट्सऐप पर ठगी करने वाले एक गिरोह के संपर्क में आए। काम सीखा और फिर छत्तीसगढ़ के रायपुर में बैठकर ठगी का अपना एक नेटवर्क डेवलप कर लिया। सबसे पहले इन्होंने कई म्यूल अकाउंट ओपन किए। फर्जी साइट बनाई, रिव्यू टास्क के नाम पर फंसाया फिर अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी साइट्स बनाई। इसके बाद टेलीग्राम पर लोगों को रिव्यू टास्क के नाम पर पैसे कमाने का लालच देने लगे। पीड़ित उमाकांत ने हमें बताया कि उन्हें सबसे पहले फ्लिपकार्ट में कुछ प्रोडक्ट पर रिव्यू देने को कहा गया। बदले में उनके खाते में पैसे भेज दिए गए। कई दफा ऐसा हुआ। इसके बाद उन्हें एक ग्रुप में जोड़ा, जहां पहले से कई और लोग जुड़े हुए थे। ये लोग रोज रिव्यू टास्क के बाद होने वाली कमाई का पेमेंट रिसिप्ट इस ग्रुप पर शेयर करते थे। इससे रायपुर के उमाकांत का विश्वास बढ़ने लगा। अब उन्होंने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए टास्क खरीदना शुरू किया। उन्हें बताया गया कि उनका पैसा क्रिप्टो करेंसी में लगाया जा रहा है। ये विश्वास दिलाने के लिए एक फर्जी वेबसाइट पर उमाकांत की आईडी भी बनवाई गई। 3 लाख देने के बदले 50 लाख ठग लिए उमाकांत को कुछ बड़ा मुनाफा हुआ, तो सीधे उन्होंने 3 लाख का एक टास्क खरीदा, जिसके बाद प्रॉफिट अमाउंट दस लाख रूपए दिखाया गया। लेकिन ये अमाउंट फ्रीज हो गया। उमाकांत को बताया गया कि उन्होंने प्रोसेस सही तरीके से फॉलो नहीं किया। प्रोसेस फिर से शुरू करने के नाम पर पांच लाख रूपए एक म्यूज अकाउंट पर उमाकांत को डलवाए गए। उमाकांत ने इस बार प्रोसेस सही फॉलो किया। लेकिन पैसे फिर भी अटक गए। इस तरह उमाकांत अपने फंसे पैसे निकालने के चक्कर में 50 लाख गंवा बैठे। ओवर कॉन्फिडेंस में पकड़ाए, अपना अकाउंट ही शेयर कर दिया उमाकांत के बाद नाइजीरियन स्टूडेंट ने अन्य लोगों को टारगेट करने लगे। करीब डेढ़ करोड़ रुपए अलग-अलग म्यूल खातों में ट्रांसफर करवा चुके थे, लेकिन इसी बीच जो म्यूल अकाउंट इनके पास उपलब्ध थे उनकी शिकायत अलग–अलग थानों में दर्ज होने लगी। शिकायत के बाद अकाउंट फ्रीज होने लगे। एक समय आया कि लोग पैसे डालने को तैयार थे, लेकिन इन तीनों के पास म्यूल अकांउट नहीं बचे। ऐसे में इन तीनों ने पैसे कमाने की हड़बड़ाहट और ओवर कॉन्फिडेंस में अपने पर्सनल अकाउंट्स विक्टिम्स से शेयर कर दिए। ये गलती इन तीनों को भारी पड़ गई। दरअसल, इनके पर्सनल अकाउंट के खिलाफ नेशनल क्राइम पोर्टल में शिकायत दर्ज करा दी गई। और ये लोग पुलिस के गिरफ्त में आ गए। रायपुर पुलिस को केन्द्र से मिली 1150 खातों की लिस्ट कुछ चार महीने पहले रायपुर पुलिस को केन्द्र की ओर से 1150 खातों की एक सूची भेजी गई थी। इन खातों के खिलाफ साइबर क्राइम पोर्टल में शिकायत दर्ज हुई थी। इसके बाद रायपुर संभाग के IG अमरेश मिश्रा के निर्देश पर ऑपरेशन साइबर शील्ड शुरू किया गया। 1150 खातों में से 500 खाते फिल्टर किए गए। ये वो खाते थे, जिनकी पुलिस को हार्ड कोर साइबर क्राइम में इन्वॉल्वमेंट दिखी। इन 500 में से 100 रिपोर्ट फर्जी निकली। वहीं 100 ऐसे थे, जिन्होंने गलती से दूसरे अकाउंट में पैसे डाल दिए थे। इसके बाद 300 खाते बचे। 100 लोगों की टीम ने इन्वेस्टिगेशन किया इन 300 खातों की जांच के लिए 100 लोगों की टीम बनाई गई। अब तक जो गिरफ्तारी हुई हैं। वो सिर्फ 162 खातों को लेकर की गई हैं। इनमें से 33 लोगों को रायपुर और 13 लोगों को राजनांदगांव से गिरफ्तार किया गया है। 138 खातों के मामले में अभी जांच जारी है। पकड़े गए लोगों में 30 ऐसे हैं, जो ओडिशा से आकर रायपुर में रह रहे थे। इनमें से ज्यादातर लोग जोमेटो डिलीवरी जैसा छोटा–मोटा काम करते हैं। इन 30 लोगों के घर पर हम पहुंचे। इनमें से ज्यादातर लोगों ने बात नहीं की। कुछ के घरों पर ताला लटका हुआ मिला। दो लोगों ने मिलकर 30 अकाउंट खुलवाए थे भास्कर से जिनसे बात हुई, उन्होंने बताया कि पकड़े गए 30 लोग शंकर नगर के पास स्थित एक बस्ती में साथ ही रहते थे। दो लोगों ने मिलकर (पुलिस इन्वेस्टिगेशन प्रभावित हो सकती, इसलिए नाम नहीं लिख रहे) छह से आठ महीने पहले इन 30 का अकाउंट ओपन कराया था। ये दोनों साल भर पहले बस्ती में रहने आए थे। जल्द ही दोनों यहां के लोगों से घुल–मिल गए। इसके बाद आसनी से लोन दिलाने और अकाउंट के बदले में प्रॉफिट कमीशन के नाम पर यहां रहने वाली कुछ महिलाओं और लड़कों के अकाउंट खुलवाए। रायपुर में म्यूल अकाउंट खुलवाने वाले 25 एजेंट एक्टिव ये अकाउंट खुलवाने में इनकी मदद उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक के कर्मचारियों ने की थी। इसके एवज में इन दोनों ने उन्हें कमीशन दिया था। इसके बाद ये अकाउंट इन दोनों ने थर्ड पर्सन को बेच दिया। इन दोनों की तरह लगभग 25 लोग रायपुर में यही काम कर रहे हैं। पुलिस ने इनकी शिनाख्त कर ली है। जल्द ही इन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाएग। 162 में से 104 म्यूल अकाउंट एक ही बैंक के उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक में 90 प्रतिशत खाते डिजिटली खोले गए हैं। इन खातों को खोलने के लिए सिर्फ पैन कार्ड, आधार कार्ड और मोबाइल नंबर पर आया ओटीपी बताने की जरूरत होती है। 162 म्यूल अकाउंट में से 104 म्यूल अकाउंट इसी बैंक के हैं। पुलिस ने बैंक के शुभम सिंह ठाकुर, हिमांशु शर्मा, सुमित दीक्षित और अनुपम शुक्ला इन चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। डबल कमाई करने के लिए खोले म्यूल अकाउंट इन चारों को बस्ती वाले दो लड़के ही पैन कार्ड, आधार कार्ड और ओटीपी उपलब्ध कराते थे। टारगेट पूरा करने के लिए ये लोग म्यूल अकाउंट ओपन कर देते थे। इसके बदले में इन्हें बैंक से इंसेंटिव और इन लड़कों से कमीशन मिल जाता था। बैंक बोला- कर्मचारियों की गलती नहीं वहीं उत्कर्ष बैंक का कहना है कि उनके कर्मचारियों की कोई गलती नहीं। RBI की सारी गाइड लाइन अकाउंट खोलने के पहले फॉलो की गई थी। अकाउंट खुलने के बाद ये जिम्मेदारी खाता धारक की है कि वो उसका सही उपयोग करें। ———————- रायपुर में 3 नाइजीरियन स्टूडेंट्स ने करोड़ों ठगे: पैसे देश के बाहर भेजे, किसी दूसरे के अकाउंट से लेनदेन करते थे; 62 अन्य भी गिरफ्तार साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए रायपुर रेंज में साइबर शील्ड ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इसके तहत एक बड़ी कामयाबी पुलिस को मिली है। 3 नाइजीरियन स्टूडेंट करोड़ों की ठगी के आरोपी निकले। ये तीनों रायपुर की ही निजी यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं। पढ़ें पूरी खबर…

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