महादेव सट्टा ऐप प्रमोटर सौरभ चंद्राकर को 6 दिन पहले दुबई में गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद उसके प्रत्यर्पण के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस की एक टीम डोजियर लेकर दिल्ली पहुंच गई है। डोजियर, यानी घटना से जुड़े सभी दस्तावेजों का संकलन। खास बात यह है कि इन दस्तावेजों को अंग्रेजी के साथ ही अरबी में भी अनुवाद कराया गया है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने इन दस्तावेजों का ब्योरा केंद्रीय गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को सौंपा है। हालांकि इसके बाद भी सौरभ को भारत लाना आसान नहीं है। सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तारी कैसे हुई, कब तक भारत लाया जा सकेगा, इस मामले में आगे क्या होगा? भास्कर एक्सप्लेनर में ऐसे 10 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे उप महाधिवक्ता और ED के विशेष लोक अभियोजक सौरभ पांडेय से… सवाल-1: दुबई में किस तरह अरेस्ट हुआ सौरभ चंद्राकर? जवाब : महादेव ऐप को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग केस का जो ED ने किया था। उसमें ये पाया था कि सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल इसके बेसिक प्रमोटर्स हैं। इस मामले में उनको कई बार समन भेजा गया, लेकिन वे यहां आए नहीं। इसलिए 4 सितंबर 2023 को स्पेशल कोर्ट PMLA रायपुर ने एक नॉन बेलेबल वारंट दोनों के अगेंस्ट इश्यू किया था। इस वारंट के आधार पर इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया। इस कार्रवाई के चलते सौरभ चंद्राकर दुबई में अरेस्ट हुआ है। सवाल-2: अब आगे की प्रक्रिया क्या होगी? जवाब : प्रत्यर्पण (extradition) से संबंधित दस्तावेजों को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत तैयार कर स्पेशल कोर्ट रायपुर ने जारी किया है। सारे दस्तावेज हमने अग्रिम कार्रवाई के लिए हमारे हेड ऑफिस 10 अक्टूबर को भेज दिए थे।अब विदेश मंत्रालय के जरिए कार्रवाई होगी। प्रत्यर्पण की कार्रवाई के लिए UAE की कोर्ट से सौरभ चंद्राकर को भारत लाने की रिक्वेस्ट की गई है और ये बताया गया है कि उसके खिलाफ एक नॉन बेलेबल वारंट जारी है। कौग्नीजेबल एंड गैर जमानती अपराध भी मनी लॉन्ड्रिंग का रजिस्टर्ड है। प्रक्रिया यह है कि वहां के न्यायालय के मार्फत ही कार्रवाई होनी है। कोर्ट दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही कोई फैसला देता है। ऐसे में संभव है कि सौरभ चंद्राकर को सुनने का भी मौका दुबई की कोर्ट में दिया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ये तय करेगा कि सौरभ को भारत भेजा जाना है या नहीं। अगर भेजा भी जाना है तो किन शर्तों पर। वो शर्तें भारत और UAE के बीच प्रत्यर्पण संधी के अनुसार होंगी। इस पर विधिक एंगल बचा है और ये एंगल अनुकूल होने के बाद ही हम ये उम्मीद कर सकते हैं कि उसे भारत लाया जा सकेगा। सवाल- 3: प्रत्यर्पण संधि क्या होती है और इसमें नियम क्या होते हैं? जवाब : प्रत्यर्पण संधि, दो या दो से ज्यादा देशों के बीच एक समझौता होता है। इसके तहत किसी आरोपी को एक देश से दूसरे देश में ट्रांसफर किया जाता है। इस संधि के ज़रिए, दोनों देश इस बात पर सहमत होते हैं कि अगर किसी व्यक्ति ने उनके देशों में से किसी एक में भी अपराध किया है, तो उसे संबंधित देश को सौंप दिया जाएगा। प्रत्यर्पण संधि के जरिए एक सरकारी प्राधिकरण किसी कथित अपराधी को अपराध के लिए अभियोजन का सामना करने के लिए किसी दूसरे देश से मांगता है। प्रत्यर्पण संधि में कई प्रकार के उसमें नियम-धाराएं होती हैं। अगर आपके देश में कोई वांटेड है या किसी दूसरे देश में कोई वांटेड है। अगर इस समय आपकी कंट्री में है, तब ये देखा जाता है कि किस लेवल के कैदी या व्यक्ति को भेजा जा सकता है। कई संधियों में ऐसा रहता है कि अगर मृत्युदंड से सम्बन्धित कोई प्रावधान होते है कि उनको नहीं भेजते हैं। जिस देश के साथ संधि है, वो उसके नियमानुसार ही तय होता है। ये पारस्परिक समझौता है कि उसमें सामने वाले देश ने और आपके देश ने क्या-क्या रिजर्वेशन रखे हैं। UAE के साथ जो संधि है, उसमें मनी लॉन्ड्रिंग का जो अपराध है उसमें 7 साल के आसपास की सजा है। इसके लिए प्रत्यर्पण किया जा सकता है और कार्रवाई जो है वह संधि के अनुसार होती है। सवाल-4: क्या सारे दस्तावेजों का उसे देश की भाषा में ट्रांसलेशन किया गया है? जवाब : देखिए यह मनी लॉन्ड्रिंग का केस है। हमने सौरभ और रवि उप्पल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस क्यों बनाया है? हमारे पास इसके क्या सबूत हैं? ये हमें दूसरे देश को भेजना पड़ेगा। वहां का कोर्ट पहले यह देखेगा कि जिस व्यक्ति के प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है। उसके खिलाफ प्रथम दृष्ट्या कोई साक्ष्य उपलब्ध है भी या नहीं। यहां पर जो कोर्ट की ऑर्डर शीट है, जो गैर जमानती वारंट है और जांच में सौरभ चंद्राकर और रवि उत्पल के खिलाफ जो साक्ष्य हैं इकट्ठे किए गए हैं। वो सारी कॉपी हमें भेजनी होती है। वह UAE है, यहां दस्तावेजों को अरबी में ट्रांसलेट करने की आवश्यकता होती है। इसलिए सभी दस्तावेजों का अरबी में इसका ट्रांसलेशन किया गया है। इसमें विशेष न्यायधीश ने प्रति हस्ताक्षर किया है। अरबी भाषा की कॉपी के साथ ही छत्तीसगढ़ में बहुत सारे ऑर्डर शीट हिंदी में जनरेट होते हैं। इसलिए अंग्रेजी और अरबी दोनों ही भाषाओं में ट्रांसलेशन की कार्रवाई हमने की है। जो भी वांछित दस्तावेज है, वो हमने हेड ऑफिस में हैंडओवर किया है। अब हाई कमीशन के द्वारा कार्रवाई लंबित है, जो जल्द ही पूरी की जाएगी। सवाल-5: दस्तावेजों के ट्रांसलेशन की प्रक्रिया में लंबा समय लगता है, तो क्या बहुत पहले से सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही थी? जवाब : बहुत पहले तो नहीं, लेकिन बात ये है कि हमारे पास जो संकलित साक्ष्य थे, वो तो हमारे पास थे ही। हमने इनके विरुद्ध जो अभियोजन परिवाद दायर किया है, वो सारे दस्तावेज उपलब्ध थे। लेकिन बात यह है कि जब इंटरपोल ने रेट कॉर्नर नोटिस जारी किया और उसके परिपालन में उन्हें अरेस्ट किया गया, तब हमने यह सुनिश्चित करना पाया कि यह ट्रांसलेशन कराया जाए। सवाल-6: भारत की ओर से प्रत्यर्पण अनुरोध कौन कर सकता है? जवाब : भारत की ओर से प्रत्यर्पण के अनुरोध केवल भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा ही किया जा सकता हैं। वो औपचारिक रूप से राजनयिक माध्यमों से प्रत्यर्पण का अनुरोध प्रस्तुत करता है। जनता के सदस्यों के अनुरोध पर प्रत्यर्पण उपलब्ध नहीं है। इसलिए विदेश मंत्रालय की तरफ से ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। सवाल-7: सौरभ चंद्राकर को दुबई में सुनवाई का मौका मिलेगा? जवाब : प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत है कि बगैर सुनवाई के कोई भी कोर्ट किसी के खिलाफ कोई आदेश जारी नहीं करता चाहे वो भारत का हो या विदेश का। अगर प्रत्यर्पण की रिक्वेस्ट भारत की तरफ से की गई है, तब सेक्शन 59 PMLA के तहत जिसके खिलाफ यह मामला है, उसे कोर्ट एक बार बुलाकर पूछेगा ही। सवाल-8: प्रत्यर्पित किए जाने के फैसले के खिलाफ क्या कथित अपराधी अपील कर सकता है? जवाब : आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति के लिए भी हाईकोर्ट में आवेदन दायर करना होता है। इसके बाद अपील के लिए प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर ही आगे की सुनवाई किए जाने का फैसला जज लेते हैं। सवाल-9: इस पूरी प्रक्रिया में कितना समय लग सकता है? जवाब : प्रक्रिया में कितना समय लगेगा यह बताना तो मुश्किल है। यहां से कागजात जाएंगे तब जो कार्रवाई होगी वह उनका कोर्ट डिसाइड करेगा। वह ही तय करेगा कि कितने त्वरित गति से सुनना है या केस का क्या करना है। सामने वाले पक्षकार को भी मौका मिलेगा अपना जवाब प्रस्तुत करने का। सवाल-10 : सौरभ चंद्राकर और रवि उत्पल के पास दुबई की नहीं बल्कि दूसरे देश की नागरिकता है। इस समय वे दुबई में है, तब क्या ऐसे में प्रत्यर्पण में कोई दिक्कत पेश आएगी? जवाब : ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के आसपास एक वनातु नाम की कंट्री है, जिसकी नागरिकता उन्होंने ले रखी है। परेशानी यह है कि जिस देश की नागरिकता उन्होंने ली है, वहां प्रत्यर्पण संधि किसी देश से नहीं है। कम से कम भारत के साथ तो नहीं है। अभी सौरभ और रवि उस देश में नहीं है। रेड कॉर्नर नोटिस की वजह से दुबई में ही है अगर वे वनातू चले गए होते तब दिक्कत पेश आ सकती थी, लेकिन वह दुबई में ही है इसलिए प्रत्यर्पण के माध्यम से उन्हें लाया जा सकता है। 10 महीने पहले रवि उप्पल की गिरफ्तारी की थी खबरें पिछले साल दिसंबर माह में रवि उप्पल के गिरफ्तार होने की खबरें भी आई थी। दरअसल आरोपियों की दुबई भागने की पुख्ता सूचना के बाद ईडी ने रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किया। तब ये पता चला था कि इंटरपोल की मदद से दुबई की स्थानीय पुलिस ने रवि को उसके दो साथियों को हिरासत में लिया है। उस समय भी प्रत्यर्पण संधि के तहत तीनों को भारत लाने का प्रयास किया जा रहा था। हालांकि ईडी की ओर से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई थी। …………… महादेव सट्टा ऐप से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… महादेव सट्टा ऐप का प्रमोटर सौरभ चंद्राकर दुबई में गिरफ्तार:इंटरपोल के अधिकारियों ने पकड़ा; 7 दिन के अंदर लाया जा सकता है भारत महादेव सट्टा ऐप का संचालन करने वाले सौरभ चंद्राकर को इंटरपोल के अधिकारियों ने 10 अक्टूबर को दुबई से गिरफ्तार कर लिया है। दुबई की पुलिस और स्थानीय फोर्स के साथ मिलकर CBI और ED के अधिकारियों ने सौरभ चंद्राकर से जुड़ी हर डिटेल इंटरपोल को दी थी। 7 दिन के अंदर भारत लाया जा सकता है। पढ़ें पूरी खबर… महादेव सट्टा ऐप…अमित शाह करता था अकाउंट सेटल:हर महीने 450 करोड़ की कमाई; छत्तीसगढ़ में कारोबारी के जरिए पहुंचती थी प्रोटेक्शन मनी महादेव सट्टा ऐप के जरिए इसके सिंडिकेट ने हर महीना 450 करोड़ रुपए कमाए हैं। यह कमाई लॉकडाउन के बाद की है। सिंडिकेट से 4000 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं और अब भी देश भर में इसकी 4000 ब्रांच संचालित हो रही है। पढ़ें पूरी खबर महादेव सट्टा ऐप…सिंडिकेट ने दुबई बुलाए 4000 कर्मचारी:इनके लिए किराए पर 32 विला; छत्तीसगढ़ में अब भी पैनल, वॉट्सऐप लिंक से दे रहे ID महादेव सट्टा ऐप से जुड़े लोगों को पुलिस पकड़ने में लगी हैं। ED और EOW भी कार्रवाई कर रहे हैं। बावजूद इसके सट़्टा जारी है। अब नंबर से नहीं, बल्कि ऑनलाइन लिंक के जरिए ID जनरेट कर पैनल दिया जा रहा है। पैनल खरीदने वाले भी ग्राहकों की इसी तरह ID बना रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर